12 अप्रैल, 2018 को भारतीय अंतरिक्ष अनुसन्धान संगठन (Indian space research organisation) के पीएसएलवी-सी 41 प्रमोचन रॉकेट ने भारतीय रीजनल नेविगेशन उपग्रह तंत्र के उपग्रह आईआरएनएसएस-1 आई (IRNSS-1I) का प्रातः 04ः04 बजे सुबह सतीश धवन अंतरिक्ष केन्द्र, श्री हरिकोटा से सफलतापूर्वक प्रक्षेपण किया। आईआरएनएसएस-1 आई उपग्रह आईआरएनएसएस-1 ए को रिप्लेस करेगा जो इसकी अॉन बोर्ड 3 परमाणवीय घड़ियों के निष्क्रिय हो जाने के कारण खराब हो गया था।
इसरो का एक रिप्लेसमेंट उपग्रह भेजने का यह दूसरा प्रयास है जब 31 अगस्त, 2017 में आईआरएनएसएस-1 एच उपग्रह प्रमोचन के समय असफल हो गया था। यह भारत का 8वाँ नेविगेशन उपग्रह था तथा इस प्रमोचन ने इसरो के वैज्ञानिकों की मुस्कान वापस ला दी जब वे एक ओर जी सैट-6 ए उपग्रह से सम्पर्क बनाने का भरसक प्रयास कर रहे हैं।
पीएसएलवी-सी 41 का टेक्स्टबुक लॉन्च चार स्टेजों में हुआ तथा प्रमोचन रॉकेट ने उपग्रह को निर्धारित कक्षा में स्थापित करने में 19 मिनट लगाए। इस मिशन की सफलता पर प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने इसरो के वैज्ञानिकों को बधाई दी और कहा कि यह सफलता हमारे अंतरिक्ष कार्यक्रम के लाभों को सामान्य आदमी तक पहुँचाएगी।
इस सफल प्रमोचन पर इसरो के चेयरमैन डॉ. के सिवन ने प्रमोचन के तुरन्त बाद पत्रकारों से बात करते हुये अंतरिक्ष वैज्ञानिकों को बधाई दी और कहा, “पीएसएलवी-सी 41 ने परिशुद्धता के साथ 8वें नेविगेशन उपग्रह को निर्धारित कक्षा में प्रविष्ट कराया। मात्र 14 दिन के अन्दर यह दूसरा सफल प्रमोचन (29 मार्च, 2018 के जी.एस.एल.वी प्रमोचन के बाद) है। सम्पूर्ण इसरो समुदाय ने इस सफलता के लिये अथक प्रयास किया है।”
प्रमोचन वेहिकल में एक नवीन फीचर के उपयोग के बारे में बताते हुए डॉ. सिवन ने कहा, “हमने एक नई तकनीकी का प्रयोग किया है जिसे फ्रिक्शन स्टिर वेल्डिंग कहते हैं” जो उत्पादन को बढ़ाएगी तथा प्रमोचन वेहिकल की नीतभार क्षमता को बढ़ाएगी। उपग्रह के क्षेत्र में इस बार उद्योग जगत की भागीदारी को बढ़ावा दिया गया है और धीरे-धीरे हम लोग उस ओर बढ़ रहे हैं जिससे सम्पूर्ण उपग्रह तथा प्रमोचन वेहिकल उद्योग जगत से प्राप्त होने लगे। बंगलुरु स्थित अल्फा डिजाइन टेक्नोलॉजीज कम्पनी (Alpha Design Technologies Company) ने आईआरएनएसएस-1 आई उपग्रह के इन्टीग्रेशन में एक सक्रिय भूमिका निभाई है।
आईआरएनएसएस-1 आई उपग्रह
पिछले नेविगेशन उपग्रहों की भाँति इस उपग्रह में भी दो नीतभार हैं- नैविगेशन और रेंजिंग। आईआरएनएसएस-1 आई का नेविगेशन नीतभार स्थिति, गति और समय का पता लगाने के लिये एल-5 और एस-बैंड में सिग्नलों का प्रेषण करता है। परमाणवीय घड़ियाँ उपग्रह के नेविगेशन नीतभार का हिस्सा हैं तथा रेंजिंग नीतभार में एक सी-बैंड ट्रान्सपॉन्डर (Transponder) हैं जो उपग्रह की रेंज को परिशुद्धता से पता करने में मदद करते हैं तथा इसमें लेजर रेंजिंग के लिये कॉर्नर क्यूब परावर्तक भी होते हैं मिलिट्री और सिविलियन दोनों ही सेवाएँ प्रदान करते हुए नेविगेशन उपग्रह (नैविक) अत्यधिक परिशुद्ध टाइमिंग सिग्नल का प्रेषण करते हैं जिनका उपयोग एक अभिग्राहक (रिसीवर) अपनी लोकेशन का पता लगाने में करता है। भारत को उपग्रह अाधारित नेविगेशन तंत्र जिसे आम भाषा में ‘नैविक’ भी कहा जाता है का डिजाइन इस प्रकार किया गया है जिससे यह भारत की सीमा से 1500 किमी दूर तक परिशुद्ध स्थिति निर्धारण सेवा प्रदान करेगा।
पीएसएलवी-सी 41 प्रमोचन रॉकेट
पीएसएलवी प्रमोचन रॉकेट इसरो द्वारा विकसित एक एक्सपैंडेबल प्रमोचन तंत्र है। इसका विकास सुदूर संवेदन उपग्रहों को सूर्य समकालीन कक्षा में स्थापित करने के लिये किया गया था। यह प्रमोचन रॉकेट लघु उपग्रहों को भू स्थिर ट्रांसफर कक्षा में भी स्थापित करता है। इस प्रमोचन रॉकेट की प्रथम उड़ान 20 सितम्बर, 1993 को हुई थी। वर्तमान उड़ान पीएसएलवी-सी 41 इस प्रमोचन वेहिकल की 43वीं तथा इसके ‘एक्स एल’ स्वरूप की 20वीं उड़ान थी। इस रॉकेट ने शार केन्द्र के प्रथम प्रमोचन पैड से उड़ान भरी तथा लगभग 19 मिनट की उड़ान के बाद रॉकेट ने उपग्रह आईआरएनएसएस-1 आई को 281.5 किमी पेरिजी, 20,730 किमी अपोजी और 19.2 डिग्री झुकाव वाली उप भू-समकालिक ट्रांसफर कक्षा में पहुँचा दिया जहाँ उपग्रह पीएसएलवी रॉकेट से अलग हो गया।
प्रमोचन वेहिकल से अलग होने के बाद उपग्रह के सौर पैनल स्वचालित रूप से खुल गए। इसके बाद इसरो की प्रधान नियंत्रण सुविधा (एम सी एफ), हासन ने उपग्रह का नियंत्रण अपने हाथ में ले लिया। आने वाले दिनों में विभिन्न मनूवरों के द्वारा उपग्रह को इसके निर्धारित कक्षीय स्लॉट 55 डिग्री पूर्व देशान्तर (29 डिग्री कक्षीय झुकाव) कक्षा में स्थापित कर दिया गया।
श्री काली शंकर
सेवानिवृत्त वरिष्ठ वैज्ञानिक, इसरो, के-1058, आशियाना कॉलोनी, कानपुर रोड, लखनऊ 226012 (उत्तर प्रदेश)
मोः 09935793961
ई-मेलः ksshukla@gmail.com
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