मध्यप्रदेश: लोगों की पहुंच से दूर क्यों हो रहा जल,  कैसे होगा जल संकट हल
देश का हदय प्रदेश कहा जाने वाला मध्यप्रदेश जल संकट से जूझ रहा है। प्रदेश में बुन्देलखंड क्षेत्र की पहचान अब सूखे के रूप में हो रही है। बुन्देलखंड का अहम हिस्सा सागर जिला पहाड़ी इलाके के रूप में विद्यमान है। सागर जिले में पानी का संकट बहुत तेजी से बढ़ रहा है। सागर के आस-पास के ग्रामीण क्षेत्रों की नदियां, कुएं और तालाब सूखते जा रहे हैं। जिससे जिले के कई गाँव में पानी की समस्या गंभीर रूप से मंडरा रही है। 
चांदबर गांव में पानी का इंतजार करती महिलाएं और बच्चे
धरती धधक रही है
चर्चा है कि मानवीय गतिविधियों द्वारा फिलहाल तो पर्यावरण के लिए भयानक संकट पैदा हो गया है। प्रकृति बार-बार विभिन्न तरीके से चेतावनी दे रही है, फिर भी लोग अनसुना कर रहे हैं। करीब करीब दो दशक पहले तक देश के ज्यादातर राज्यों में अप्रैल माह में अधिकतम तापमान औसतन 32-33 डिग्री रहता था अब वह 40 के पार प्राय: रहता है। 
धरती गरम हो रही है
पहाड़ों में वनाग्नि और बढ़ती चुनौतियां
जंगलों में लगने वाली आग से उस क्षेत्र की जैव विविधता जिसमें असंख्य पेड़-पौधों और छोटे -बड़े वन्य जीवों की दुनिया बसी हुई रहती है उस पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। तमाम वनस्पति व जीव-जन्तु, पक्षी, कीड़े-मकोड़े आग की विभीषिका में जलकर नष्ट हो जाते हैं। कई छोटी वनस्पतियां जो पानी को जमीन के अन्दर ले जाने में मददगार साबित होती हैं वह आग से जल जाती हैं। फलतः जमीन के पूरी तरह शुष्क हो जाने पर जहां भू-कटाव का खतरा बढ़ जाता है वहीं जमीन की जलधारण क्षमता घट जाने से आसपास के जलस्रोतों में पानी की मात्रा भी कम होने लगती है अथवा वे सूखने के कगार पर पहुंच जाते हैं।
पहाड़ों में वनाग्नि
भाजपा-कांग्रेस दोनों दलों के घोषणा पत्रों में बस इतना सा है पर्यावरण

पर्यावरण का मुद्दा पिछले दशकों में काफी चर्चा में रहा है। ग्लोबल वार्मिंग की बात हो या पीने के पानी की समस्या या फिर गिरता भू-जल स्तर, सभी चिंता के विषय हैं। ग्लोबल वार्मिंग से बढ़ती गर्मी ने प्रथम चरण के औसतन मतदान को भी प्रभावित किया है। भाजपा का 'पर्यावरण अनुकूल' बनाम कांग्रेस का 'पर्यावरण न्याय' है, पर दोनों केवल नारों जैसे ही लगते हैं। फिलहाल धरती के खतरे के प्रति लापरवाही ही दिखती है। The issue of environment has been much discussed in the last decades. Be it global warming or the problem of drinking water or falling ground water level, all are matters of concern. The increasing heat due to global warming has also affected the average voting in the first phase. There is BJP's 'Environment Friendly' versus Congress's 'Environment Justice', but both seem just like slogans. At present, there seems to be indifference towards the danger to the earth.
घोषणा पत्रों में पर्यावरण नाममात्र
India boils as heat soars!
As temperatures soar, what should India do to adapt to changing conditions to mitigate the adverse impacts of climate change?
Heat waves sweep across India (Image: Maxpixel, CC0 Public Domain)
Accelerating climate action: Bridging the gap from dialogue to action
Climate Asia’s third annual conference was a call to address our planet's growing concerns
People in the face of climate change (Image: UNDP; CC BY-NC-SA 2.0 DEED)
चंपावत की श्यामला ताल झील सूखने लगी है
जानिए क्या कारण है कि चंपावत जिले की एकमात्र झील श्यामलाताल आज अपने अस्तित्व को तलाश रही है और तकरीबन 7 मीटर गहरी झील में अब सिर्फ एक से डेढ़ मीटर पानी रह गया है।
चंपावत की श्यामलाताल झील, प्रतीकात्मक
Can climate smart agriculture help India cope with droughts?
This study found that mainstreaming climate adaptation practices/strategies helped farmers build resilience against droughts by increasing production, and raising incomes and livelihood opportunities equitably.
Climate resilient agriculture to cope with droughts. Image for representation purposes only. (Image Source: India Water Portal)
भारत के 100 शहर भयानक जल संकट की चपेट में हैं
देश में जलसंकट का प्रचार ज्यादा है, काम कम हो रहा है, जलसंकट देश के 90 प्रमुख शहरों में भी गहरा गया है, या कुछ समय बाद विकराल रूप में नजर आएगा। लेख में इस संकट की चर्चा और समाधान |
जलसंकट
आज बेंगलुरु सूखा, कल दिल्ली, मुम्बई, चेन्नई . .
जानिए क्या कारण है, बेंगलुरु जलसंकट का। क्यों आज यह बेंगलुरु की जलसंकट कहानी है, कल आपके शहर की होने वाली है।  
बेंगलुरु जलसंकट
Enhancing livelihood security in wasteland-dominated areas
Importance of tailored strategies to address spatial inequalities and promote sustainable development
Addressing livelihood challenges in wasteland regions (Image: Biswarup Ganguly; Wikimedia Commons)
पानी संकट का वर्तमान-भूत-भविष्य
जल संकट वर्तमान में विश्वव्यापी और विश्व की बड़ी समस्याओं में से एक बन चुका है। धरती का धरातल का दो-तिहाई पानी होने के बावजूद हम गंभीर रूप से जल-संकट का सामना कर रहे हैं।

विश्वव्यापी जल संकट
Saving tropical riverine grasslands of the Brahmaputra floodplains
What needs to be done to save the tropical riverine grasslands of the Brahmaputra floodplains? A study finds out.
Grassland in the Kaziranga National Park in Assam (Image Source: Debabrata Phukon via Wikimedia Commons)
स्कूलों में पढ़ाया जाए जल-पाठ
पहले केपटाउन और अब बेंगलुरु जलसंकट ने वैश्विक जगत को नई चिंता में डाल दिया है। बेंगलुरु जल संकट यह भी दर्शाता है कि हमने केपटाउन जल संकट से कोई सबक नहीं लिया। First the CapeTown and now the Bengaluru water crisis has put the global world under new concern. The Bengaluru water crisis also shows that we did not learn any lessons from the CapeTown water crisis.
स्कूलों में पढ़ाया जाए जल संरक्षण
तपती गर्मी में खारा पानी की सज़ा
"जैसे जैसे गर्मी बढ़ रही है, गांव में पानी की समस्या भी बढ़ती जा रही है. जो स्रोत उपलब्ध हैं उसमें इतना खारा पानी आता है कि हम लोगों से पिया भी नहीं जाता है. यदि मजबूरीवश पी लिया तो पेट में दर्द और दस्त होने लगते हैं. पिता जी और गाँव वाले मिलकर पानी का टैंकर मँगवाते हैं, जिससे हमें पीने का पानी उपलब्ध होता है. लेकिन स्कूल में ऐसी सुविधा उपलब्ध नहीं है. वहां हमें यही खारा पानी पीने पर मजबूर होना पड़ता है. इसलिए स्कूल भी जाने का दिल नहीं करता है." यह कहना है 9वीं कक्षा की छात्रा 15 वर्षीय किशोरी पूजा राजपूत का।
प्रदूषित पानी पीने को मजबूर
एक रास्ता है गोवा का सफल मॉडल
2047 तक विकसित भारत का सपना 140 करोड़ भारतवासियों की आंखों में पल रहा है तो उस दौर में भी विकास के नित नए कीर्तिमान रचते भारत में जल संकट एक कड़वी सच्चाई है, जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। हम सभी इस तथ्य से भली भांति अवगत हैं कि भारत में पीने के पानी के स्रोत सीमित हैं। एक राष्ट्र के रूप में जैसे-जैसे देश प्रगति कर रहा है, विकसित देशों की श्रेणी में शामिल होने के करीब पहुंच रहा है। जल-संकट दिनों-दिन गंभीर होता जा रहा है।
गोवा के जलजीवन मिशन की प्रतिकात्मक तस्वीर
बेंगलुरु के केपटाउन हो जाने के खतरे को पहचानिए : दपिंदर कपूर
देश के आईटी हब के रूप में प्रसिद्ध शहर बेंगलुरु में इन दिनों पानी की कमी से हाहाकार मचा है। इस समस्या के कारणों और उनके कुछ उपायों पर नई दिल्ली के पर्यावरणविद एवं ‘सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट’ में वाटर प्रोग्राम डायरेक्टर, दपिंदर सिंह कपूर से वरिष्ठ पत्रकार अनिरुद्ध गौड़ की बातचीत के खास अंश
अर्बन जलसंकट
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