केन्द्रीय भूमिजल बोर्ड द्वारा अनुमोदित भूमिजल पुनर्भरण करने के तरीके व तकनीकें (भाग 2) | Methods and techniques of ground water recharging approved by Central Ground Water Board
केन्द्रीय भूमिजल बोर्ड द्वारा अनुमोदित भूमिजल पुनर्भरण करने के तरीके व तकनीकें (भाग 2) में हम आगे की कुछ तकनीकों के बारे में जानेंगे। भूजल संचयन की विधियाँ शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों के लिए अलग-अलग हो सकती हैं क्योंकि शहरों में मकानों, फर्श, सड़कों आदि की संरचना गांवों से भिन्न होती है। अतः ग्रामीण इलाकों व शहरी इलाकों के लिए वर्षाजल संचयन के लिए केन्द्रीय भूमिजल बोर्ड ने शहरी क्षेत्रों व ग्रामीण क्षेत्रों के लिए अगल-अलग तकनीकों को विकसित किया है।
मॉडर्न रिचार्ज कुआं
Climate action in urban spaces: SEEDS cool roof solutions in Delhi slums
From scorching to sustainable: Building resilience against heatwaves
A multifaceted approach to urban heatwaves (Image: Sri Kolari)
वातावरणीय प्रदूषण एवं प्रजनन स्वास्थ्य
यह लेख आईसीएमआर के अहमदाबाद स्थित राष्ट्रीय व्यावसायिक स्वास्थ्य संस्थान के वैज्ञानिक 'जी' एवं प्रभारी निदेशक डॉ सुनील कुमार द्वारा "वातावरणीय प्रदूषण, जीवन शैली एवं प्रजनन स्वास्थ्य शीर्षक से उनकी पुस्तक में प्रकाशित आलेख पर आधारित है। This article is based on an article published by Dr. Sunil Kumar, Scientist 'G' and Director-in-charge, National Institute of Occupational Health, Ahmedabad, ICMR, in his book titled "Environmental Pollution, Lifestyle and Reproductive Health."
Environmental pollution and reproductive health
Spatial variations of water poverty determinants in Maharashtra
This study from Maharashtra underlines the importance of exploring intra-district variations among components of water poverty to aid in local-scale policy-making for better water resource management.
Local level water poverty assessment important for better water resource management (Image Source: IWP Flickr photos)
How cashew nut shells power a sustainable future
Usage of cashew nut shells as an alternative fuel
From waste to energy (Image: PxHere; CC0 Public Domain)
Economic viability of drip irrigation in Maharashtra
A benefit-cost ratio analysis of cultivation of banana, sugarcane and cotton in Maharashtra indicated that drip investment for all three crops was economically viable with and without subsidy.
Economic viability of micro irrigation (Image: Anton: Wikimedia Commons)
Importance of water for shared prosperity
From scarcity to sustainability: Tackling global water challenges
Water for all (Image: Davide Restivo, Wikimedia Commons)
बेंगलुरु का गला सूखा, दुबई में बाढ़ : सबक क्या है
वर्तमान में जिस प्रकार झीलों का शहर बेंगलूरू जल बिना तड़प रहा है, तो दूसरी ओर रेगिस्तान में स्थित दुबई और ओमान जल की अधिकता से डूबते दिखे, उससे स्पष्ट है कि प्रकृति में जल तत्व का संतुलन बिगड़ रहा है।
जलसंकट का दौर
यूसर्क द्वारा विद्यार्थियों के लिए दो दिवसीय 'वॉटर साइंस एंड टेक्नोलॉजी' कार्यशाला प्रारंभ 
उत्तराखंड विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान केंद्र (यूसर्क) द्वारा स्कूल के विद्यार्थियों के लिए दो दिवसीय "वॉटर साइंस एंड टेक्नोलॉजी" कार्यशाला का आरंभ किया। भागीदारी के लिए आप भवतोष शर्मा को संपर्क कर सकते हैं।
यूसर्क में दो दिवसीय "वॉटर साइंस एंड टेक्नोलॉजी" कार्यशाला
Innovative startups for a greener, period-positive future
5 Startups that are debunking menstrual myths and promoting sustainable menstrual products and practices
Reports suggest that in India, only around 13% of girls are aware of menstruation before their first period (Image: Eco femme)
The price of mining on indigenous lands
Resource extraction, environmental degradation, and lost livelihoods
Work in progress in the coal mines in Odisha (Image: India Water Portal Flickr)
जल जीवन मिशन का सुफल : करोड़ों घरों में नल से स्वच्छ जल
भारत आज जल क्षेत्र में सर्वाधिक निवेश और व्यापक लक्ष्यों के लिहाज से सबसे अहम है जल जीवन मिशन (जेजेएम) की सफलता। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा भी है कि जल जीवन मिशन का विजन लोगों तक पानी पहुंचाने का तो है ही, साथ ही यह विकेंद्रीकरण का भी एक बहुत बड़ा माध्यम है। यह ग्राम-संचालित और नारी शक्ति-संचालित है। इसका मुख्य आधार जन आंदोलन और जन भागीदारी है।
जल जीवन मिशन में बड़ी मात्रा में ढांचागत निर्माण हुए हैं
तीन जलनायक : शिक्षक एमसी कांडपाल, जगत सिंह जंगली और बृजमोहन शर्मा
उत्तराखंड में पानी का संकट बढ़ता जा रहा है, जिससे गर्मियों में राजधानी देहरादून सहित अन्य शहरों में पीने के पानी की कमी से लोग परेशान हैं। कुछ लोग इस समस्या से इतने चिंतित हैं कि उन्होंने पानी के संरक्षण के लिए एक नहीं, तीन दशक से काम कर रहे हैं।
50 साल पहले उत्तराखंड की नदियां कैसी थीं
Water reuse: Panacea for parching cities
Boson White Water sets an example for water starved cities such as Bangalore by following a sustainable decentralised approach to manage wastewater and treat it for reuse.
Wastewater reuse plant at Boson White Water (Image Source: Manisha Shah)
विश्व कछुआ दिवस : चंबलघाटी की पांच नदियों में मिल रहा है दुर्लभ कछुओं को 'जीवनदान'
भले ही कछुओं की तस्करी हर ओर होती हो लेकिन अर्से तक कुख्यात डाकुओं के आतंक से जूझती रही चंबल घाटी की पांच नदियों में हजारों सालों से प्राकृतिक रूप से दुर्लभ प्रजाति के कछुओं को जीवनदान मिल रहा है।
राजीव चौहान दुर्लभ प्रजाती के कछुए के साथ
Mainstreaming gender in participatory irrigation management: Why does empowerment matter?
Bridging the gender divide in Participatory Irrigation Management
Woman member of water user association is giving fish feed to a community pond in West Midnapore in West Bengal (Image: Tanmoy Bhaduri/IWMI)
जल में जन भागीदारी जरूरी
कुछ ही वर्षों में देश के अनेक शहरों में जल की उपलब्धता जरूरत के अनुसार संभव ही नहीं रहेगी। इसलिए जल का संरक्षण करना बहुत आवश्यक है। हम यह कहते नहीं थकते कि जल ही जीवन है, लेकिन इसके संरक्षण के पारंपरिक उपायों को हमने त्याग दिया है जबकि ये बेहद सरल और सहज थे।
जल में जन भागीदारी
Preventing contamination of river Danro in Jharkhand
Local microlevel water quality assessments, proactive measures such as floating bed remediation and immediate regulatory actions are urgently need to save the river Danro from further deterioration.
Domestic sewage is one of the important pollutants of river Danro. Image for representation purposes only. (Image Source: Sangram Jadhav via Wikimedia Commons)
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