बिहार

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दुइ पाटन के बीच में
Posted on 05 Sep, 2012 10:22 AM

पृष्ठभूमि

जैसी नीयत-वैसी बरक्कत
Posted on 04 Sep, 2012 02:20 PM बिना राजनैतिक इच्छा शक्ति और बिना आम जनता की ईमानदार भागीदारी के इ
कपूर कमीशन-कुछ नहीं मिला
Posted on 04 Sep, 2012 02:08 PM केन्द्र द्वारा गठित कपूर आयोग ने अपनी रिपोर्ट दिसम्बर 1973 में प्
न सरकार रही न जांच आयोग
Posted on 04 Sep, 2012 02:03 PM

राज्य सरकार द्वारा मान

बिहार सरकार भी पीछे नहीं-एक और जांच आयोग
Posted on 04 Sep, 2012 01:57 PM इतने सारे तर्क-कुतर्क के बीच बिहार की कर्पूरी ठाकुर सरकार ने भारत सेवक समाज के मामलों की जाँच के लिए एक आयोग का गठन (1978) कर डाला जिसमें निम्न विषयों पर विचार होना था।
जांच आयोग का गठन-केन्द्र, सरकार की पहल
Posted on 04 Sep, 2012 12:30 PM आखिरकार भारत सेवक समाज के विरोध में ऐसा समां बना कि केन्द्रीय सरकार को उसके कार्य-कलाप की जाँच करने के लिए सर्वोच्च न्यायालय के एक अवकाश प्राप्त न्यायाधीश जस्टिस जे.एल. कपूर की अध्यक्षता में एक आयोग का गठन करना पड़ा। इसकी सूचना एम.एस. गुरुपदस्वामी ने 21 नवम्बर 1968 को लोक सभा में दी जिसके अनुसार कपूर आयोग निम्न विचारणीय विषयों पर अपनी राय देगा।
भारत सेवक समाज की राजनैतिक/प्रशासनिक घेराबन्दी
Posted on 04 Sep, 2012 11:32 AM कोसी परियोजना से इन लोगों का परिचय भारत सेवक समाज ने ही करवाया था। उप-समिति ने जब यह म
अन्त की शुरुआत
Posted on 04 Sep, 2012 09:46 AM कोसी परियोजना में सब कुछ अच्छा और आदर्श प्रस्तुत करने जैसा ही चल रहा था, यह स्थिति तो कभी भी नहीं थी। बराहक्षेत्र बांध के निर्माण के प्रस्ताव से लेकर तटबंधों के निर्माण तक में होने वाले प्रपंच, षडयंत्र और आये दिन की उलट-बयानी की एक झलक हम पहले भी देख आये हैं। इन सारी घटनाओं में नेताओं और इंजीनियरों की व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा और स्वार्थ तो शामिल थे मगर तब तक उसमें पैसों की कोई भूमिका नहीं थी। पैसों
सिक्के का दूसरा पहलू
Posted on 04 Sep, 2012 09:43 AM

इस व्यावहारिक और वैचारिक द्वन्द्व ने एक अच्छी खासी जमात तटबन्धों के खिलाफ खड़ी कर दी थी। सरकार

ठेकेदारी व्यवस्था पर चोट
Posted on 04 Sep, 2012 09:40 AM

इंजीनियरों और अमला तंत्र की अंग्रेजी हुकूमत के जमाने की खुमारी उतरने का नाम ही नहीं ले रही थी

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