सूखा और बाढ़

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Building the resilience of women farmers (Image: ICRISAT, Flcikr Commons)
April 25, 2024 Understanding the impact of heat on our world
Rising temperatures, rising risks (Image: Kim Kestler, publicdomainpictures.net)
March 30, 2024 A recent study finds that climate change induced extreme weather events such as droughts can increase the vulnerability of women to Intimate Partner Violence (IPV).
Droughts affect women the most (Image Source: Gaurav Bhosale via Wikimedia Commons)
January 22, 2024 This study finds that baseflows have a stronger triggering effect on river floods in Peninsular India as compared to rainfall and soil moisture.
River floods and groundwater, the connection. Image for representation purposes only. (Image Source: India Water Portal)
July 14, 2023 These states are at the forefront of flood early warning systems
Previously drought-prone areas are now facing floods (Image: Needpix)
July 7, 2023 WOTR study throws important new findings
The study by WOTR and Wageningen University researchers emphasizes the need to prioritize adaptive capacities alongside agricultural productivity (Image: WallpaperFlare)
कोसी: पुरानी कहानी, नया पाठ
Posted on 24 Aug, 2012 12:11 PM

भारत यायावर द्वारा संपादित फणीश्वरनाथ रेणु के चुनिंदा रिपोर्ताज रचनाओं के संग्रह से ‘पुरानी कहानी : नया पाठ’ रिपोर्ताज लिया गया है। रेणु रिपोर्ताज के काफी बड़े आयाम में बाढ़ फैला हुआ है। बाढ़ उनके जेहन में ऐसे फैला हुआ था कि रेणु घंटों-घंटों संस्मरण सुनाते रह सकते थे। ‘पुरानी कहानी : नया पाठ’ में रेणु ने कोसी की बाढ़ कथा को रिपोर्ताज के रूप में प्रस्तुत किया है।

बंगाल की खाड़ी में डिप्रेशन–तूफान–उठा!

हिमालय की किसी चोटी का बर्फ पिघला और तराई के घनघोर जंगलों के ऊपर काले-काले बादल मंडराने लगे। दिशाएं सांस रोके मौन-स्तब्ध!

कारी-कोसी के कछार पर चरते हुए पशु-गाय, बैल, भैंस-नदी में पानी पीते समय कुछ सूंघकर भड़के, आंतकित हुए। एक बूढ़ी गाय पूंछ उठाकर आर्त-नाद करती हुई भागी। बूढ़े चरवाहे ने नदी के जल को गौर से देखा। चुल्लू में लिया-कनकन ठंडा! सूवा-सचमुच, गेरुआ पानी!

गेरुआ पानी अर्थात पहाड़ का पानी-बाढ़ का पानी?
जवान चरवाहों ने उसकी बात को हंसी में उड़ा दिया। किंतु जानवरों की देह की कंपकंपी बढ़ती गयी। वे झुंड बांधकर कगार पर खड़े नदी की ओर देखते और भड़कते। फिर धरती पर मुँह नहीं रोपा किसी बछड़े ने भी।
डायन कोसी
Posted on 23 Aug, 2012 11:08 AM

फणीश्वरनाथ रेणु मुंशी प्रेमचंद के बाद के काल के सबसे प्रमुख रचनाकार हैं। मैला आंचल, परति परिकथा सहित कई उपन्यासों के रचनाकार रेणु रिपोर्ताज भी लिखते थे। उनके प्रसिद्ध रिपोर्ताज में बाढ़ पर ‘जै गंगे’ (1947), ‘डायन कोसी’ (1948), ‘अकाल पर हड्डियों का पुल’ तथा ‘हिल रहा हिमालय’ आदि प्रमुख हैं। ‘डायन कोसी’ इनमें सर्वाधिक चर्चित माना गया है। इसका कई भाषाओं में अनुवाद भी हुआ है। लगभग 65 साल पहले लिखा गया रेणु का ‘डायन कोसी’ रिपोर्ताज बाढ़ और कोसी के कई अनसुलझे पहलुओं को समझने में मदद करता है।

कोसी नदी में आई बाढ़ से हो रहा मिट्टी कटावकोसी नदी में आई बाढ़ से हो रहा मिट्टी कटावहिमालय की किसी चोटी की बर्फ पिघली या किसी तराई में घनघोर वर्षा हुई और कोसी की निर्मल धारा में गंदले पानी की हल्की रेखा छा गई।

बांधों से आई बाढ़ की आफत
Posted on 17 Aug, 2012 12:31 PM

आजकल बाढ़ प्राकृतिक होने की बजाय मानव निर्मित ज्यादा दिखाई देने लगी है। बाढ़ से बचने के लिए हमें नदियों के जल-भर

flood
न बरखा, न खेती
Posted on 10 Aug, 2012 10:45 AM भारत एक कृषि प्रधान देश है और यहां की 70 प्रतिशत जनता कृषि से जुड़ी हुई है। भारतीय कृषि मानसून आधारित कृषि है। कृषि के लिए पानी की कोई भी व्यवस्था कर ली जाए लेकिन आसमान से वर्षा के रूप में ही पानी हमें मिलता है। इस बार कमजोर मानसून की वजह से सारी भविष्यवाणियां धरी की धरी रह गई हैं और देश में खतरे की घंटी बजनी शुरू हो गई है। जहां एक तरफ लोग गर्मी से बेहाल हुए हैं वहीं दूसरी ओर बारिश कम होने से फ
डरना सूखे के जिक्र से
Posted on 09 Aug, 2012 03:35 PM जीडीपी में 14 फीसद का योगदान करनेवाले कृषि क्षेत्र की सरकार को कोई खास परवाह नहीं
सूखे के कगार पर खेत-खलिहान
Posted on 08 Aug, 2012 12:08 PM देश को हासिल होने वाली कुल सालाना बरसात में दक्षिणी-पश्चिमी मानसून की हिस्सेदारी लगभग 75 फीसद तक होती है। दूसरी ओर, भारत के कुल सालाना कृषि उत्पादन में खरीफ की फसलों का योगदान 53 फीसद होता है। ऐसे में जाहिर है कि अगर यह मानसून डगमगाता है तो देश की नाजुक खाद्य टोकरी में हलचल शुरू हो जाती है। देश के 83 फीसद क्षेत्र पर सामान्य से कम वर्षा हुई है। मोटे तौर पर हालात सूखे जैसे बन रहे हैं।
अकाल की आहट
Posted on 07 Aug, 2012 12:34 PM

मानसून और भारतीय कृषि का संबंध पारंपरिक है। पर हर बार होता यही है कि हमारी खेती और किसानी से जुड़ी पूरी अर्थव्यवस्था मानसून की मेहरबानी की मोहताज रहती है। जलवायु चक्र में बदलाव और देश की अर्थव्यवस्था के साथ जीवनशैली में आए पिछले कुछ दशकों के परिवर्तन ने इस मोहताजी के आगे के संकट भी सतह पर ला दिए हैं। यही कारण है कि मानसून की लेट-लतीफी से पैदा हुई समस्याओं और आशंकाओं ने प्रकृति के साथ हमारे स

drought in india
सूखे और बाढ़ की दोहरी मार, ये है बिहार
Posted on 03 Aug, 2012 10:02 AM

कोसी, गंडक, बूढ़ी गंडक, बागमती, कमला बलान, महानंदा और अघवारा नदी समूह की अधिकांश नदियां नेपाल से निकलती हैं। इन

कृषि जागरूकता की अधूरी पहल
Posted on 01 Aug, 2012 05:19 PM

राज्य सरकारें भी कृषि को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न योजनाओं की घोषणा करती रही है। परंतु यह योजनाएं जो एक पहल के

कमजोर मानसून ने बढ़ाई सरकार की चिंता
Posted on 01 Aug, 2012 05:00 PM

उत्तराखंड में कमजोर मानसून के चलते सूखे की ओर इशारा कर रहा है। राज्य सरकार ने जिलों से फसलों का ब्यौरा मांगा है।

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