समाज, संस्कृति, धर्म और इतिहास

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Featured Articles
October 8, 2023 While the current push for legal personhood for rivers is facing obstacles and is stalled, it holds potential as a viable long-term strategy for the preservation of India's rivers
River quality deteriorates as demand for hydropower to support economic growth continues to expand. (Image: Yogendra Singh Negi, Wikimedia Commons; CC BY-SA 4.0 DEED)
June 16, 2023 Majuli serves as a symbol of both the delicate balance between human activity and the environment and the tenacity of its residents
Addressing various aspects of women's lives to enhance their social, economic, and political status (Image: Rebuild India Fund)
January 13, 2022 The water structures constructed during the Gond period continue to survive the test of time and provide evidence of the water wisdom of our ancestors.
Kundeshwar lake, Kundam in Jabalpur (Image Source: K G Vyas)
January 2, 2021 Lack of community ownership and local governance are spelling doom for the once royal and resilient traditional water harvesting structures of Rajasthan.
Toorji Ka Jhalara, Jodhpur (Image Source: Rituja Mitra)
December 7, 2020 The new farm related bills will spell doom for women workers who form the bulk of small and marginal sections of Indian agriculture, warns Mahila Kisan Adhikaar Manch (MAKAAM).
Farm women, overworked and underpaid (Image Source: India Water Portal)
December 11, 2019 Dry toilets have long been hailed as a sustainable solution to the sanitation and waste management crisis facing India today, but have been overshadowed by more modern toilet designs.
A traditional dry toilet. Image: India Science Wire
होली क्यों
Posted on 06 Feb, 2009 12:31 PM होली एक ऐसा त्यौहार है जो ऋतुराज वसंत में आता है । इसी समय सर्दी का अन्त और ग्रीष्म का आगमन होता है । इस समय ऋतु-परिवर्तन से चेचक के रोग का प्रकोप होता है । इस संक्रामक रोग से बचने के लिये पुराने समय में टेसू के फूलों का रंग बनाकर एक-दूसरे पर डालने की प्रथा चलाई गई थी और यज्ञ की सामग्री में भी इन्हीं फूलों की अधिकता रखी गई थी जिससे वायु में उपस्थित रोग के कीटाणु नष्ट हो जायें । पर आज उस टेसू के
होली का संदेश
Posted on 06 Feb, 2009 12:03 PM अनावश्यक और हानिकारक वस्तुओं को हटा देने और मिटा देने की हिन्दूधर्म में बहुत ही महत्त्वपूर्ण समझा गया है और इस दृष्टिकोण को क्रियात्मक रूप देने के लिए होली का त्यौहार बनाया गया है । रास्तों में फैले हुए कांटे, शूल, झाड़ झंखाड़, मनुष्य समाज की कठिनाइयों को बढ़ाते हैं, रास्ते चलने वालों को कष्ट देते हैं, ऐसे तत्वों को ज्यों को त्यों नहीं पड़ा रहने दिया जा सकता, उनकी ओर से न आँख चुराई जा सकती है औ
ड्राय होली आईडिया
Posted on 31 Jan, 2009 06:16 PM

दैनिक भास्कर द्वारा “होली” पर पानी बचाने हेतु “ड्राय होली आईडिया” नामक जनजागृति अभियान


हिन्दी के अग्रणी समाचार पत्र “दैनिक भास्कर” ने 24 जनवरी 09 को विज्ञापन एजेंसियों तथा अन्य रचनात्मक क्षेत्रों में काम करने वाले शौकिया लोगों के लिये “ड्राय होली आईडियाज़ क्रियेटिव कॉण्टेस्ट” नाम से एक प्रतियोगिता का शुभारम्भ किया है। गत चार वर्षों से लगातार आयोजित हो रही इस प्रतियोगिता में पहली बार शौकिया लोगों को भी
दैनिक भास्कर अभियान
तीर्थ स्थानों का मूल स्थम्ब है जल
आइये इस ब्लॉग में हम जानेंगे कि वैदिक मान्यताओं के अनुसार 'पंचतत्त्व-सूर्य, पृथ्वी, जल, वायु एवं आकाश , इन पंचमहाभूतों का संतुलन ही जीवनचक्र को नियंत्रित करता है और इसमें गतिरोध आते ही जीवन कैसे संकट में पड़ जाता है Posted on 27 Mar, 2024 12:33 PM

तीर्थ विज्ञान

'तीर्थ' तीन कारणों से पवित्र माने जाते हैं, जैसे- स्थल की कुछ आश्चर्यजनक प्राकृतिक विशेषताओं के कारण, या किसी जलीय स्थल की अनोखी रमणीयता के कारण, या किसी तपः पूत ऋषि या मुनि के वहां स्नान करने, तप साधना करने आदि के लिए वास के कारण।

पंचमहाभूतों के संतुलन से ही है जीवनचक्र
आहर-पइन एवं गोआम ही क्यों?
इस ब्लॉग में हम आपको आहर-पइन कृषकों के लिए क्यों विश्वसनीय और लाभदायक मानी जाती है इसकी जानकारी देंगे Posted on 26 Mar, 2024 03:20 PM

आहर-पइन आधारित खेती पर दक्षिण बिहार के अधिकांश गाँव निर्भर हैं। गैर-नहरी क्षेत्रों में तो आहर-पइन से खेतों की सिंचाई होती ही है, कोयल, सकरी, सोन, दुर्गावती आदि नदियों से निकाली गई नहरों के इलाकों में भी आहर-पइन से सिंचाई हो रही है। आहर-पइन वाले इलाकों के किसान निर्भर तो इसी पर हैं पर सपना अभी भी नहरों का देख रहे हैं।

आहर-पइन सिंचाई प्रणाली
चरखा के 29वें स्थापना दिवस पर संजॉय घोष मीडिया अवार्ड विजेताओं को किया गया सम्मानित
देश के विभिन्न राज्यों में संचालित कार्यक्रमों की रूपरेखा बताई। उन्होंने बताया कि किस प्रकार चरखा देश के दूर दराज़ ग्रामीण क्षेत्रों में सामाजिक मुद्दों पर लिखने में रूचि रखने वाले लेखकों की पहचान कर न केवल उनमें लेखन की क्षमता को विकसित करता है बल्कि उसे मीडिया की मुख्यधारा से जोड़ने का प्रयास भी करता है. वर्तमान में उत्तराखंड के बागेश्वर जिला स्थित गरुड़ और कपकोट ब्लॉक की युवा किशोरियों के साथ प्रोजेक्ट दिशा का विशेष उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि इससे न केवल वह सफल लेखक बन रही हैं बल्कि महिला अधिकारों के प्रति जागरूक बन कर पितृसत्तात्मक समाज को चुनौती भी दे रही हैं. Posted on 08 Dec, 2023 03:25 PM

नई दिल्ली - लेखन के माध्यम से गांव के सामाजिक मुद्दों को मीडिया में प्रमुखता दिलाने वाली सामाजिक संस्था चरखा डेवलपमेंट कम्युनिकेशन नेटवर्क ने गुरुवार को नई दिल्ली स्थित इंडिया इस्लामिक कल्चर सेंटर में अपना 29वां स्थापना दिवस समारोह मनाया। इस अवसर पर संजॉय घोष मीडिया अवॉर्ड के विजेताओं को भी सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में आज़ाद फाउंडेशन की संस्थापक मीनू वडेरा उपस्थित थीं

संजॉय घोष मीडिया अवार्ड विजेता,Pc-चरखा फीचर्स 
आओ ! नदियों को बचाएं
आइए! एक बार ऐसे समय की कल्पना करें जब भारत देश में एक भी नदी न हो। सदानीरा नदियों के बिना हमारा भारत कैसा लगेगा! ऐसा विचार मस्तिष्क में आते ही मन सिहर उठता है। इस भयावह आपदा के आने से, न केवल भारतीय संस्कृति, अपितु देश की अर्थव्यवस्था भी छिन्न-भिन्न हो जाएगी। आज घोर प्रदूषण के कारण नदियों का अमृत जल 'प्राण हारी विष' बन गया है। Posted on 25 Nov, 2023 01:58 PM

मानव सभ्यता का विकास नदियों के तट पर हुआ। नदियों को मानव ने जल स्रोत और जीवनोपयोगी साधन जुटाने का माध्यम बनाया। सिंधु घाटी की सभ्यता, नील नदी घाटी सभ्यता से लेकर अद्यतन मानव और जीव जंतुओं का जीवन का आधार भी नदियाँ ही हैं। यह परिवहन और कृषि कार्य के लिए भी अत्यंत उपयोगी हैं।

 प्रदूषण ने नदियों के अमृत जल को विष में परिवर्तित कर दिया
जीवन शैली : इस्राइल की शक्ति का मूल है किब्बुत्ज
इस्राइल के गौरवशाली इतिहास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के साथ किब्बुत्जों को चुनौतियों का भी सामना करना पड़ा है। भले ही इस्राइल की आबादी में किब्बुत्जनिकों का अनुपात कम हो, उनका प्रभाव उस देश के सशक्तिकरण के रूप में विश्व को आज भी दिखाई पड़ रहा है। येरूशलम के पूर्व से लेकर मृत सागर (डेड सी) तक विस्तृत जुडियन डेजर्ट में कहीं-कहीं फसलों से लहराते खेत मिलेंगे, जिन्हें देखकर विश्वास ही नहीं होता कि ऐसी मरुभूमि में भी खेती हो सकती है। यह सब किब्बुत्ज के किसानों का पुरुषार्थ है! Posted on 22 Nov, 2023 12:47 PM

इस्राइल में किसी किच्बुत्ज में रहने का अवसर मिले, तो विश्व के बारे में हमारा दृष्टिकोण ही बदल जाता है। हमारी अर्वाचीन दुनिया में यदि किब्बुत्जजैसी रहन-सहन की अद्भुत और अविश्वसनीय सी संस्कृति कहीं है, तो वह है इस्राइल। अगर सामाजिक नवाचार के कहीं दर्शन होते हैं, तो वह है इसाइल का किब्बुक्ज। इस्राइल विश्व के स्वाभिमानी, स्वावलंबी और वीर राष्ट्रों में से एक है। हिब्रू संस्कृति की हैरान कर देने वाली

 जुडियन डेजर्ट में फसलों से लहराते खेत
भगवंत मान की सरकारी नौटंकी नदी जल-विवाद पर राष्ट्रवाद की गहरी समस्या को उजागर करता है
पंजाब और हरियाणा के नेता विरोधी दलों के साथ समझौता करने से कतराते हैं। कावेरी जल-संघर्ष में भी राष्ट्रीय पार्टियां कर्नाटक और तमिलनाडु के बीच शांति बनाने का प्रयास नहीं करती हैं।इस मुद्दे को लेकर एक और चिंता का कारण है कि केंद्र सरकार जो ‘राष्ट्रवादी’ दावा करती है, उसने इस मुद्दे पर कोई सक्रिय कदम नहीं उठाया है। Posted on 08 Nov, 2023 02:44 PM

भगवंत मान, एक पूर्व कॉमेडियन, अब पंजाब के मुख्यमंत्री हैं। उन्होंने अपने प्रतिद्वंद्वी दलों को अदालत के आदेशों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया है। उन्होंने उन्हें एक बहस में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया, लेकिन वे मना कर दिए। भगवंत मान ने कहा कि वे लोगों को बताना चाहते हैं कि वर्तमान समस्याओं के पीछे कौन जिम्मेदार हैविपक्ष के बहिष्कार का मुख्यमंत्री को कोई फर्क नहीं पड़ा.

नदी जल-विवाद
अनुसंधान और नवाचार की संस्कृति को बढ़ावा
पिछले कुछ वर्षों में मेक इन इंडिया के कारण भारत में आर्थिक, औद्योगिक, वैज्ञानिक, तकनीकी और अनुसंधान के क्षेत्रों में जैसा सकारात्मक रुझान देखा गया है, वह पारम्परिक रूप से नहीं देखा गया था। हालांकि भारत ने अतीत में भी विज्ञान से जुड़े अनेक क्षेत्रों में कई महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ दर्ज की है Posted on 04 Oct, 2023 03:09 PM

मेक इन इंडिया को ज्यादातर लोग विनिर्माण (मैन्युफैक्चरिंग) पर आधारित कार्यक्रम और पहल के रूप में देखते हैं लेकिन विनिर्माण के साथ-साथ उसके कई अन्य पहलू भी हैं। विनिर्माण कोई हवा में नहीं हो जाता और विनिर्माण का लक्ष्य प्राप्त करने के लिए अनेक बुनियादी पक्षों पर काम करना जरूरी है, जैसे निवेश को प्रोत्साहित करना तथा आधारभूत ढांचे (इन्फास्ट्रक्चर) का विकास करना। इनके बिना विनिर्माण पर केंद्रित लक्ष

अनुसंधान और नवाचार की संस्कृति को बढ़ावा
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