राजस्थान में जल संग्रहण के सनातन रूप
जानिए राजस्थान में प्राचीन कालीन जल-सरंक्षण की परंपरागत प्रणालियां का क्या महत्व है? राजस्थान के अनेक क्षेत्रों में जल महत्त्व की लोक कथाएं काफी प्रचलित हैं।
राजस्थान में जल संग्रहण
पानी के अखाड़े में चुनाव
भारत में लोकसभा 2024 के चुनाव पूरे शबाब पर हैं।  पानी के अखाड़े में चुनाव या चुनाव के अखाड़े में पानी के मुद्दे पर क्या-क्या हो रहा है, पेश है एक विहंगम दृश्य।
लोकसभा 2024 के चुनाव पूरे शबाब पर
जलमोर्चे पर महिलाएं
जल प्रबंधन में महिलाओं की भूमिका आर्थिक महत्व भी रखती है। पानी के प्रबंधन और प्रशासन में महिलाओं का सशक्त बनाना सामाजिक न्याय का भी एक काम है। यह पानी की परियोजनाओं की कुशलता बढ़ाने और परिवार की अतिरिक्त आमदनी में बढ़ावा करने तथा आर्थिक विकास को बढ़ावा देने की एक सामरिक जरूरत बन गई है। भारत के राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों के आकलन यह बताते हैं कि पानी प्रबंधन और प्रशासन में महिलाओं के भागीदारी अगर अच्छी स्थिति में हो तो गरीबी में 10 से 50% की कमी देखी गई है।
जलमोर्चे पर महिलाएं
Political parties urged to pay special attention to rehabilitation of people displaced by climate change
23-point Youth Manifesto urges for ‘rehabilitation with dignity’ and ‘ecosystem restoration’ among other aspects
Youth are the first to migrate out due to extreme climate impacts; should be provided with ‘adequate employment opportunities’ with their right to life and education protected (Image: ADRA, Flickr Commons; CC BY-ND 2.0 DEED)
Saving the Hilsa by letting the Narmada flow!
This study proposes a novel method to determine optimum freshwater release from the Sardar Sarovar Dam to minimise the negative impact on hilsa fish migration in downstream estuaries.
Narmada river at the Sardar Sarovar Dam (Image Source: Jitesh Ukani via Wikimedia Commons)
Understanding drought impacts and strategies: Orange growers in Vidarbha
Discover the systematic strategies employed to mitigate water scarcity and adapt to climatic adversities
Examining orange growers' perceptions and strategies to mitigate drought impacts (Image: Needpix)
बढ़ने लगी हैं पुंछ में भी केसर उत्पादन की संभावनाएं
"पिछले 5 वर्षों से हम केसर को ट्रायल बेस पर लगा रहे थे और 1 साल पहले पूर्ण रूप से इसकी खेती शुरू कर चुके हैं. आप यकीन मानिए परिणाम इतना अच्छा आया कि हमारी प्रोग्रेस को देखते हुए "स्कूल ऑफ बायोटेक्नोलॉजी - यूनिवर्सिटी ऑफ जम्मू" की ओर से हमें 10 लाख रुपए की धनराशि दी गई है. हमारे यहां केसर की पैदावार को देखते हुए जम्मू विश्वविद्यालय के इस विभाग की प्रोफेसर ज्योति ने हमारी बहुत मदद की है. उन्होंने विश्वविद्यालय के पीएचडी स्कॉलर ताहिल भट्टी और एसडीओ, हॉर्टिकल्चर, पुंछ के मोहम्मद फरीद के मार्गदर्शन में हमें रिसर्च के लिए 10 लाख दिए और कहा कि आप यह खोज करें की पुंछ में केसर उत्पादन की और कहां-कहां संभावनाएं हो सकती हैं
केसर के बिरवे
जल संकट के नगरीय आयाम क्या हैं
जर्नल नेचर सस्टेनेबिलिटी में प्रकाशित एक रिसर्च के मुताबिक शहरी आलीशान घरों में रहने वाले लोग बगीचों, स्विमिंग पूल, कारों को धोने के लिए बड़ी मात्रा में पानी की खपत करते हैं, जिसकी कीमत शहर के कमजोर तबके को चुकानी पड़ती है परिणाम होता है कि शहर में मौजूद कमजोर और बंचित समुदायों को अपनी बुनियादी जरूरत को पूरा करने के लिए भी संघर्ष करना पड़ता है, यह असमानताएं क्षेत्र में जलापूर्ति की दीर्घकालिक स्थिरता को बहुत भयानक रूप से प्रभावित करते हैं। हालांकि यह अध्ययन दक्षिण अफ्रीका के केप टाउन शहर पर आधारित है लेकिन साथ ही अपने इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने बैंगलोर, चेन्नई, जकार्ता, सिडनी, मापुटो, हरारे, साओ पाउलो, लंदन, मियामी, बार्सिलोना, बीजिंग, टोक्यो, मेलबर्न, इस्तांबुल, काहिरा, मास्को, मैक्सिको सिटी और रोम जैसे 80 शहरों में समान मुद्दों पर प्रकाश डाला है।


जल संकट के शहरी परिदृश्य
मरुस्थलीकरण और बंजर होने से बचानी होगी कृषि भूमि
जानें क्या करना है बंजर होती कृषि भूमि को रोकने के लिए। मरुस्थलीकरण तेजी से फैल रहा है, मिट्टी की उर्वरता लगातार घटती जा रही है। ऐसे में बंजर भूमि का बढ़ना एक चुनौती बनती जा रही है। मृदा वैज्ञानिकों के मुताबिक मिट्टी की गुणवत्ता में गिरावट के बड़े कारणों में से कृषि में पानी का अत्यधिक इस्तेमाल, मवेशियों के लिए चरागाहों की जरूरत और सूखे की बढ़ती मियाद और भूमि उपयोग का परिवर्तन है।
कृषि भूमियों का मरुस्थलीकरण और बंजर होने का खतरा
क्यों कर रहा है लद्दाख क्लाइमेट फास्ट (जलवायु उपवास)
जानिए क्यों कर रहा है लद्दाख क्लाइमेट फास्ट (जलवायु उपवास)। लद्दाख के 'नाज़ुक' पारिस्थितिकी तंत्र की रक्षा की मांग के साथ लद्दाख को संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग कर रहा है।
लद्दाख के 'नाज़ुक' पारिस्थितिकी तंत्र की रक्षा के लिए आंदोलन
Collaborative approaches to water governance in Indus, the Ganga and the Brahmaputra basin
As the demand for water from the Hindu Kush Himalaya region is expected to rise due to population growth, the impacts of temperature increases, and development requirements, researchers emphasise the urgent need to enhance scientific collaboration and rejuvenate existing treaties and governance structures.
Rivers of destiny (Image: Vikramjit Kakati/Wikimedia Commons; CC BY-SA 3.0 DEED)
देहरादून के निजी स्कूलों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग अनिवार्य
एमडीडीए उपाध्यक्ष तिवारी ने जारी किया आदेश, भूजल के घटते स्तर को देखते हुए उठाया गया कदम
विद्यालयों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग (वर्षा जल संग्रहण) की अनिवार्यता
बेहतर धरती के लिए राजनीतिक पहल जरूरी
आम चुनाव की इस बेला में राजनीतिक जमातों को पर्यावरण की कितनी सूध रहती है? क्या कभी राजनीतिक पार्टियां बताती हैं कि जिस जलवायु परिवर्तन के चलते देश के पहाड़ों से मैदानों तक हर साल बाढ़, सूखा, अचानक भारी बारिश से होने वाले भूस्खलन, तेजी से मिलते ग्लेशियर से हमारा भविष्य दांव पर लगा है। उसे बचने के लिए ये क्या करेंगी? जमीन पर भले न करें, कम-से-कम चुनावी वादा ही कर दें। लेकिन बेहद अफसोस और चिंता की बात है कि ऐसे गंभीर विषय देश के नीति-नियंताओं को प्राथमिकता सूची से बाहर है।
पर्यावरणीय मुद्दे
Role of irrigation in improving farm efficiency in tribal villages of Eastern India
This study found that irrigation, mainly surface irrigation played an important role in improving farm efficiency, but was only accessible to farmers living in the plains.
Paddy cultivation in India. Image for representation purposes only (Image Source: Pranamika Pathak via Wikimedia Commons)
पर्यावरण कानून : विश्व भर में एक समान हों
यह स्पष्ट होना अभी बाकी है कि जलवायु परिवर्तन के प्रतिकूल प्रभावों के खिलाफ लोगों का अधिकार है। ऐसा शायद इसलिए है, क्योंकि ये अधिकार या स्वच्छ पर्यावरण का अधिकार एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। जैसे-जैसे जलवायु परिवर्तन से होने वाली तबाही साल दर साल बढ़ती जा रही है, इसे एक अलग अधिकार के रूप में व्यक्त करना अनिवार्य होता जा रहा है।
पर्यावरण कानून : विश्व भर में एक समान हों
इंसानों के पास 'दुनिया को बचाने के लिए' 2 साल बचे हैं: संयुक्त राष्ट्र की चेतावनी
संयुक्त राष्ट्र के कार्यकारी जलवायु सचिव साइमन स्टिल ने कहा कि वह जानते हैं कि उनकी चेतावनी नाटकीय लग सकती है। स्टिल ने कहा कि दुनिया के देशों की सरकारों को प्रदूषण पर अंकुश लगाने को नई योजनाओं के लिए 2025 की समय सीमा दी गई है।

धरती पर कार्बन प्रदूषण का प्रतिकात्मक चित्र
Mapping groundwater in drought prone Marathwada
Mapping groundwater potential zones (GWPZ) can greatly help in efficient groundwater management through careful use and identifying areas for construction of recharge structures to improve groundwater resources in the region.
Groundwater, a valuable resource (Image Source: India Water Portal)
Clearing the air
A grim reality: India's air quality dilemma as revealed by the World Air Quality Report 2023
Beyond breathable (Image: Mark Danielson, CC BY-NC 2.0 DEED)
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