पल्थरा एक छोटा सा आदिवासी गांव है, जो मध्यप्रदेश के पन्ना जिला मुख्यालय से करीब 35 किलोमीटर दूर जंगल में है। यहां समुदाय ने आगे बढ़कर जल प्रबंधन का काम अपने हाथ में ले लिया है और यहां न केवल वर्तमान में नल-जल योजना का सुचारू संचालन हो रहा है, बल्कि भविष्य में पानी की दिक्कत न हो, इस पर भी ध्यान दिया जा रहा है। यहां हर घर में नल कनेक्शन है।
Posted on 11 Jan, 2016 03:29 PM सृष्टि का निर्माण प्रकृति के पाँच आधारभूत तत्त्वों अग्नि, वायु, भूमि, आकाश व जल से हुआ है। इन तत्त्वों में से किसी एक की भी कमी सृष्टि के अस्तित्व को खतरे में डाल सकती है। जल मनुष्य की आधारभूत आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये नितान्त आवश्यक है। कहा जाता है कि जल ही जीवन है। जल की महत्ता को प्रदर्शित करने के लिये हमारे यहाँ ऋषि, मुनियों ने जल को अमृत कह
Posted on 08 Jan, 2016 01:48 PM सन्त बलबीर सिंह सीचेवाल की शख्सियत अब किसी पहचान की मोहताज नहीं रही। देसी-विदेशी मीडिया ने सन्त बलबीर सिंह सीचेवाल की सोच व कारगुजारी को पूरा सम्मान दिया है। देश के पूर्व राष्ट्रपति ने पर्यावरण सम्बन्धित एक संदेश में बाबा सीचेवाल का खासतौर पर जिक्र करके उनके काम को मान्यता दी है। गुरुनानक देव जी के काल की काली बेई नदी को पुनर्जीवित करने की राह पर चल रहे बाबा सीचेवाल की कार्यप्रणाली व किए
Posted on 07 Jan, 2016 01:25 PM संयुक्त राष्ट्र की संस्था भूमण्डलीय जल आँकलन द्वारा जारी शोध आख्या के अनुसार भविष्य में तेल के बजाय पानी के लिये युद्ध होंगे। यदि कृषि में स्वच्छ जल आवश्यकता से अधिक प्रयोग होता रहा तो सन 2020 तक स्वच्छ जल स्रोतों की दशा चिन्तनीय हो जायेगी। नदियों के पानी में मछली व अन्य जलचरों का शिकार होते रहने से समुद्री व नदीय जल पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। जल का विकल्प न होने के कारण इसका दुरुपयोग रोकन
Posted on 07 Jan, 2016 09:50 AM बुन्देलखण्ड में 2013 के साल को छोड़ दें तो अवर्षा के कारण सूखे की कुदरती मार एक बार फिर गम्भीर हो चुकी है। अति सूखा ग्रस्त इलाकों में महोबा, हमीरपुर, चित्रकूट, बांदा, झाँसी और ललितपुर हैं। लाखों की संख्या में लोग पलायन कर रहे हैं। पहले रबी की फसल कमजोर हुई और अब खरीफ की फसल भी लगभग बर्बाद हो गई है नतीजा लोग भुखमरी झेल रहे हैं। पानी और चारा की कमी के कारण पालतू गायों को लोग खुला छोड़ रहे हैं अन्ना प्रथा जोर पकड़ रही है और सियार जैसे जंगली जानवर गोइणर में मरे पाए जा रहे हैं। बरसात का मौसम बीत चुका है, सर्दियाँ आ चुकी हैं और गर्मी आने वाली है। आने वाली गर्मी में पानी की किल्लत की आशंका से लोग अभी से हलकान हैं। लोग चिन्तित हैं कि जब सर्दी में ही पानी की दिक्कत हो रही है तो गर्मी में हलक कैसे गीला होगा।
पिछले दो-तीन दशकों से सतही पानी और भूजल में भारी गिरावट देखी जा रही है। भूजल स्तर के लगातार गिरावट से हैण्डपम्प, ट्यूबवेल और नलकूप साथ छोड़ते जा रहे हैं। बड़े-बड़े तालाब भी सूख चले हैं। ऐसे में कोई ऐसा तालाब दिख जाए जिसमें अभी भी 20 फीट पानी भरा हो तो रेगिस्तान में नखलिस्तान जैसा ही नज़र आता है।
Posted on 05 Jan, 2016 10:35 AM चोहड़े, पहाड़ी नालों पर चेकडैम, तालाबों की मेड़बंदी के प्रयासों के बावजूद दूर नजर आ रही मंजिल तक पहुँचने के लिये एक टोली ने बुंदेली रवायतों को फिर बढ़ावा देने का प्रयास शुरू किया है। जिसमें प्रसूता से ‘कुआँ पूजा’ और वधू की विदा के समय पानीदार कुओं में ताम्बे का सिक्का डालने और राह में मिलने वाली नदी की पूजा अर्चना शामिल है। मक्सद, कुआँ, नदी के प्रति आस्था पैदा कर जल संरक्षण के लिये प्रेरित क