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संरक्षण - जल उपयोग को कम करना
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बूँद-बूँद पानी सहेजने की सीख
Posted on 05 Jan, 2016 10:24 AMजिले के ऐतिहासिक महत्त्व के आसई गाँव के करीब ढाई कि.मी. इलाके में जमीन में प्राकृतिक स्रोत फूटे हैं। इनसे साल भर पानी रिसता है। इस बूँद-बूँद पानी को सहेज कर गाँव वालों ने जल प्रबन्धन का बेहतर इन्तजाम किया है। आस-पास छह तालाब खोदे गए हैं, जो इसके पानी से लबालब हैं। इनसे रोजमर्रा के काम के साथ ही करीब 20 एकड़ से अधिक खेती की सिंचाई होती है।
जल-संरक्षण तो विश्व-धर्म होना चाहिए
Posted on 04 Jan, 2016 01:43 PMजल वस्तुतः जीवन है, जल सृष्टि का मूल है और विश्व के सभी धर्मों के अनुरूप जल ही वस्तुतः ब्रह्म भी है। विज्ञान के अनुसार जल मूलतः प्राणदायी ‘ऑक्सीजन’ और ‘हाइड्रोजन’ का एक और दो के अनुपात में सम्मिलित रूप है, लेकिन सामान्य प्राणी के लिये तो जल सचमुच ही जीवन है, जीवन का आधार है।
कहाँ गुम होते जा रहे हैं -हम
Posted on 03 Jan, 2016 11:42 AMइस योजना का प्रमुख अंग था हिमालय के समानान्तर एक बड़ी नहर का निर्माण करके उसे मध्य देश और
कहाँ गुम होते जा रहे हैं ये तालाब
Posted on 03 Jan, 2016 11:22 AMसचमुच, ये धरती माता, एक मटके के समान ही है, जिसमें से लगातार पानी उलीचा जा रहा है। हमारे
अटारी खेजड़ा का रास्ता
Posted on 03 Jan, 2016 10:42 AMअटारी खेजड़ा गाँव के लोग पशुओं को पानी उपलब्ध कराने के मामले में निश्चिंत हैं। चालीस साल त
हैदरगढ़ - भूला हुआ सबक
Posted on 03 Jan, 2016 10:35 AMइस सदी की शुरुआत में जब रियासतों के आपसी युद्ध कम हो गए और सुरक्षा का अहसास बढ़ गया तो नवा
पानी तो है पर कब तक
Posted on 02 Jan, 2016 04:05 PMबारिश में जब सरकारी नलों से गन्दा और मटमैला पानी आता है, कुइयों का पानी साफ और निर्मल रहत
चन्द दिनों की ही जिन्दगी बाकी है
Posted on 02 Jan, 2016 04:01 PMसन 1903 से 1916 के बीच तालाबों पर जो काम हुआ, उसमें मजदूरी ‘कुड़याब’ से दी जाती थी यानि मि
अब तो बस यादों में ही बचे हैं उदयपुर के तालाब
Posted on 02 Jan, 2016 03:56 PMचन्द साल पहले पानी के लिये जब हाय-हाय शुरू हुई तो नल-जल योजना वालों ने केवटन नदी से पाइप
सिरोंज तालाब-कभी स्टेडियम तो कभी हेलीपैड
Posted on 02 Jan, 2016 11:40 AMसिरोंज में जहाँ घर-घर खारे पानी के कुएँ हैं, तालाब किनारे और नदी पेटे के इन अमृत कुंडों न