Posted on 08 Mar, 2010 10:45 PMक्षेत्र की भौगोलिक स्थिति के अनुरूप जल व्यवस्था मगध क्षेत्र में लम्बे समय तक कायम रही। किन्तु अनेक कारकों के प्रभाववश अब यहाँ की जल-व्यवस्था काफी हद तक छिन्न-भिन्न हो गई है।
Posted on 10 Feb, 2010 10:55 AMदेश में झील, तालाब और कृत्रिम जलाशय काफी संख्या में हैं। झील लगभग 2 लाख हेक्टेयर में फैले हुए हैं। बांधों के जलाशय 50-60 साल से ज्यादा पुराने नहीं हैं। ऐसे जलाशयों के लाभ गिनाते समय मत्स्य पालन को बहुत बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया जाता है। पर इनमें मछली पालने का रिवाज अभी हाल में शुरू हुआ है और उसका ज्ञान भी बहुत सीमित है।
Posted on 10 Feb, 2010 10:43 AMहालांकि हिलसा मछलियों की हड्डियां पहाड़ी मीठे पानी के ट्राउट्स की ही तरह बड़ी तेज और बारीक होती हैं, फिर भी वे सदियों से स्वाद के पारखियों के लिए, खासकर पश्चिम बंगाल और बंगला देश के लोगों के लिए बड़ी ही आकर्षण और स्वादिष्ट खाद्य रही हैं।
Posted on 10 Feb, 2010 10:32 AMअप्रैल 1984 में लखनऊ के पास गोमती में गंदगी के भर जाने से हजारों मछलियां खत्म हो गईं। लखनऊ शहर के एक दैनिक पत्र ‘पायोनियर’ ने लिखा था, “हर गरमी में गोमती मछलियों के लिए मौत का कुंआ बन जाती है क्योंकि धारा धीमी हो जाती है और बगल में लगे कारखानों से होने वाला प्रदूषण बढ़ जाता है।” केरल की समुद्रतटीय झीलें धीरे-धीरे मिट रही हैं क्योंकि उन्हें नारियल उद्योगों ने नारियल के छिलके फेंकने का कूड़ा घर बना