अरुण तिवारी

अरुण तिवारी
अरुण तिवारी

शिक्षा:


स्नातक, पत्रकारिता एवं जनसंपर्क में स्नातकोत्तर डिप्लोमा

कार्यवृत


श्रव्य माध्यम-


1986 से आकाशवाणी, दिल्ली के युववाणी कार्यक्रम से स्वतंत्र लेखन व पत्रकारिता की शुरुआत। नाटक कलाकार के रूप में मान्य। 1988 से 1995 तक आकाशवाणी के विदेश प्रसारण प्रभाग, विविध भारती एवं राष्ट्रीय प्रसारण सेवा से बतौर हिंदी उद्घोषक एवं प्रस्तोता जुड़ाव।

इस दौरान मनभावन, महफिल, इधर-उधर, विविधा, इस सप्ताह, भारतवाणी, भारत दर्शन तथा कई अन्य महत्वपूर्ण ओ बी व फीचर कार्यक्रमों की प्रस्तुति। श्रोता अनुसंधान एकांश हेतु रिकार्डिंग पर आधारित सर्वेक्षण। कालांतर में राष्ट्रीय वार्ता, सामयिकी, उद्योग पत्रिका के अलावा निजी निर्माता द्वारा निर्मित अग्निलहरी जैसे महत्वपूर्ण कार्यक्रमों के जरिए समय-समय पर आकाशवाणी से जुड़ाव।

दृश्य माघ्यम-


1991 से 1992 दूरदर्शन, दिल्ली के समाचार प्रसारण प्रभाग में अस्थायी तौर संपादकीय सहायक कार्य। कई महत्वपूर्ण वृतचित्रों हेतु शोध एवं आलेख। 1993 से निजी निर्माताओं व चैनलों हेतु 500 से अधिक कार्यक्रमों में निर्माण/ निर्देशन/ शोध/ आलेख/ संवाद/ रिपोर्टिंग अथवा स्वर। परशेप्शन, यूथ पल्स, एचिवर्स, एक दुनी दो, जन गण मन, यह हुई न बात, स्वयंसिद्धा, परिवर्तन, एक कहानी पत्ता बोले तथा झूठा सच जैसे कई श्रृंखलाबद्ध कार्यक्रम। साक्षरता, महिला सबलता, ग्रामीण विकास, पानी, पर्यावरण, बागवानी, आदिवासी संस्कृति एवं विकास विषय आधारित फिल्मों के अलावा कई राजनैतिक अभियानों हेतु सघन लेखन। 1998 से मीडियामैन सर्विसेज नामक निजी प्रोडक्शन हाउस की स्थापना कर विविध कार्य।

प्रिंट माध्यम-


1989 में बतौर प्रशिक्षु पत्रकार दिल्ली प्रेस प्रकाशन में नौकरी के बाद चौथी दुनिया साप्ताहिक, दैनिक जागरण- दिल्ली, समय सूत्रधार पाक्षिक में क्रमशः उपसंपादक, वरिष्ठ उपसंपादक कार्य। जनसत्ता, दैनिक जागरण, हिंदुस्तान, अमर उजाला, नई दुनिया, सहारा समय, चौथी दुनिया, समय सूत्रधार, कुरुक्षेत्र और माया के अतिरिक्त कई सामाजिक पत्रिकाओं में रिपोर्ट लेख, फीचर आदि प्रकाशित।

स्ठेज-


‘संस्कृति की महाधारा : गंगा- ‘भारत की मन प्राण:’ यमुना- एवं ‘कृष्ण कन्हैया’ नामक तीन नृत्य नाटिकाओं का लेखन एवं स्वर। कार्यक्रमों का मंचीय संचालन।

सामाजिक कार्य-


विज्ञान पर्यावरण केंद्र के निदेशक स्व. श्री अनिल अग्रवाल एवं प्रसिद्ध पानी कार्यकर्ता श्री राजेंद्र सिंह की पहल पर गठित राष्ट्रीय जलबिरादरी से वर्ष- 2001 में जुड़ाव। तब से अब तक जल साक्षरता, जल नीति जल निजीकरण, नदी जोड़, गंगा-यमुना, हिंडन-सई नदी, नदी नीति, मतदाता जागरूकता तथा पंचपरमेश्वर जागृति संबंधी कई महत्वपूर्ण अभियानों में महत्वपूर्ण भूमिका। पानी- पर्यावरण पर कई पुस्तकों का संपादन एवं लेखन। शिक्षा, पानी, ग्रामीण विकास, सबलीकरण, युवा एवं सामुदायिक संवाद के मसलों पर काम करने में खास अभिरुचि।

स्थायी निवासः


ग्राम- पूरे सीताराम तिवारी, पो. महमदपुर, अमेठी,
जिला- सी एस एम नगर, उत्तर प्रदेश
डाक पताः 146, सुंदर ब्लॉक, शकरपुर, दिल्ली- 92
Email:- amethiarun@gmail.com
फोन संपर्क: 09868793799/7376199844
जन्म तिथि: 15 मई, 1964


पहाड़ विध्वंस और गंगाविलास
आज उत्तराखण्ड और केन्द्र, दोनों जगह भारतीय जनता पार्टी की सरकार है। भाजपा आज भी खुद को हिंदू संस्कृति का पोषक बताते नहीं थकती है। आज कोई हिंदू संगठन नहीं कह रहा है कि जोशीमठ का धारी देवी मन्दिर हो या गंगा; आस्थावानों के लिए दोनों तीर्थ हैं। गंगा स्नान, संयम, शुद्धि और मुक्ति का पथ है। गंगा विलास काम, भोग और धनलिप्सा का यात्री बनाने आया है। गंगा हमारी पूज्या हैं। हम पहाड़ों के विध्वंस और गंगा पर भोग-विलास की इजाज़त नहीं दे सकते। यह हमारी आस्था के साथ कुठाराघात है।
Posted on 01 Nov, 2023 11:56 AM

16 जून, 2013 को केदारनाथ जल प्रलय आई। उससे पहले शिलारूपिणी परमपूज्या धारी देवी को विस्थापित किया गया। ऐसा श्रीनगर, गढ़वाल की एक विद्युत परियोजना को चलाते रहने की जिद्द के कारण किया गया था। भाजपा नेता सुषमा स्वराज ने इसे धारी देवी का तिरस्कार माना था। इस तिरस्कार को केदारनाथ प्रलय का कारण बताते हुए उन्होंने संसद में स्कन्द्पुरण के एक श्लोक का उल्लेख किया था:

गंगाविलास क्रूज,Pc-सर्वोदय जगत
आइये, हम खुद लिखें एक निर्मल कथा  
नदी प्रदूषण मुक्ति असरकारी कार्ययोजना का सबसे पहला काम है अक्सर जाकर अपनी नदी का हालचाल पूछने का यह काम अनायास करते रहें। अखबार में फोटो छपवाने या प्रोजेक्ट रिपोर्ट में यूटिलाइजेशन सर्टिफिकेट लगाने के लिए नहीं, नदी से आत्मीय रिश्ते बनाने के लिए यह काम नदी और उसके समाज में उतरे बगैर नहीं हो सकता। नदी और उसके किनारे के समाज के स्वभाव व आपसी रिश्ते को भी ठीक-ठीक समझकर ही आगे बढ़ना चाहिए। नदी जब तक सेहतमंद रही,उसकी सेहत का राज क्या था?
Posted on 14 Apr, 2023 12:47 PM

नदी प्रदूषण मुक्ति असरकारी कार्ययोजना का सबसे पहला काम है अक्सर जाकर अपनी नदी का हालचाल पूछने का यह काम अनायास करते रहें। अखबार में फोटो छपवाने या प्रोजेक्ट रिपोर्ट में यूटिलाइजेशन सर्टिफिकेट लगाने के लिए नहीं, नदी से आत्मीय रिश्ते बनाने के लिए यह काम नदी और उसके समाज में उतरे बगैर नहीं हो सकता। नदी और उसके किनारे के समाज के स्वभाव व आपसी रिश्ते को भी ठीक-ठीक समझकर ही आगे बढ़ना चाहिए। नदी जब तक

गंगा में प्रदूषण,Pc-Flicker IWP
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