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पारिस्थितिकी और पर्यावरण
खतरे में हिल स्टेशन
Posted on 15 Dec, 2023 12:31 PMअनियंत्रित विकास, वनों के कटान और बदलते पारिस्थितकी तंत्र का भयावह रूप हमें अभी हिमाचल में देखने को मिला। हिमाचल ने 40 वर्षों में जो विकास किया था वह एक झटके से तहस-नहस हो गया। जोशीमठ शहर में पड़ी दरारों के बाजवूद विकास के पैमानों को लेकर पूरे देश में कहीं किसी प्रकार की बहस नहीं हो रही है। हिमाचल में आई तबाही की खबरों के मुकाबले उत्तराखंड के नैनीताल में ढहे घरों की खबर को ज्यादा तवज्जो नहीं मि
विशेष संसदीय समिति : आर्द्रभूमि बचाने के लिए नागरिकों का खुफिया तंत्र तैयार करे सरकार
Posted on 15 Dec, 2023 11:22 AMदेशभर में अवैध कब्जे के शिकार होती जा रही आर्द्रभूमि की रक्षा के लिए संसद की विशेष समिति ने खुफिया तंत्र की मदद लेने की सिफारिश की है। समिति ने सिफारिश की है कि सरकार इस अवैध कब्जे से जमीन को बचाने के लिए नागरिकों का खुफिया तंत्र तैयार करे। इसके लिए इनाम योजना शुरू कर सकती है। समिति का मानना है कि यदि ये बदलाव नहीं किए जाते हैं तो इस भूमि का अवैध तरीके से प्रयोग किया जा सकता है।
कुदरेमुख - मामला पर्यावरण और विकास का
Posted on 15 Dec, 2023 11:10 AMकर्नाटक के कुदरेमुख क्षेत्र में स्थित कुदरेमुख लौह अयस्क कम्पनी (KIOCL) के खनन कार्य पर सुप्रीम कोर्ट के निर्णय से कई अनिश्चितताओं पर विराम लगा गया है। KIOCL सार्वजनिक क्षेत्र की एक मुनाफा कमाने वाली कम्पनी है। यह निर्णय एक ऐसे वक्त में आया जब कर्नाटक के मांड्या और मैसूर ज़िलों में कावेरी मुद्दे पर संघर्ष जारी हैं। हालांकि प्रभावशाली वोक्कालिगा जाति और सत्ताधारी पार्टी की राजनीति के चलते कावेरी
अभिसरण
Posted on 12 Dec, 2023 11:59 AMअभिसरण परिभाषित
अभिसरण वह प्रक्रिया है जिसके परिणामस्वरूप, वित्तीय और मानव संसाधनों के लक्षित और कुशल उपयोग के माध्यम से सामान्य उद्देश्यों की प्राप्ति होती है। समन्वित योजना और सेवा वितरण कई स्रोतों से समय पर इनपुट सुनिश्चित करता है। साथ ही साथ दोहराव और अतिरेक से बचा जाता है। योजना की प्रक्रिया पारस्परिक रूप से सहमत कार्यक्रमों से आती है, लक्ष्य समय सीमा, साझ
पर्यावरण संरक्षण
Posted on 12 Dec, 2023 11:06 AMपर्यावरण शब्द का निर्माण दो शब्दों से मिलकर हुआ है "परि" जो हमारे चारो ओर है और "आवरण" जो हमें चारो ओर से घेरे हुए हैं अर्थात् पर्यावरण का शाब्दिक अर्थ है होता है चारो ओर से घिरे हुए। पर्यावरण उन सभी भौतिक, रासायनिक एवं जैविक कारकों की समष्टिगत एक इकाई है जो किसी जीवनधारी अथवा पारितंत्रीय आबादी को प्रभावित करते हैं तथा उनके रूप, जीवन और जीविका को तय करते हैं। पर्यावरण वह है जो कि प्रत्येक जीव क
ओज़ोन का सिकुड़ता साया
Posted on 11 Dec, 2023 11:31 AMहमारे ग्रह को एक नीली सी गैस, ओज़ोन की एक पतली परत घेरे हुए है। यह परत पृथ्वी की सतह से कोई 20 से 50 कि.मी. ऊपर है। ओज़ोन (03 ,) ऑक्सीजन के तीन परमाणुओं का एलोट्रॉप है। इस परत में ओज़ोन की अधिकतम मात्रा बहुत कम (केवल 300 कण प्रति 1 अरब कण) है। यानी अगर सारी ओज़ोन को पृथ्वी की सतह पर ले आया जाए तो पृथ्वी के घेरे में इसका केवल 3 मि.मी.
पर्यावरण पेट्रोलियम का उपयोग : वरदान या विनाश
Posted on 07 Dec, 2023 04:58 PMआज के परिप्रेक्ष्य में यह विचारणीय है कि आधुनिक सभ्यता का अग्ग्रदूत पेट्रोलियम वरदान है अथवा विनाश। इसके उपयोग से भारी प्रदूषण हो रहा है और धरती पर जीवन जीना चुनौती पूर्ण हो गया है।
जी20: पृथ्वी, लोग, शांति और समृद्धि के लिए
Posted on 01 Dec, 2023 12:38 PMहमारी जी20 की अध्यक्षता की शुरुआत में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा स्पष्ट अधिदेश दियाँ गया था कि यह एक महत्वाकांक्षी और समावेशी अध्यक्षता होनी थी, जिसने अपने केंद्र में ग्लोबल साउथ के हितों को रखा था। हमने इस निदेश को पूरे दिल से अपनाया, हर बाधा को एक अवसर में बदल दिया और इस प्रक्रिया में हमने एक असाधारण उपलब्धि हासिल की नई दिल्ली लीडर्स घोषणा (एनडीएलडी) जिसमें 83 पैराग्राफ शामिल थे.
बहुत बड़ा सबक है सिलक्यारा सुरंग हादसा
Posted on 01 Dec, 2023 12:24 PMउत्तराखंड में चार धाम सड़क परियोजना के तहत बन रही सिलक्यारा सुरंग के हादसे ने मुरंगों की सुरक्षा को लेकर तमाम सवाल खड़े कर दिए है जिन पर विचार किया जाना बेहद जरूरी है। साथ ही इस हादसे में 348 घंटे जिंदगी की जंग लड़ते रहे 41 मजदूरों की सकुशल जिंदा वापसी न केवल हर्ष का, गर्व का विषय है बल्कि इस आपदा के दौर में राहत व बचाव विचार कार्यों में देश की 15 से अधिक एजेंसियों के 650 से ज्यादा इंजीनियरों,
रावतभाटा : परमाणु बिजलीघरों से बढ़ता स्वास्थ्य संकट
Posted on 29 Nov, 2023 01:53 PMरावतभाटा में सन् 1973 में जब पहले परमाणु बिजलीघर का उद्घाटन हुआ था तो आसपास के पिछड़े क्षेत्रों के निवासियों ने इसका खुले दिल से स्वागत किया था। सोचा था कि इसके जरिए क्षेत्र के युवकों को रोजगार के नए अवसर मिलेंगे और यह पिछड़ा क्षेत्र अपनी अर्थव्यवस्था के आधुनिकीकरण की दिशा में एक लम्बी छलांग लगा सकेगा। लेकिन न तो रोज़गार सृजन की दिशा में उनकी अपेक्षाएं पूरी हुई और न ही क्षेत्र के विकास को कोई