जीवन शैली : इस्राइल की शक्ति का मूल है किब्बुत्ज

 जुडियन डेजर्ट में फसलों से लहराते खेत
जुडियन डेजर्ट में फसलों से लहराते खेत

इस्राइल में किसी किच्बुत्ज में रहने का अवसर मिले, तो विश्व के बारे में हमारा दृष्टिकोण ही बदल जाता है। हमारी अर्वाचीन दुनिया में यदि किब्बुत्जजैसी रहन-सहन की अद्भुत और अविश्वसनीय सी संस्कृति कहीं है, तो वह है इस्राइल। अगर सामाजिक नवाचार के कहीं दर्शन होते हैं, तो वह है इसाइल का किब्बुक्ज। इस्राइल विश्व के स्वाभिमानी, स्वावलंबी और वीर राष्ट्रों में से एक है। हिब्रू संस्कृति की हैरान कर देने वाली प्रगति और इस्राइल के पुनरुत्थान की जड़ें किब्बुत्ज में हैं। किसी देश का सांस्कृतिक अनुभव उस देश के मानव जीवन के सबसे महत्त्वपूर्ण पहलू को सीखना होता है। एक अद्भुत राष्ट्र-शैली का अनुभव कराने वाला किब्बुत्ज इस्राइल की मूल संस्कृति का भी प्रतिनिधि है। 

वर्ष 1948 में अस्तित्व में आने के बाद से जितने सामूहिक आक्रमण इस्त्राइल ने झेले, मानव इतिहास में अन्य किसी ने कदाचित ही झेले हों। किब्बुत्ज व्यवस्था ने ही अपने अस्तित्व के प्रारंभिक वर्षों की अवधि में इसाइल को बचाया। इसाइल की जनसंख्या के केवल 5 प्रतिशत ही किब्बुत्ज निवासी थे, लेकिन उन्होंने देश का 50 प्रतिशत से अधिक खाद्यान्न पैदा किया। किब्बुत्ज के एक अभिनव सामाजिक संगठन और उनके निर्माण के पीछे की कल्पना शक्ति ने यहूदी जीवन में अद्भुत क्षमताओं का विकास किया।

यह लेखक लंबे समय तक उत्तरी इस्राइल के किब्बुत्न मिजरा में रहा, जो एक बड़े आकार का किब्बुत्जहै, जिसकी स्थापना 1923 में यूरोपीय प्रवासियों द्वारा की गई थी। यह यिजेल घाटी क्षेत्रीय परिषद के 15 और इस्राइल के कुल 270 किबुक्जों में से एक है।

किब्बुत्ज एक कृषि समुदाय है। इनमें से अधिकांश समाजवाद के सिद्धांतों पर संगठित और धार्मिक सिद्धांतों पर आधारित हैं। पारंपरिक लोगों से वे अलग हैं, जिनमे व्यक्तिगत स्वार्थ के लिए कोई स्थान नहीं। सभी किव्वत्ज सुंदर और ग्राम्य परिवेश में स्थित हैं। सभी किब्बुत्जवासी एक ही डाइनिंग हॉल में खाना खाते हैं। किसी के घर में कोई रसोई नहीं होती। परिवारों के खेत घंटे नहीं होते। किसी का कोई निजी खर्च नहीं होता। शिक्षा हो, चिकित्सा हो, विदेश यात्रा करनी हो, सभी का सारा खर्च किब्बुत्ज उठाता है। किसी की निजी आय हो, वह भी किब्बुत्जकी संपत्ति हो जाती है। खेती से, बाह्य सेवाओं से, होटलों से तथा विशिष्ट उत्पादों के निर्यात से प्रत्येक किब्बुत्ज को भारी आय होती है, जिसका इस्राइल की सकल आय में महत्वपूर्ण योगदान होता है। आधुनिक विश्व में वे शांति, सुरक्षा, सौम्यता और सृजनशीलता के नखलिस्तान हैं।

इस्राइल के अस्तित्व में आने से पूर्व 20वीं शताब्दी के प्रारंभ में जब अमौर यहूदियों ने अरबों से भूमि खरीदी, तो सुनसान निर्जीव-सी पहाड़ियों के बीच यह क्षेत्र सांपों और बिच्छुओं से बुरी तरह पीड़ित था। चिकित्सा रिपोर्ट में यह भूमि मानव बस्तियों के लिए प्रतिकूल पाईं गईं। बुजुर्गों ने यह रिपोर्ट पढ़ी तो उसे किसी तिजोरी में छिपा दिया, ताकि युवा विचलित न हों। उन्होंने युवाओं से कह दिया कि सब ठीक-ठाक है। सर्वप्रथम उन्होंने गायों के लिए शेड बनाए, फिर बच्चों के लिए सुरक्षित स्थान और अंत में वयस्कों के लिए आवास। यहूदियों के किब्बुत्ज के पहले बीस वर्ष के अनुभव शुद्धिकरण जैसे थे, लेकिन सब कुछ सहकर भी उन्होंने स्वयं को बचा लिया और एक दिन उन्हें अनुभूति हो गई कि उनका यह सामाजिक-सांस्कृतिक प्रयोग सफल रहेगा। यहूदी लोग जमीन खरीदते रहे और किब्बुत्ज जीवन शैली को आगे बढ़ाते रहे। किब्बुत्ज का इतिहास वास्तव में इस्राइल राष्ट्र से भी पुराना है।

अपने ऐतिहासिक महत्त्व और अनूठी जीवन शैली से परे, किब्बत्जों ने इस्राइल की पहचान और अनन्य विकास को आकार देने में विशिष्ट भूमिका निभाई है और देश की मजबूती में योगदान दिया है। कई किब्बुत्ज शुष्क क्षेत्रों में कृषि नवाचार में सबसे आगे रहे हैं। येरूशलम के पूर्व से लेकर मृत सागर (डेड सी) तक विस्तृत जुडियन डेजर्ट में कहीं-कहीं फसलों से लहराते खेत मिलेंगे, जिन्हें देखकर विश्वास ही नहीं होता कि ऐसी मरूभूमि में भी खेती हो सकती है। यह सब किब्बुत्ज के किसानों का पुरुषार्थ है! मरुभूमि को उपजाऊ खेतों में रूपांतरित करने की तकनीक, कला और साहस केवल इस्राइल के पास है।

किब्बुत्जों की सामुदायिक जीवन शैली सामाजिक एकजुटता की मजबूत भावना को बढ़ावा देती है। सहयोग और साझेपन की भावना व्यापक इस्राइली समाज में व्याप्त है, जो विपरीत परिस्थितियों में देश की रक्षा और सामाजिक-आर्थिक-सांस्कृतिक विकास में योगदान देती है। संघर्ष के समय किब्बुत्ज एक मजबूत समाज के रूप में खड़े रहे हैं।
युद्ध किब्बुत्ज मानसिकता का हिस्सा नहीं है। फिर भी, जब-जब अरब के साथ युद्ध छिड़ा, तो पाया गया कि इस्राइली सेना के जेट लड़ाकू पायलटों में से 25 प्रतिशत किब्बुत्जवासी थे। इस्राइल की परिस्थितियों में एक जेट फाइटर का होना बहुत बड़ी बात है। इसके लिए उन सभी कौशलों की आवश्यकता होती है जो एक इंसान के पास होने अनिवार्य होते हैं साहस, बुद्धिमत्ता, त्वरित सजगता, तप और पूर्ण समर्पण इतनी बड़ी संख्या में जब जेट पायलट किब्बुत्जनिक होते हैं, तो किब्बुत्जों के लिए यह दिखाने का अवसर होता है कि वे शांतिप्रिय और विकासोन्मुखी होने के साथ युद्ध कलाओं में भी निपुण हैं।

इस्राइल के किब्बुत्ज सांस्कृतिक गतिविधियों, कलाकारों, लेखकों और संगीतकारों के पोषण का केंद्र रहे हैं। उन्होंने इस्राइल की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत में अद्वितीय योगदान दिया है। किब्बुत्ज के सदस्य प्रायः ऐसे काम करते हैं, जो उनके अद्वितीय समुदायों के लोकाचार और मूल्यों को दर्शाते हैं। किब्बुत्ज अपने सदस्यों को उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने में सक्षम रहे हैं। इन सेवाओं ने उच्च मानक स्थापित किए हैं।

इस्राइल के गौरवशाली इतिहास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के साथ किब्बुत्जों को चुनौतियों का भी सामना करना पड़ा है। इस्राइल का अच्छा मित्र होने पर भी अमेरिका समाजवादी मूल्यों पर आधारित किब्बुत्ज जीवन शैली के विरुद्ध रहा है। हालांकि उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण के दौर में सामाजिक-आर्थिक परिवर्तनों के कारण पारंपरिक सामाजिक मॉडल का पुनर्मूल्यांकन हुआ है। इस्राइल के किब्वत्जों ने बाजार उन्मुख सुधारों का समावेश किया है, जिससे अधिक व्यक्तिगत आय, निजी संपत्ति स्वामित्व और आर्थिक विविधीकरण के रास्ते खुले हैं।

भले ही इस्राइल की आबादी में किब्बुत्जनिकों का अनुपात कम हो, उनका प्रभाव उस देश के सशक्तिकरण के रूप में विश्व को आज भी दिखाई पड़ रहा है।

‘येरूशलम के पूर्व से लेकर मृत सागर (डेड सी) तक विस्तृत जुडियन डेजर्ट में कहीं-कहीं फसलों से लहराते खेत मिलेंगे, जिन्हें देखकर विश्वास ही नहीं होता कि ऐसी मरुभूमि में भी खेती हो सकती है। यह सब किब्बुत्ज के किसानों का पुरुषार्थ है!’

लेखक वीर सिंह जीबी पंत कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय में प्रोफेसर हैं। 
स्रोत -19 नवंबर, अमर उजाला, गोरखपुर 

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