भास्कर न्यूज/भोपाल। अमरकंटक से निकलकर कोटेश्वर में समाप्त होने वाली नर्मदा के पानी की शुद्धता का परीक्षण कीड़ों के माध्यम से किया जा रहा है। बॉयोमानीटरिंग पद्धति से किसी नदी की शुद्धता जांचने का मप्र में यह पहला प्रयास है। इसके लिए मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने बॉयो विभाग के रिसर्च वैज्ञानिकों की एक तीन सदस्यीय टीम गठित की है। यह टीम साल भर में इस प्रयोग को पूरा कर विभाग को अपनी रिपोर्ट सौंपेगी। अभी तक जल प्रदूषण की जांच फिजियो केमिकल पद्धति से होती थी। इसमें पानी को बर्तन में भरकर लेबोरेटरी में लाया जाता है और वहां उसकी गुणवत्ता की जांच की जाती है। अब बायोमानीटरिंग पद्धति से रिसर्च वैज्ञानिक पानी की गहराई में जाकर वहां पाए जाने वाले कीड़ों की प्रजातियों के आधार पर पानी की शुद्घता जांच रहे हैं। इसे फिजियो केमिकल पद्धति से सटीक और सस्ता बताया जा रहा है।
मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. रीता कोरी के अनुसार बॉयो विज्ञान में कीड़ों की कई तरह की प्रजातियों का उल्लेख है। कई कीड़े ऐसे हैं, जो साफ पानी में ही बचे रह सकते हैं तो कुछ गंदे पानी में रहना पसंद करते हैं। कुछ ऐसे भी होते हैं जो न तो अधिक गंदे पानी में रह सकते हैं और न ही पूरी तरह साफ पानी में। वे बताती है कीड़े पकड़ने के बाद उसकी प्रजाति का पता लगाया जाता है। यदि साफ पानी में रहने वाली प्रजाति के कीड़े अधिक हैं, तो पानी को शुद्ध करार दिया जाएगा। ऐसा नहीं होने पर पानी को प्रदूषित माना जाएगा। उन्होंने बताया कि अभी परीक्षण चल रहा है, टीम हर तीन माह में जाकर संबंधित पाइंट से कीड़े पकड़कर ला रही है। यह परीक्षण अप्रैल-09 तक चलेगा। यह प्रयोग पूरे वर्ष का है। एक साल में टीम एक पाइंट पर चार बार जाकर वहां से कीड़े पकड़कर लाएगी। नमूने एकत्रित करने के बाद उनका विश्लेषण कर रिपोर्ट तैयार की जाएगी। प्रयोग की शुरुआत अप्रैल-08 से की गई है।
रिसर्च दल के सदस्य डॉ. राकेश पांडे बताते हैं कि वे नदी की गहराई तक जाकर वहां की मिट्टी और पत्थरों से कीड़ों को पकड़ते हैं। इसके लिए वे जाल का सहारा लेते हैं। कई बार उन्हें चार से पांच फीट गहरे पानी में उतरकर वहां की मिट्टी और पत्थर से कीड़े पकड़ने पड़ते हैं। ये कीड़े बिना रीढ़ के होते हैं। तीन सदस्यीय दल में रिसर्च एसोसिएट के साथ दो जूनियर रिसर्च एसोसिएट भी हैं। पाइंट से पकड़े गए कीड़ों को ये अपने साथ प्रयोगशाला में लाते हैं।
बॉयो मानीटरिंग पद्धति से नर्मदा के पानी की जांच के लिए अमरकंटक से लेकर बड़वानी तक 31 पाइंट बनाए गए हैं। रिसर्च दल प्रत्येक तीन माह में वहां जाकर पानी में उतरता है और कीड़े पकड़ता है। अभी तक पाए गए परिणामों में अमरकंटक के रामघाट से लिए पानी के नमूने में गंदे पानी में रहने वाले कीड़ों की संख्या अधिक निकली है। इसके साथ ही सरदार सरोवर बांध से ऊपर कोटेश्वर पर भी पानी में प्रदूषण दर्शाने वाले कीड़े मिले हैं। ओंकारेश्वर, होशंगाबाद के बंद्राभान बांध, नरसिंहपुर के बरमान घाट, डिंडोरी घाट और मंडलेश्वर के पानी में शुद्ध पानी में रहने वाले कीड़े मिले हैं।
साभार – भास्कर न्यूज
कीड़े बताएंगे पानी कितना शुद्ध है
मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. रीता कोरी के अनुसार बॉयो विज्ञान में कीड़ों की कई तरह की प्रजातियों का उल्लेख है। कई कीड़े ऐसे हैं, जो साफ पानी में ही बचे रह सकते हैं तो कुछ गंदे पानी में रहना पसंद करते हैं। कुछ ऐसे भी होते हैं जो न तो अधिक गंदे पानी में रह सकते हैं और न ही पूरी तरह साफ पानी में। वे बताती है कीड़े पकड़ने के बाद उसकी प्रजाति का पता लगाया जाता है। यदि साफ पानी में रहने वाली प्रजाति के कीड़े अधिक हैं, तो पानी को शुद्ध करार दिया जाएगा। ऐसा नहीं होने पर पानी को प्रदूषित माना जाएगा। उन्होंने बताया कि अभी परीक्षण चल रहा है, टीम हर तीन माह में जाकर संबंधित पाइंट से कीड़े पकड़कर ला रही है। यह परीक्षण अप्रैल-09 तक चलेगा। यह प्रयोग पूरे वर्ष का है। एक साल में टीम एक पाइंट पर चार बार जाकर वहां से कीड़े पकड़कर लाएगी। नमूने एकत्रित करने के बाद उनका विश्लेषण कर रिपोर्ट तैयार की जाएगी। प्रयोग की शुरुआत अप्रैल-08 से की गई है।
ऐसे पकड़ते हैं कीड़े
रिसर्च दल के सदस्य डॉ. राकेश पांडे बताते हैं कि वे नदी की गहराई तक जाकर वहां की मिट्टी और पत्थरों से कीड़ों को पकड़ते हैं। इसके लिए वे जाल का सहारा लेते हैं। कई बार उन्हें चार से पांच फीट गहरे पानी में उतरकर वहां की मिट्टी और पत्थर से कीड़े पकड़ने पड़ते हैं। ये कीड़े बिना रीढ़ के होते हैं। तीन सदस्यीय दल में रिसर्च एसोसिएट के साथ दो जूनियर रिसर्च एसोसिएट भी हैं। पाइंट से पकड़े गए कीड़ों को ये अपने साथ प्रयोगशाला में लाते हैं।
नर्मदा में बनाए 31 पाइंट
बॉयो मानीटरिंग पद्धति से नर्मदा के पानी की जांच के लिए अमरकंटक से लेकर बड़वानी तक 31 पाइंट बनाए गए हैं। रिसर्च दल प्रत्येक तीन माह में वहां जाकर पानी में उतरता है और कीड़े पकड़ता है। अभी तक पाए गए परिणामों में अमरकंटक के रामघाट से लिए पानी के नमूने में गंदे पानी में रहने वाले कीड़ों की संख्या अधिक निकली है। इसके साथ ही सरदार सरोवर बांध से ऊपर कोटेश्वर पर भी पानी में प्रदूषण दर्शाने वाले कीड़े मिले हैं। ओंकारेश्वर, होशंगाबाद के बंद्राभान बांध, नरसिंहपुर के बरमान घाट, डिंडोरी घाट और मंडलेश्वर के पानी में शुद्ध पानी में रहने वाले कीड़े मिले हैं।
साभार – भास्कर न्यूज
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