कितने पुनर्वासित-कैसे पुनर्वासित

तालिका 8.1 में कोसी तटबन्धों के बीच फँसी मौजूदा आबादी का एक संक्षिप्त विवरण दिया हुआ है। इस तालिका के बारे में हम इतना जरूर कहना चाहेंगे कि,

(क) कोसी क्षेत्र और समस्या में रुचि रखने वालों के बीच आज भी यह प्रचलित है कि कोसी तटबन्धों के बीच 304 गाँव फँसे हैं। यह एक आश्चर्यजनक तथ्य है कि सुपौल के पुनर्वास कार्यालय के अधिकारी और कर्मचारी भी यही जानते और कहते हैं मगर इन गाँवों की सूची देते समय उनकी कलम 285 की संख्या पर अटक जाती है। जहाँ तक कोसी तटबन्धों के बीच फंसी आबादी का सवाल है उसके बारे में अलग-अलग लोग अलग-अलग संख्याएँ बताते हैं और यह संख्या 8 लाख से लेकर 16 लाख के बीच में घूमती है। हमने यथासंभव इस अटकलबाजी पर विराम लगाने की कोशिश की है और इस अध्ययन के अनुसार कोसी तटबन्धों के बीच 380 गाँव हैं जोकि 4 जिलों के 13 प्रखण्डों में फैले हुये है और उनकी आबादी (2001) लगभग 9.88 लाख है।

(ख) महिषी प्रखंड में घोंघेपुर गाँव के नीचे पश्चिम में कोसी पर तटबन्ध नहीं हैं। इसके दक्षिण में सहरसा जिले के सिमरी बख्तियारपुर तथा सलखुआ प्रखंड पड़ते हैं। महिषी प्रखण्ड के नीचे कोपड़िया तक कोसी परियोजना केवल उन्हीं गाँवों को विस्थापित मानती है जोकि पूर्वी तटबन्ध बनते समय नदी और पूर्वी तटबन्ध के बीच में पड़ते थे। नदी के पश्चिम के गाँवों को परियोजना विस्थापित नहीं मानती। सलखुआ प्रखंड का कबिराधाप गाँव इसका उदाहरण है। कोसी के पूर्वी तटबन्ध के निर्माण की वजह से नदी का पानी इस गाँव पर पहले से कहीं ज्यादा चोट करता है। इस गाँव के रहने वालों को पुनर्वास भी नहीं मिला मगर इस गाँव की तकलीफें किसी भी मायने में तटबन्धों के बीच रहने वाले गाँवों से अलग नहीं हैं। हमने कबिराधाप या इस तरह के दूसरे गाँवों को इस सूची में शामिल किया है।

(ग) कुछ एक गाँव, उदाहरण के लिए महिषी, को हम पुनर्वासित या कोसी परियोजना से पीड़ित मानते हैं यद्यपि इसका केवल एक छोटा सा कोठिया टोला तटबन्ध के अन्दर है और बाकी गाँव तथा उसकी जमीन तटबन्ध के बाहर है। महिषी और उसकी पूरी आबादी को तटबन्ध पीड़ित मानने के पीछे हमारा तर्क है कि तटबन्ध महिषी की जमीन पर हो कर गुजरा है और महिषी की काफी जमीन पुनर्वास के लिए अर्जित की गई और बची-खुची जमीन पर जल-जमाव हो गया है। यह सब तटबन्ध के कारण हुआ है। हमने इस तरह के सभी गाँवों को तटबन्ध पीड़ित मान कर इस सूची में जगह दी है।

(घ) होना तो यह चाहिये था कि खगड़िया जिले के जिन गाँवों पर कोसी के पानी की मार सिर्फ इसलिए पड़ती है कि कोसी के पूर्वी तटबन्ध का पानी उसे दूसरे किनारे पर (दक्षिण की ओर) ठेलता है, उनको भी इस सूची में शामिल किया जाता। यही बात समस्तीपुर के सिंघिया आदि और दरभंगा के कुछ प्रखंडों पर भी लागू होती है। हमारी मान्यता है कि घोंघेपुर के नीचे कुछ भी घटित हो रहा है उस पर अलग से एक अध्ययन हो और उसकी अलग पुस्तक बने। यह काम हम भविष्य के लिए छोड़ते हैं और फिलहाल अपने आप को सहरसा, सुपौल, मधुबनी और दरभंगा तक ही सीमित रखते हैं।

(ङ) यह संख्या केवल रेवेन्यू मौजों की है। टोले-मोहल्ले मिला कर यह संख्या हजार से भी उफपर होगी। जनसंख्या का आधर भी जनगणना के स्रोत के बावजूद अनुमानित ही है क्यों कि तटबन्धों के अन्दर कौन कहां है और वह कब उजड़ कर दूसरी जगह चला जायेगा, यह निश्चित नहीं है। यहां अच्छी खासी आबादी वाले गाँवों को बेचिराग़ी होते देर नहीं लगती।

(च) यहां थोड़ा अन्तर समय समय पर हुये पंचायतों के पुनर्गठन के कारण भी देखने में आता है। दरभंगा के कीरतपुर और मधुबनी के मधेपुर प्रखंड में फैला कई टोलों का नीमा गांव इसका एक उदाहरण है। नीमा और जोगिया नाम के दो टोले मधेपुर की बलथी पंचायत में पड़ते हैं जबकि नीमा टोले का कुछ हिस्सा अब कीरत पुर प्रंखड के सिमरी पंचायत में पड़ता हैं। खुद सिमरी पंचायत कभी झगरुआ पंचायत का हिस्सा हुआ करती थी। इन सब परेशानियों से बचने के लिए विभिन्न प्रखंडों के उपलब्ध नक्शों (1981 जनगणना) को तथा उनमें दिखाये गये तटबन्ध के रेखांकन को ही हमने आधर माना है। क्षेत्रीय स्तर पर इन्हीं नक्शों का हमने सत्यापन किया है।

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यहाँ के लोग अगर आज यह प्रण करें कि वह निरक्षरता के इस कलंक को मिटा देंगे तो बाकी देश के मुकाबले पहले उन्हें पहले यह 40 साल का फासला तय करना होगा। इसके साथ ही जमीनी हकीकत यह है कि पंचायत स्तर से लेकर पटना होते हुए दिल्ली तक किसी भी नेता के चेहरे पर इस बदहाली को ले कर कहीं कोई शिकन नहीं है। जब शिक्षा का यह हाल है तो बाकी नागरिक सुविधाओं की क्या स्थिति होगी, इसका अंदाजा बड़ी आसानी से लगाया जा सकता है। इस तालिका में प्राथमिक स्तर से ही यहाँ शिक्षा के आँकड़े चौंकाने वाले हैं। अगर, उदाहरण के लिए, सहरसा जिले की बात करें तो यहाँ की साक्षरता दर मात्रा 39.28 प्रतिशत (2001) है (पुरुष 52.04 प्रतिशत तथा महिला 25.31)। राज्य स्तर पर बिहार की साक्षरता दर 47.53 प्रतिशत है (पुरुष 60.32 प्रतिशत तथा महिला 33.57 प्रतिशत) जबकि 2001 में भारत में साक्षरता 65.38 प्रतिशत थी (पुरुष 75.85 प्रतिशत तथा महिला 54.16 प्रतिशत)। बिहार देश का अकेला राज्य है जहाँ साक्षरता का प्रतिशत 50 से नीचे है और उसमें भी घाटी के जिले सुपौल नीचे से सातवें, सहरसा नीचे से नवें, मधुबनी नीचे से तेरहवें और दरभंगा नीचे से सोलहवें स्थान पर है।

सच यह है कि पढ़ाई-लिखाई की व्यवस्था यूँ तो पूरे राज्य में चरमराई हुई है मगर तटबन्धों के बीच इसकी कुव्यवस्था के बहाने बड़ी आसानी से खोज लिए जाते हैं। कोसी तटबंधे के बीच फंसे जिस इलाके की बात हम यहाँ कर रहे हैं उसकी औसत महिला साक्षरता की दर 14.39 प्रतिशत है। राष्ट्रीय स्तर पर महिलाओं की साक्षरता की यह दर 1951 में थी और बिहार के स्तर पर 1982 में महिला साक्षरता 14.39 प्रतिशत रही होगी। सुपौल जिले के मरौना प्रखण्ड और सहरसा जिले के सिमरी बख्तियारपुर प्रखण्ड में कोसी तटबंधों के बीच महिला साक्षरता की दर 10 प्रतिशत से भी कम दिखाई पड़ती है। यही हाल पुरुष साक्षरता का भी है। तटबन्धों के बीच की मौजूदा पुरुष साक्षरता दर 38.79 प्रतिशत देश के स्तर पर 1960 और राज्य के स्तर पर 1982 में थी। यहाँ की कुल साक्षरता दर 30.11 प्रतिशत देश के स्तर पर 1963 में और बिहार के स्तर पर 1984 में रही होगी। इसका सीधा मलतब है कि जो लोग कोसी तटबन्धों के बीच में रह रहे हैं वह शिक्षा के क्षेत्र में पूरे देश से लगभग 40 वर्ष और बाकी बिहार से 20 वर्ष पीछे हैं। हम यहाँ एक बार फिर याद दिला दें कि बिहार साक्षरता दृष्टि से देश में सबसे निचले स्थान पर खड़ा है।

अगर किसी भी सभ्य समाज के जीवन स्तर को नापने के लिए साक्षरता कोई मापदण्ड हो सकती है तो हम अच्छी तरह जानते हैं कि कोसी तटबन्धों के बीच रह रहे लोगों का स्थान कहाँ है ? यहाँ के लोग अगर आज यह प्रण करें कि वह निरक्षरता के इस कलंक को मिटा देंगे तो बाकी देश के मुकाबले पहले उन्हें पहले यह 40 साल का फासला तय करना होगा। इसके साथ ही जमीनी हकीकत यह है कि पंचायत स्तर से लेकर पटना होते हुए दिल्ली तक किसी भी नेता के चेहरे पर इस बदहाली को ले कर कहीं कोई शिकन नहीं है। जब शिक्षा का यह हाल है तो बाकी नागरिक सुविधाओं की क्या स्थिति होगी, इसका अंदाजा बड़ी आसानी से लगाया जा सकता है। ऐसे में अनुसूचित जातियों का जीवन स्तर कैसा होता होगा वह किसी से छिपा नहीं है।

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Post By: tridmin
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