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पारिस्थितिकी और पर्यावरण
गायब हो रही है हरियाली
Posted on 27 Nov, 2023 04:42 PMमध्यप्रदेश में हरियाली बढ़ाने के लिए हर साल पौधारोपण होता है और करोड़ों रुपए खर्च किए जाते हैं, लेकिन उसके बाद भी हरियाली गायब हो रही है। खासकर प्रदेश के महानगरों में तो स्थिति विकट होती जा रही है। इंदौर में आसपास तो हरियाली है, लेकिन शहर के भीतर सूखे की स्थिति है। यह तब है, जब पांच साल में निगम ने पौधारोपण पर 10 करोड़ खर्च किए हैं। हालांकि 75 फीसदी रकम सजावटी पौधों पर खर्च को गई, जिसके कारण 20
आपदाओं की गाज
Posted on 27 Nov, 2023 04:35 PMमध्यप्रदेश हर साल बेमौसम बारिश के कारण किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। बारिश के कारण फसलें चौपट हो रही हैं। इससे किसानों का हर साल हजारों करोड़ का नुकसान हो रहा है। लेकिन आपदाओं की गाज केवल मप्र ही नहीं बल्कि दुनियाभर के किसानों पर गिर रही है। पिछले तीन दशकों में किसानों को आपदाओं के चलते करीब 316.4 लाख करोड़ रुपए (380,000 करोड़ डॉलर) का नुकसान उठाना पड़ा है। मतलब कि इन आपदाओं के कारण
परमाणु बिजली घर और सेहत
Posted on 27 Nov, 2023 03:41 PMपरमाणु प्रतिष्ठान दुनिया भर में यह आकलन करने में लापरवाही बरतता है कि उसके क्रियाकलापों का पर्यावरण व सेहत पर क्या असर होता है। उचित आकलन तो छोड़िए, कई देशों में तो इस बाबत आंकड़े भी इकट्ठे नहीं किए जाते और इस तरह के आंकड़े लोगों को बताना तो कहीं नहीं किया जाता है। भारत में भी बरसों तक परमाणु सम्बंधी बहस निरर्थक ही थी क्योंकि दोनों ही पक्षों के पास परमाणु गतिविधि के प्रभाव सम्बंधी पर्याप्त आंकड
जंगल नामा
Posted on 25 Nov, 2023 04:25 PMदेश की राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली हो या फिर मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल हर जगह प्रदूषण बढ़ रहा है। इसकी सबसे बड़ी वजह है पेड़ों की अंधाधुंध कटाई। डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, विश्व में वायु प्रदूषण से प्रतिवर्ष अनुमानित 35,00,000 लोगों की मौतें हो जाती हैं, जिसमें पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों की 2,37,000 से अधिक मौतें शामिल हैं। भारत में वायु प्रदूषण के कारण कुल 16.7 लाख लोगों की मौत हुई, जिसमें 9
पश्चिमी हिमालय क्षेत्रों में अपरदन नियंत्रण हेतु वानस्पतिक अवरोध
Posted on 20 Nov, 2023 04:22 PMपरिचय
- पश्चिमी हिमालय क्षेत्र में कृषि संबंधी गतिविधियाँ अधिकतर पर्वतीय ढलानों पर की जाती हैं, जहाँ पर क्षरण हानियाँ अत्यधिक हैं।
- यद्यपि, मृदा एवं जल संरक्षण हेतु बांध निर्माण एक प्रभावशाली उपाय है किन्तु यह एक महंगा उपचार है और हर समय रखरखाव मांगता है। इसलिए समोच्चों पर स्थायी पट्टियों में बहुत कम अंतरालों पर उगाई गई घासों के वानस्पतिक अवरोध, बां
धूल से उपजाऊ जमीन की बर्बादी
Posted on 20 Nov, 2023 04:05 PMवायु में फैली धूल और रेत का प्रदूषण एक गंभीर समस्या है। इससे हर साल लगभग 200 करोड़ टन धूल और रेत हमारे वातावरण में घुस जाती है। इसका परिणाम यह है कि हर साल करीब 10 लाख वर्ग किलोमीटर भूमि उपजाऊ नहीं रहती है। इसकी तुलना में गीजा के 350 पिरामिडों का वजन बराबर है। यह जानकारी यूएन कन्वेंशन टू कॉम्बैट डेजर्टिफिकेशन (यूएनसीसीडी) की रिपोर्ट से मिली है। रिपोर्ट के अनुसार इंसानी गतिविधियों के कारण धूल और
उबलते पानी के चश्मे
Posted on 20 Nov, 2023 12:51 PMपिछले दिनों मेरे एक दोस्त ने बताया कि पिपरिया के पास अनहोनी गांव में गर्म पानी का झरना है। यहां पानी इतना गर्म होता है कि आप चावल भी पका सकते हैं। पढ़ाई के दौरान गर्म पानी के झरनों के बारे में पढ़ा तो था परन्तु यह सुनकर अचरज हुआ कि होशंगाबाद के इतने करीब एक ऐसा झरना मौजूद है। इसलिए अनहोनी जाकर इसे देखने की योजना बनाई। पिपरिया छिंदवाड़ा मुख्य सड़क से 10 किलोमीटर अंदर अनहोनी गांव (जिला छिंदवाड़ा)
ताजी हवा उगाने के नुस्खे बताती किताब
Posted on 18 Nov, 2023 11:29 AMजब दिल्ली सहित देश का बड़ा हिस्सा वायु प्रदूषण से जूझ रहा है तब एक किताब इस समस्या के समाधान की बात करने के लिए आई है। गुरुवार को वायु प्रदूषण से जूझने के लिए वाणी पृथ्वी कड़ी के तहत वाणी प्रकाशन की पुस्तक 'ताजी हवा कैसे उगाएं' का लोकार्पण हुआ। लेखक, कमल मीतल और वरुण अग्रवाल मिलकर 'ताजी हवा कैसे उगाएं' में पर्यावरण समस्याओं और वायु गुणवत्ता के प्रति सहज, सरल भाषा में संवाद किया है।
सुरंगों में हिमालय का भविष्य
Posted on 17 Nov, 2023 01:25 PMऑल वेदर रोड की एक सुरंग धंसी
ऑल वेदर रोड के तहत धरासू-यमुनोत्री हाईवे पर सिल्क्यारा से डंडालगांव के बीच साढ़े चार किमी लंबी सुरंग का निर्माणाधीन है। यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर सिलक्यारा से डंडालगांव तक निर्माणाधीन सुरंग के अंदर भूस्खलन हुआ है। इस सुरंग का एक हिस्सा 150 मीटर खंड ढह गया है। यह चारधाम परियोजना के लिए एक महत्वपूर्ण झटका है। इसके बन जाने के बाद
जानें जल संरक्षण, संवर्धन व जलवायु परिवर्तन का सम्बन्ध
Posted on 16 Nov, 2023 12:33 PMपूरे विश्व में जल संरक्षण व संवर्धन की मूल समस्या का समाधान तभी हो पायेगा जब हम जल के ह्रास व पेय जल की कमी की समस्या की और विस्तृत व सम्पूर्ण पहलूओं को ध्यान में रखकर योजनाएं बनाएं क्योंकि स्थानीय स्तर पर जल संरक्षण व संवर्धन उतना ही आवश्यक है जितना जलवायु परिवर्तन व ग्लोबल वॉर्मिंग के कारण ऋतु परिवर्तन से जुड़े मुद्दों को हल करने के प्रयास।