हिन्दुस्तान

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दून के लिये सौंग-सूर्याधार प्रोजेक्ट से पानी
Posted on 23 Mar, 2018 01:34 PM

सिंचाई विभाग की अत्यंत महत्वाकांक्षी सौंग नदी बाँध और सूर्याधार बैराज प्रोजेक्ट के लिये राज्य सरकार ने बजट में चालीस करोड़ रुपये की व्यवस्था की है। इससे इस योजना के जल्द शुरू होने के आसार हैं। अगले 30 साल तक समूचे देहरादून की पेयजल समस्या को दूर करने के लिये डिज़ायन किए गए इस प्रोजेक्ट के लिये सरकार ने लगभग एक हजार करोड़ रुपये विश्व बैंक और दूसरे संसाधनों से जुटाने का लक्ष्य रखा है।
आज पानी नहीं बचाओगे तो कल क्या पियोगे
Posted on 22 Mar, 2018 03:06 PM

गर्मियों में कई क्षेत्रों में पानी की किल्लत होती है। इस दौरान जल संरक्षण पर कई प्रकार की बातें होती हैं लेकिन ठोस कदम नहीं उठाये जाते। इस पर गम्भीरता से सोचने की जरूरत है।
संगम पर फ्लाई ओवर बना तो सन्त करेंगे आन्दोलन
Posted on 21 Jan, 2015 01:03 PM

‘सरिता समग्र’ सम्मेलन में पहुँची केन्द्रीय मन्त्री उमा भारती, गंगा-यमुना की सहायक नदियों के लिए एकजुटता का आह्वान

Save Ganga
निर्मल भारत अभियान, हरदोई
Posted on 12 Feb, 2014 09:01 AM

1.उद्देश्य:


(अ) ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले लोगो के जीवन स्तर में सुधार लाना।
(ब) ग्रामीण क्षेत्रों में स्थायी परिसम्पति का निर्माण ।
(स) ग्रामीण क्षेत्रो की महिलाओं की अस्मिता एवं मर्यादा हेतु स्वच्छता सुविधाओं का त्वरित गति से आाच्छादन।
‘आइला’ से बदल सकता है मानसून का रुख
Posted on 19 Jun, 2009 07:54 AM

पिछले दिनों बंगाल की खाड़ी में आए चक्रवाती तूफान आइला के कारण देश के कई हिस्सों में तापमान में गिरावट और ऊपरी वायुमंडल में चक्रवाती हवाओं के प्रभाव का क्षेत्र बनने से मानसून की आमद में विलंब होने की संभावना नजर आ रही है।
कोसी तटबंध के लिए
Posted on 24 Jan, 2009 06:34 AM

केंद्र ने तिजोरी खोली

ब्यूरो/ नई दिल्ली/

कोसी क्षेत्र में फिर से प्रलयंकारी बाढ़ नहीं आए इसके लिए केन्द्र सरकार ने तिजोरी खोल दी है। इसके लिए 482.81 करोड़ की दो परियोजनाओं को जल संसाधन मंत्रालय ने स्वीकृति प्रदान की है। इस परियोजना में कुसहा के टूटे तटबंध की मरम्मत तो शामिल ही है, कोसी तटबंध और सपंर्क सड़कों की मरम्मत भी की जाएगी।
पानी पर खतरे की घंटी सुनना जरूरी
Posted on 03 Oct, 2008 09:41 AM

अनिल प्रकाश/ हिन्दुस्तान

भूमिगत जलस्रोतों को कभी अक्षय भंडार माना जाता था, लेकिन ये संचित भंडार अब सूखने लगे हैं। पिछले 50-60 बरस में डीजल और बिजली के शक्तिशाली पम्पों के सहारे खेती, उद्योग और शहरी जरूरतों के लिए इतना पानी खींचा जाने लगा है कि भूजल के प्राकृतिक संचय और यांत्रिक दोहन के बीच का संतुलन बिगड़ गया और जलस्तर नीचे गिरने लगा। केंद्रीय तथा उत्तरी चीन, पाकिस्तान के कई हिस्से, उत्तरी अफ्रीका, मध्यपूर्व तथा अरब देशों में यह समस्या बहुत गंभीर है, लेकिन भारत की स्थिति भी कम गंभीर नहीं है। पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अधिकांश इलाकों में भूजल स्तर प्रतिवर्ष लगभग एक मीटर तक नीचे जा रहा है। गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान, कर्नाटक, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और मध्य प्रदेश में भूजल स्तर तेजी से नीचे गिर रहा है। समस्या इन राज्यों तक ही सीमित नहीं है। नीरी (नेशनल इनवायर्नमेंट इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीच्यूट) के अध्ययन में पाया गया है कि भूमिगत जल के अत्यधिक दोहन के कारण पूरे देश में जल स्तर नीचे जा रहा है।

सूखे कुंए
नरेगा ने मन मोहा मध्य प्रदेश का
Posted on 23 Jan, 2010 05:02 PM

राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (नरेगा) की मध्यप्रदेश में सफलता के कारण

कोसी का कहर !
Posted on 20 Jan, 2009 02:37 PM

यही रहा तो इस बार भी होगा कोसी का कहर !


मदन जैड़ा / हिन्दुस्तान। नई दिल्ली, 18 जनवरी
गंगाजल अमृत नहीं अब आर्सेनिक
Posted on 17 Jan, 2009 12:30 AM

मदन जैड़ा/ हिन्दुस्तान
नई दिल्ली, 15 जनवरी।
गंगा का पानी कभी सबसे स्वच्छ होता था इसलिए वेदों-पुराणों तक में कहा गया है-गंगा तेरा पानी अमृत। मान्यता थी कि इसे पीकर या इसमें डुबकी लगाकर बीमारियां दूर हो जाती हैं। लेकिन अब स्थिति उलट है। गंगा के इर्द-गिर्द बढ़ते शहरीकरण, उद्योग धंधों से निकलने वाले कचरे, प्रदूषणकारी तत्वों के बढ़ने के कारण गंगाजल में आर्सेनिक का जहर घुल गया है।

गंगा
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