सूखा और बाढ़

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May 18, 2024 A case study of women-led climate resilient farming by Swayam Shikshan Prayog
Building the resilience of women farmers (Image: ICRISAT, Flcikr Commons)
April 25, 2024 Understanding the impact of heat on our world
Rising temperatures, rising risks (Image: Kim Kestler, publicdomainpictures.net)
March 30, 2024 A recent study finds that climate change induced extreme weather events such as droughts can increase the vulnerability of women to Intimate Partner Violence (IPV).
Droughts affect women the most (Image Source: Gaurav Bhosale via Wikimedia Commons)
January 22, 2024 This study finds that baseflows have a stronger triggering effect on river floods in Peninsular India as compared to rainfall and soil moisture.
River floods and groundwater, the connection. Image for representation purposes only. (Image Source: India Water Portal)
July 14, 2023 These states are at the forefront of flood early warning systems
Previously drought-prone areas are now facing floods (Image: Needpix)
July 7, 2023 WOTR study throws important new findings
The study by WOTR and Wageningen University researchers emphasizes the need to prioritize adaptive capacities alongside agricultural productivity (Image: WallpaperFlare)
कहीं जरूरत से ज्यादा तो कहीं कम बारिश ने मुश्किले बढ़ाईं
Posted on 01 Aug, 2012 04:56 PM

पश्चिम बंगाल में 15 जुलाई से 15 अगस्त के बीच धान के पौधों को खेतों में रोपने का काम पूरा कर लिया जाता है। लेकिन

औसत से 27 फीसदी कम बरसा है मानसून
Posted on 01 Aug, 2012 04:49 PM

राजस्थान पर अकाल का साया एक बार फिर से मंडराने लगा है। वैसे भी राजस्थान और अकाल का चोली-दामन सा नाता है। राजस्था

रजवाहों में पानी नहीं, खेतों में दरारें
Posted on 01 Aug, 2012 03:49 PM

मानसून की देरी से रजवाहे जहां सूखे पड़े हैं, वहीं किसानों के खेतों में भी दरारें पड़ने लगी है। चौ.

सूखे की आहट
Posted on 01 Aug, 2012 03:44 PM

पूर्वी उ.प्र.

रूठे मानसून की देश को चुनौती
Posted on 31 Jul, 2012 10:30 AM

तपती और फटती धरती को तो वर्षा की फुहारें ही राहत दे सकती हैं। बारिश के अभाव में गर्मी से लोगों की छटपटहाट और इसक

बुंदेलखंड में सूखे का संकट
Posted on 26 Jul, 2012 04:20 PM जिस बुन्देलखंड में कुंओं की खुदाई के समय पानी की पहली बूंद के दिखते ही गंगा माई की जयकार गूंजने लगती थी, वहां अब अकाल की छाया मंडराने लगी है। सूखे खेतों में ऐसी मोटी और गहरी दरारें पड़ गई हैं, जैसे जन्म के बैरियों के दिलों में होती हैं। बुंदेलखंड में पानी का संकट की नया नहीं है। लेकिन जिस तरह से कुछ सालों में प्राकृतिक संसाधनों की लूट ही है उससे हालत पुरी तरह बिगड़ गई है। चंदेलकालीन सैकड़ों ताल
सूखा : अब सरकार भी लाचार
Posted on 26 Jul, 2012 03:32 PM देश में मानसून की तानाशाही के कारण सूखे का संकट मंडराने लगा है। बारिश का मौसम आधा बीतने के बाद ऐसा लग रहा है कि मानसून की समाप्ति सूखे के साथ होगी। भारत के कई राज्यों में सूखे की आशंका होने लगी है। नतीजा यह कि इससे आजीविका के संकट से लेकर भुखमरी, पलायन और कृषि समस्या बुरी तरह प्रभावित होगा। इस मानसून में बारिश कम होने से खरीफ ही नहीं, रबी फसलें भी प्रभावित होंगी। मानसूनी बारिश से खेतों में नमी
बारिश का क्या फायदा, जब फसल सूख गई
Posted on 26 Jul, 2012 10:02 AM बारिश की देरी ने राजस्थान, महाराष्ट्र और कर्नाटक आदि में मोटे अनाजों की बुआई पर असर डाला है। अपर्याप्त बारिश इस चिंता को बढ़ा रही है कि गर्मियों में बोई जाने वाली प्रधान फसलों जैसे चावल, तिलहन और गन्ने का उत्पादन पिछले एक-दो सालों में बनाये अपने रिकॉर्ड स्तर से गिर जायेगा। बारिश हर बार नए मुहावरे लेकर आती है। अखबारों में इसके लिए शेरो-शायरी नहीं, बल्कि आशंका से भरी हेडलाइन्स की भरमार होती है। 7
सूखे की आशंका और उससे आगे
Posted on 26 Jul, 2012 09:00 AM सूखे की आहट किसानों तथा देश के लिए एक बुरी खबर है। इससे खाद्यान्न संकट तो होगा ही मंहगाई भी अपने चरम सीमा पर होगी। इतिहास में सूखे और अकाल की दिल दहलाने वाली दास्तानों की कमी नहीं है। अकाल का सीधा संबंध ही वर्षा होता है। सरकारी नीतियां वर्षा की भरपाई नहीं कर सकतीं लेकिन इससे प्रभावित लोगों को सहायता देकर उनकी मुश्किलें थोड़ा कम कर सकती हैं। सूखे से होने वाले संकट को रूबरू कराते देविंदर शर्मा।
कमजोर मानसून से सूखे की आशंका
Posted on 24 Jul, 2012 11:40 AM इस बार कमजोर मानसून की वजह से सूखे की आशंका ने किसानों की मुसीबत बढ़ा दी है। जुलाई का तीसरा हफ्ता बीत गया लेकिन बारिश का कोई आसार नहीं है। इसका असर खेती और पीने के पानी पर दिखने लगा है। कमजोर मॉनसून की वजह से न सिर्फ खेती और जल प्रबंधन में दिक्कत आ रही है बल्कि खाने-पीने की चीजों की कीमतें भी बढ़ रही हैं। पिछले साल के मुकाबले इस बार 8 लाख हेक्टेयर क्षेत्र कम बुआई हुई है। इससे ज्वार बाजरा जैसे प
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