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/regions/bihar
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1972 में केन्द्र सरकार ने प्रति वर्ष दो करोड़ रुपयों की व्यवस्था करने का दायित्व संभाला परन्तु
पूना का रिसर्च स्टेशन, जहाँ डगमारा के बनने वाले बराज का मॉडल टेस्ट हो रहा था, वही संस्था थी जह
केन्द्रीय परिवहन मंत्रालय इस स्थल के पास वैसे भी कोसी पर एक पुल बनाने की सोच रहा था और बराज का
बिहार से सर्वेक्षण की रिपोर्ट अक्टूबर 1967 में केन्द्रीय जल और शक्ति आयोग को भेज दी गई थी जिसे
हमें न तो इस नहर से कोई फायदा है और न ही हमें इसके बारे में कोई जानकारी है। हमारी खेती में नहर
कोसी परियोजना में नहरों से बालू की निकासी एक उद्योग की शक्ल में सामने आई। जहाँ एक ओर किसान अपन
कोसी क्रान्ति’ का प्रस्ताव इस बात को मानता था कि केवल संसाधन, पूंजी, श्रम-शक्ति, तकनीकी अनुभव