Posted on 06 Feb, 2009 12:31 PMहोली एक ऐसा त्यौहार है जो ऋतुराज वसंत में आता है । इसी समय सर्दी का अन्त और ग्रीष्म का आगमन होता है । इस समय ऋतु-परिवर्तन से चेचक के रोग का प्रकोप होता है । इस संक्रामक रोग से बचने के लिये पुराने समय में टेसू के फूलों का रंग बनाकर एक-दूसरे पर डालने की प्रथा चलाई गई थी और यज्ञ की सामग्री में भी इन्हीं फूलों की अधिकता रखी गई थी जिससे वायु में उपस्थित रोग के कीटाणु नष्ट हो जायें । पर आज उस टेसू के
Posted on 06 Feb, 2009 12:03 PMअनावश्यक और हानिकारक वस्तुओं को हटा देने और मिटा देने की हिन्दूधर्म में बहुत ही महत्त्वपूर्ण समझा गया है और इस दृष्टिकोण को क्रियात्मक रूप देने के लिए होली का त्यौहार बनाया गया है । रास्तों में फैले हुए कांटे, शूल, झाड़ झंखाड़, मनुष्य समाज की कठिनाइयों को बढ़ाते हैं, रास्ते चलने वालों को कष्ट देते हैं, ऐसे तत्वों को ज्यों को त्यों नहीं पड़ा रहने दिया जा सकता, उनकी ओर से न आँख चुराई जा सकती है औ