बेंगलूरु शहरी और ग्रामीण जिले

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आईआरएनएसएस-1 आई का सफल प्रमोचन
Posted on 31 Aug, 2018 05:54 PM

12 अप्रैल, 2018 को भारतीय अंतरिक्ष अनुसन्धान संगठन (Indian space research organisation) के पीएसएलवी-सी 41 प्रमोचन रॉकेट ने भारतीय रीजनल नेविगेशन उपग्रह तंत्र के उपग्रह आईआरएनएसएस-1 आई (IRNSS-1I) का प्रातः 04ः04 बजे सुबह सतीश धवन अंतरिक्ष केन्द्र, श्री हरिकोटा से सफलतापूर्वक प्रक्षेपण किया। आईआरएनएसएस-1 आई उपग्रह आईआरएनएसएस-1 ए को रिप्लेस करेगा जो इसकी अॉन बोर्ड 3 परमाणवीय घड़ियों के निष्क्
IRNSS-1I satellite testing
पेड़ों की जंजीर से बाँधें पाँव प्रदूषण के
Posted on 09 Jun, 2018 03:29 PM

वृक्ष हमारे लिये अनमोल खजाना हैं। पशु-पक्षियों के लिये सुरक्षित बसेरा और भोजन का ठिकाना भी। इंसानी संवेदना

जल संकट दूर कर प्रेरणा बने कर्नाटक के गांव
Posted on 24 May, 2014 09:11 AM कभी सोना उगलने वाली धरती कहलाने वाले कर्नाटक के कोलार जिले में एक छोटा-सा गांव चुलुवनाहल्ली। वहां न तो कोई प्रयोगशाला है, न ही कोई प्रशिक्षण संस्थान, फिर भी यहां देश के कई राज्यों के अफसर जल विशेषज्ञ, स्वयंसेवी संस्थाओं के लोग सीखने आ रहे हैं।
water crisis
कचरे का पूर्ण प्रबंधन ही पर्यावरण को बेहतर ढंग से सुरक्षित रखता है
Posted on 09 Nov, 2013 12:59 PM एमयूटीबीटी ने कुछ समय पहले एक राष्ट्रीय स्तर का बिजनेस प्लान कंपीटिशन आयोजित किया था। इसमें पेपरट्री को तीसरा स्थान मिला। इनाम के तौर पर दो लाख रुपए नकद दिए गए। एक अन्य राष्ट्रीय स्तर के ही ग्रीन बिजनेस प्लान कंपीटिशन में कंपनी को पहला स्थान मिला। यह कंपनी दुनिया की उन 50 कंपनियों में भी शुमार हो चुकी है, जिन्हें शुरुआत में ही बड़े-बड़े इनाम मिल गए। पेपरट्री के बारे में सबसे खास बात ये है कि वे कचरे से क्रिएशन कर रहे हैं। जिस चीज को ज्यादातर लोग बेकार समझकर फेंक देते हैं, कंपनी उसे फिर काम का बना रही है। हम भारतीय अब भी कागज़ की रद्दी के बारे में पूरी तरह सचेत नहीं हैं। हालांकि हम सब जानते हैं कि कागज़ पेड़ों को काटने के बाद बनाया जाता है। इसके बावजूद हम कागज़ की बर्बादी रोकने के लिए ज्यादा जागरूक नहीं हैं और अगर बात किसी शैक्षणिक संस्थान की हो तो वहां कुछ ज्यादा ही कागज़ बर्बाद होता है। न सिर्फ स्टूडेंट बल्कि टीचर भी इसमें शामिल होते हैं। चूंकि कागज़ पढ़ने-पढ़ाने के काम की मूलभूत आवश्यकता है इसलिए कोई इसकी बर्बादी को लेकर चिंता नहीं करता।
संदर्भ राजस्थान: पानी के रास्ते में खड़े हम
Posted on 21 Sep, 2010 02:41 PM मौसम को जानने वाले हमें बताएंगे कि 15-20 वर्षो में एक बार पानी का ज्यादा होना या ज्यादा बरसना प्रकृति के कलेंडर का सहज अंग है। थोड़ी-सी नई पढ़ाई कर चुके, पढ़-लिख गए हम लोग अपने कंप्यूटर, अपने उपग्रह और संवेदनशील मौसम प्रणाली पर इतना ज्यादा भरोसा रखने लगते हैं कि हमें बाकी बातें सूझती ही नहीं हैं। वरूण देवता ने इस बार देश के बहुत-से हिस्से पर और खासकर कम बारिश वाले प्रदेश राजस्थान पर भरपूर कृपा की है। जो विशेषज्ञ मौसम और पानी के अध्ययन से जुड़े हैं, वो हमें बेहतर बता पाएंगे कि इस बार कोई 16 बरस बाद बहुत अच्छी वर्षा हुई है।

हमारे कलेंडर में और प्रकृति के कलेंडर में बहुत अंतर होता है। इस अंतर को न समझ पाने के कारण किसी साल बरसात में हम खुश होते हैं, तो किसी साल बहुत उदास हो जाते हैं। लेकिन प्रकृति ऎसा नहीं सोचती। उसके लिए चार महीने की बरसात एक वर्ष के शेष आठ महीने के हजारों-लाखों छोटी-छोटी बातों पर निर्भर करती है। प्रकृति को इन सब बातों का गुणा-भाग करके अपना फैसला लेना होता है। प्रकृति को ऎसा नहीं लगता, लेकिन हमे जरूर लगता है कि अरे, इस साल पानी कम गिरा या फिर, लो इस साल तो हद से ज्यादा पानी बरस गया।

water rajasthan
नवदर्शनम् : एक गृहस्थ की ऋषि खेती
Posted on 16 Aug, 2010 04:18 PM

ऐसा नहीं कि जैविक खेती में कोई परेशानियां नहीं होतीं। इनसे बचने के जैविक खेती के अपने तरीके हैं, जो आश्चर्यकारक ढंग से कारगर हैं। उनमें भी अहिंसा भाव है। नहीं तो क्या यह संभव है कि जहां सामान्य खेती में कीट-खरपतवारनाशक हैं, जैविक खेती में यही काम करने वाले पदार्थ को जीवामृत कहा जाए?

अब उनके हाथ-पैर में खेत की मिट्टी लगी रहती है। अभी कुछ ही बरस पहले तक वे अमेरिका की कंप्यूटर कंपनियों में तरह-तरह के यंत्रों से घिरे रहते थे। नाम है इनका टी.एस. अनंतू। देश के सबसे ऊंचे माने गए तकनीक संस्थान आई.आई.टी. से कंप्यूटर का पूरा व्यवहार और दर्शन पढ़कर वे निकले थे। कोई 30 बरस पुरानी बात होगी यह। उन दिनों देश में कंप्यूटर की कोई खास जगह थी नहीं। इक्के-दुक्के कंप्यूटर एक अजूबे की तरह कुछ गिनी-चुनी जगहों पर रहे होंगे। ऐसे में अनंतूजी यहां
वन
Posted on 12 Feb, 2010 10:09 AM
उपग्रहों के ताजे चित्र बताते हैं कि देश में हर साल 13 लाख हेक्टेयर वन नष्ट हो रहे हैं। वन विभाग की ओर से प्रचारित सालाना दर के मुकाबले वह आठ गुना ज्यादा है।

छठवीं पंचवर्षीय योजना के दौरान वनीकरण पर खर्च की गई राशि पिछले 30 सालों में खर्च कुल राशि से 40 प्रतिशत ज्यादा थी। फिर भी वन-क्षेत्र में कोई उल्लेखनीय सुधार नहीं हो पाया है।
अंतर्राष्ट्रीय फिल्म समारोह
Posted on 02 Sep, 2009 06:24 PM

पानी पर चौथा अंतर्राष्ट्रीय फिल्म समारोह

तिथिः 4-7 सितम्बर, 2009, बंगलौर
बंगलौर में पर्यावरण के मुद्दे पर केंद्रित चौथा फिल्म समारोह होने जा रहा है। फिल्म समारोह के साथ ही पानी पर पेंटिंग प्रदर्शनी का भी आयोजन किया जा रहा है।

बंगलौर के कलाकारों और समुदाय से निवेदन है कि वें इस अवसर पर भाग लें।
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