बेंगलूरु शहरी और ग्रामीण जिले

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सीनियर फाइनेंस मैनेजरः अर्घ्यम्
Posted on 26 Aug, 2009 03:47 PM

अर्घ्यम्

पद- वरिष्ठ वित्तीय प्रबंधक
पद- सीनियर प्रोजेक्ट मैनेजर
स्थान-बंगलूरु

अर्घ्यम् ऐसे प्रतिभागियों से आवेदन आमंत्रित करता है जो समाज के अलाभान्वित वर्ग के लिए कुछ करना चाहते हैं और अपनी ही सोच जैसे अन्य व्यक्तियों के साथ काम करने के इच्छुक हैं।
ईकोलॉजिकल सेनिटेशन में पीएच डी.
Posted on 20 Apr, 2009 01:49 PM वर्तमान में फास्फोरस और पोटेशियम की आसमान को छूने वाली लागते कृषि को अस्थिर बना रही हैं। इसी संबंध में हाल ही में कृषि विज्ञान विश्वविद्यालय, बंगलुरु में मानव मूत्र के उपयोग पर एक पीएच.डी. हुई है। यह ईकोलॉजिकल सेनिटेशन पर भारत की पहली पीएचडी है। इसका संबंध खाद शौचालय के आंदोलन से है जो मानव अपशिष्ट से निपटने का ईको-फ्रैंडली समाधान प्रदान करता है।
कंसल्टेंट-सोशल डेवलपमेंट
Posted on 10 Apr, 2009 09:43 AM अर्घ्यम् के अर्बन वाटर इनिशिएटिव हेतु सोशल डेवलपमेंट- कंसल्टेंट के रिक्त पद के लिए आवेदन आमंत्रित है।
अर्घ्यम् एक गैर लाभकारी संस्था है जिसका उद्देश्य, 'साफ, सुरक्षित जल, सदा सबके लिए' है। सहभागिता और अनुदान के माध्यम् से यह रणनीतिक कार्यों और सभी नागरिकों के लिए स्थिरता और समानता के मुद्दों को समर्थन देता है।
कार्यशाला- इंडो-जर्मन वाटर नेटवर्क
Posted on 05 Apr, 2009 11:34 AM
जर्मन संघीय मंत्रालय, शिक्षा और अनुसंधान, द्वारा समर्थित,

भारत - जर्मन वाटर नेटवर्क

,की स्थापना जर्मन कंपनियों और अनुसंधान संस्थानों द्वारा की गई है।

जल विवादों पर फिल्मोत्सव
Posted on 09 Oct, 2008 06:11 PM “Peace and Conflict Resolution: Reflections through Cinema”शीर्षक से मेटा- कल्चर डायलोजिक्स, बंगलौर फिल्म सोसायटी, एलायंस फ्रेंकैस डि बैंगलोर और मैक्समूलर भवन एक सप्ताह तक चलने वाले फिल्मोत्सव का आयोजन कर रहे हैं। यह उत्सव 13-19 अक्टूबर, 2008 को बंगलौर में आयोजित किया जा रहा है। अर्घ्यम्, सिटिजन मैटर्स और विस्तार के सहयोग से उत्सव का आयोजन किया जा रहा है।
बेंगलुरु का गला सूखा, दुबई में बाढ़ : सबक क्या है
वर्तमान में जिस प्रकार झीलों का शहर बेंगलूरू जल बिना तड़प रहा है, तो दूसरी ओर रेगिस्तान में स्थित दुबई और ओमान जल की अधिकता से डूबते दिखे, उससे स्पष्ट है कि प्रकृति में जल तत्व का संतुलन बिगड़ रहा है। Posted on 25 May, 2024 01:11 PM

लोकनायक तुलसीदास जी ने अपने महान ग्रंथ 'रामचरितमानस' में लिखा है 'क्षिति, जल, पावक, गगन, समीरा। पंच तत्व मिलि रचा शरीरा।' स्पष्ट है कि बिना जल के शरीर की रचना संभव नहीं है। जब रचना ही संभव नहीं है तो जीवन का तो प्रश्न ही नहीं उठता। इसीलिए जल को जीवन कहा जाता है। जल मनुष्य ही नहीं अपितु समस्त जीव जन्तुओं एवं वनस्पतियों के लिये एक जीवनदायी तत्व है। इस संसार की कल्पना जल के बिना नहीं की जा सकती है

जलसंकट का दौर
एक एक बूंद का इस्तेमाल करना होगा
Posted on 06 May, 2019 04:12 PM

पिछले साल गर्मियों में हिमालय की गोद में बसे शहर शिमला में पानी की भारी किल्लत हो गई थी। इस शहर को अपनी जरूरतें पूरी करने के लिए रोजाना 440 लाख लीटर पानी की आवश्यकता होती है, लेकिन उस वक्त हालात ऐसे हो गए थे कि हर दिन 150 लाख लीटर पानी जुटाना भी मुश्किल हो गया था। इस कारण स्थानीय लोगों को तो परेशानी से गुजर ना ही पड़ा, यहां आने वाले पर्यटकों को भी खासी मुश्किलें पेश आई। हालांकि इस तरह का जल संकट

एक-एक बूँद पानी का महत्व समझना होगा
पेड़ों पर चलने वाली हर आरी का हिसाब
Posted on 12 Oct, 2018 12:47 PM

वरुण हेमचंद्रन (फोटो फेसबुक पेज से) दो बिल्डरों ने पौधरोपण से सम्बन्धित अखबार में विज्ञापन दिये थे। विज्ञापन से मालूम हुआ कि उन्होंने रोपण के लिये कोई व्यवस्थित योजना नहीं बनाई थी। मसलन, किसी भी प्रकार का पौधा कहीं भी लगाया गया था। जबकि हर पेड़ की अपनी विशेषता होती है। यूकेलिप्टस हर दिन नब्बे लीटर
वरुण हेमचंद्रन (फोटो फेसबुक पेज से)
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