जलवायु परिवर्तन

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July 10, 2024 Millions of trees are fast disappearing from India's farmlands. What are its implications for agriculture and the environment?
Disappearing trees over Indian farmlands (Image Source: WOTR)
June 7, 2024 Scientists question effectiveness of nature-based CO2 removal using the ocean
Ocean ecosystem (Image: PxHere, CC0 Public Domain)
June 6, 2024 एक अध्ययन से पता चलता है कि समुद्री लू या हीटवेव (असामान्य रूप से उच्च समुद्री तापमान की अवधि) जो पहले हर साल लगभग 20 दिनों तक होती थी (1970-2000 के बीच), वह बढ़कर 220 से 250 दिन प्रति वर्ष हो सकती है। जानिए क्या होंगे इसके परिणाम?
गर्म होते महासागर
May 31, 2024 From scorching to sustainable: Building resilience against heatwaves
A multifaceted approach to urban heatwaves (Image: Sri Kolari)
April 30, 2024 As temperatures soar, what should India do to adapt to changing conditions to mitigate the adverse impacts of climate change?
Heat waves sweep across India (Image: Maxpixel, CC0 Public Domain)
April 25, 2024 Understanding the impact of heat on our world
Rising temperatures, rising risks (Image: Kim Kestler, publicdomainpictures.net)
राजस्थान : गायब होते गोचर की लड़ाई
देश के सबसे बड़े राज्य राजस्थान में गोचर को बचाने का बड़ा मुद्दा है। पिछले साल गायों के प्रति आदर भाव रखने वाले लोगों ने लंबे अरसे तक आंदोलन करके सरकार को उस फैसले को ठंडे बस्ते में डालने पर मजबूर किया था Posted on 09 Sep, 2023 03:03 PM

राजस्थान हमारे देश में पशुपालन के लिए जाना जाता है, लेकिन आजकल इसी पशुपालन के लिए सबसे जरूरी चारागाहों को लेकर भारी बवाल मचा है। एक तरफ, जमीन की लगातार बढ़ती 'भूख' है तो दूसरी तरफ, दुधारू, खेतिहर पशुओं के लिए चारा । इन दोनों जरूरतों से जुड़े हितग्राही अपने-अपने हितों को लेकर आंदोलनरत हैं। राजस्थान में गोचर भूमि को बचाने के लिए लड़ाई लड़ी जा रही है। लंबे समय से लगातार हो रहे अतिक्रमणों के कारण ग

गायब होते गोचर की लड़ाई
पक्षियों के पर्यावास पर जलवायु परिवर्तन का प्रभाव
पिछले 22 वर्षों में एकत्र किये गये आंकड़ों के आधार पर वैज्ञानिकों ने निष्कर्ष निकाला कि प्रतिवर्ष धीरे-धीरे सर्दियों का न्यूनतम तापमान निरन्तर बढ़ता जा रहा है, जिसके कारण उस समय सभी पक्षियों ने एक साथ उत्तर की ओर प्रवास नहीं शुरू किया बल्कि कई गर्म अनुकूल प्रजातियों नें उत्तर में कुछ और समय व्यतीत करना प्रारम्भ किया। गर्म अनुकूलन वाली प्रजातियां दशक पहले दक्षिण में केवल जाड़े की प्रजातियां हैं। उत्तर पूर्वी अमेरिका में धीरे-धीरे गर्म-अनुकूलित पक्षियों का प्रभुत्व बढ़ रहा है। Posted on 05 Sep, 2023 03:10 PM

ग्लोबल वार्मिंग के कारण धरती का तापमान बढ़ रहा है। हिमनद पिघल रहे हैं प्रदूषण बढ़ रहा है। पिछले कुछ दशकों से पृथ्वी का तापमान लगातार बढ़ रहा है और पृथ्वी धीरे-धीरे गर्म हो रही है इस गर्मी के प्रति सजीव (पेड़ पौधे एवं जीव जन्तु) अलग-अलग प्रकार से संवेदना प्रदर्षित कर रहे हैं। पक्षियों द्वारा प्रदर्षित की जाने वाले इन संवेदनाओं के क्या परिणाम हो सकते हैं, यह जानने के लिये विभिन्न शोध किये जा रहे

पक्षियों के पर्यावास पर जलवायु परिवर्तन का प्रभाव
जलवायु परिवर्तन और भारतीय कृषि
कृषि विस्तार भी, बड़े पैमाने पर वनों की कटाई के साथ ही भूमि के उपयोग में तेजी से परिवर्तन और भूमि   प्रबन्धन के तरीकों में बड़ा बदलाव अनुभव कर रहा है। 30 सितम्बर 2013 को संयुक्त राष्ट्र की जलवायु परिवर्तन पर अंतर-सरकारी समिति आई.पी.सी.सी. की रिपोर्ट के आधार पर वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि इंसानों के कारण ही धरती के तापमान में अत्यधिक बढोतरी हो  रही है। Posted on 05 Sep, 2023 02:06 PM

देश की आजादी के बाद, हमने जितनी भी उपलब्धियां हासिल कीं, उन सभी में देश को भुखमरी से आजादी दिलाना और खाद्य उत्पादन में देश को आत्मनिर्भर करना, हमारी सबसे बड़ी उपलब्धि रही है। यह सब कुछ हमारे वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं के अथक प्रयास ही सम्भव हो सका है। सन् 1960-61 में हमारा खाद्य उत्पादन 82 मिलियन टन था जो आज 2013-14 में बढ़कर अपने रिकार्ड स्तर 264 मिलियन टन तक पहुंच गया है। बढ़ती हुई आबादी के बा

जलवायु परिवर्तन और भारतीय कृषि
प्रकृति-कल और आज
कृषि में उर्वरकों और कीटनाशकों के बेतहाशा प्रयोग से कृषि-चक्र गड़बड़ा गया है। खाद्यान्नों का उत्पादन तो बढ़ा है परंतु उसकी गुणवत्ता प्रभावित हुई है। हाइब्रिड बीजों के कारण खाद्यान्नों के नैसर्गिक गुण लुप्तप्राय हो गए हैं। मेथी और धनियां जैसे पौधों से निकलने वाली विशेष गंध समाप्त हो गई है। कीटनाशकों के अंधाधुंध प्रयोग के कारण कैंसर जैसी बीमारियों में बढ़ोतरी हुई है। Posted on 04 Sep, 2023 04:54 PM

प्राचीन काल में मनुष्य ने पृथ्वी को माता और आकाश को पिता माना था अथर्ववेद के पृथ्वी सूक्त भी में लिखा गया है "हे धरती मां, जो कुछ भी मैं तुझसे लूंगा, वह उतना ही होगा, जिसे तू पुनः पैदा कर सके, तेरे मर्मस्थल पर या तेरी जीवन शक्ति पर कभी आघात नहीं करूंगा" परंतु आधुनिक मानव और पृथ्वी के मध्य शोषक और शोषित के संबंध बन गए हैं। मनुष्य आकाश और सौर मंडल में भी अतिक्रमण कर चुका है। तमाम प्राकृतिक आपदाएं

प्रकृति-कल और आज
ग्लोबल वॉर्मिंग से बढ़ता खतरा
जलवायु परिवर्तन का प्रभाव मानव जाति के साथ-साथ, वन्यजीवों, कृषि और ऋतुओं पर भी पड़ रहा है। इस वर्ष समय पर वर्षा न होने के कारण देश के लगभग 12 राज्य सूखे से प्रभावित हुए, जिसका प्रभाव देश की अर्थव्यवस्था और अनेक प्रजातियों पर देखा गया। जलवायु परिवर्तन से पृथ्वी पर रहने वाली सभी प्रजातियों को लगातार परिवर्तनशील होना पड़ रहा है Posted on 04 Sep, 2023 04:46 PM

आज पूरा विश्व जलवायु परिवर्तन की समस्या से ग्रस्त है। मनुष्य प्रतिदिन पानी, वायु और वृक्षों को हानि पहुंचा रहा है। वह स्वयं के सुखों के संसाधनों को जुटाने के लिए प्रतिदिन प्रकृति को नुकसान पहुंचा रहा है। वह अपने कारखानों/ घरों से गंदा पानी एंव कचरा नदियों में डाल रहा है या फिर खुले में कचरे को फेंक रहा है। मनुष्य के इस कृत्य से जल और वायु प्रदूषित हो रहे हैं। यह प्रदूषण हमारी ओजोन परत को नुकसान

ग्लोबल वॉर्मिंग से बढ़ता खतरा
जलवायु परिवर्तन का अरुणाचल प्रदेश की जैव-विविधता पर प्रभाव : एक आकलन
वर्तमान समय में जलवायु परिवर्तन विश्व की सबसे ज्वलंत पर्यावरणीय समस्याओं में से एक है। अंतर सरकारी पैनल (आईपीसीसी) की पांचवी आकलन रिपोर्ट (एआर 5) के अनुसार इस शताब्दी के अंत तक वैश्विक तापमान में 0.3 से 4.8 डिग्री सेल्सियस की बढ़ोतरी होगी। तापमान में उपरोक्त वृद्धि स्वास्थ्य, कृषि, वन, जल-संसाधन, तटीय क्षेत्रों, जैव विविधता और पारिस्थितिकी तंत्रों पर विपरीत प्रभाव डालेगी। Posted on 01 Sep, 2023 02:19 PM

वर्तमान समय में जलवायु परिवर्तन विश्व की सबसे ज्वलंत पर्यावरणीय समस्याओं में से एक है। अंतर सरकारी पैनल (आईपीसीसी) की पांचवी आकलन रिपोर्ट (एआर 5) के अनुसार इस शताब्दी के अंत तक वैश्विक तापमान में 0.3 से 4.8 डिग्री सेल्सियस की बढ़ोतरी होगी। तापमान में उपरोक्त वृद्धि स्वास्थ्य, कृषि, वन, जल-संसाधन, तटीय क्षेत्रों, जैव विविधता और पारिस्थितिकी तंत्रों पर विपरीत प्रभाव डालेगी। आईपीसीसी के अनुसार, यद

जलवायु परिवर्तन का अरुणाचल प्रदेश की जैव-विविधता पर प्रभाव : एक आकलन
वैश्विक प्राकृतिक घटनाएं एवं उनका प्रभाव - ग्लोबल वार्मिंग के सन्दर्भ में
आज तक सम्पूर्ण विश्व इस ओर कुछ करने में असमर्थ है क्योंकि इसका सीधा प्रभाव विकसित देशों की औद्योगिक दर एवं विकास दर पर पड़ रहा है जिससे ये देश अपनी इस समस्या का उल्लेख कर इस वैश्विक समस्या ग्लोबल वार्मिंग के प्रति उदासीन दिखाई देते हैं। वैसे अगर देखा जाये तो देश से ज़्यादा देश के लोगों का इस समस्या के प्रति उदासीन रवैया इस समस्या को बढ़ा रहा है क्योंकि देखा जाए तो ग्लोबल वार्मिंग में उपस्थित ग्रीन हाउस गैसों के कारक सामान्य व्यक्ति से जुड़े हैं जिनमें कार्बन उत्सर्जन रेट मुख्य कारक है। Posted on 01 Sep, 2023 01:31 PM

ग्लोबल वार्मिंग आज के सन्दर्भ में बड़ा ही सामान्य सा नाम है। इसके अर्थ को आज कल हर सामान्य व्यक्ति जानता हैं परन्तु इसका प्रभाव जो आम जीवन पर पड़ता है वह एक विशेष अवस्था है जिसे बहुत कम लोग जानते हैं। जैसे-जैसे समाज और देश प्रगति करते गए, वैसे-वैसे मानव और प्रकृति के बीच असंतुलन बढ़ता गया। गैसों के उत्सर्जन को लेकर भारत ही नहीं सम्पूर्ण विश्व चिंतित है परन्तु विशेष बात यह है कि आज तक सम्पूर्ण व

वैश्विक प्राकृतिक घटनाएं एवं उनका प्रभाव - ग्लोबल वार्मिंग के सन्दर्भ में
पर्यावरण से सम्बंधित गंभीर समस्याएं एवं चुनौतियाँ (Serious problems and challenges related to environment in Hindi)
प्रकृति के सजृनात्मक एवं ममतामयी रूप के चलते ही जीवन अपने सब रंग रूपों में इस धरती पर बिखरा पड़ा है। लेकिन इसी जीवनदायनी प्रकृति का एक डरावना चेहरा भी है जिसे हम आमतौर पर प्राकृतिक आपदाओं के नाम से जानते है। प्राकृतिक आपदाएं वह शक्तियां है जिनके सामने मानव पूरी तरह बेबस है। भूकंप, ज्वालामुखीय विस्फोट, बाढ़, चक्रवात, सुनामी आदि प्रकृति की ऐसी ही विध्वंसकारी ताकतें हैं जो जीवन के नामोंनिशान को पूरी तरह मिटाने में सक्षम हैं। Posted on 29 Aug, 2023 05:04 PM

वर्तमान में मानव को प्रदूषण संबंधी अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। इन समस्याओं में जलवायु परिवर्तन की भी अहम भूमिका है। मनुष्य को तरह-तरह के संकेतों से प्रकृति समझा रही है कि धरती का तापमान बढ़ रहा है। प्राकृतिक आपदाएं भी प्रकृति के ऐसे ही संकेतों का रूप है जिनके द्वारा हम समझ सकते हैं कि पृथ्वी की जलवायु में परिवर्तन हो रहा है।

झीनी होती ओजोन परत
प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन से प्रभावित होता स्वास्थ्य
प्रदूषण का मानव के स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है। प्रदूषण जनित जलवायु परिवर्तन के कारण बाढ़ एवं सूखे की स्थिति में विस्थापन के कारण कुपोषण, भुखमरी एवं संक्रामक रोगों का भी खतरा बढ़ जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार वर्ष 1970 के बाद हुए जलवायु परिवर्तन के परिणामस्वरूप विकासशील देशों में प्रतिवर्ष 1,50,000 लोगों की मृत्यु हो जाती है। Posted on 28 Aug, 2023 03:45 PM

हमारे आस-पास के पर्यावरण का स्वास्थ्य से सीधा संबंध होता है। स्वस्थ पर्यावरण अच्छे स्वास्थ्य की निशानी होती है । इसलिए अच्छे स्वास्थ्य के लिए पर्यावरण की सुरक्षा भी आवश्यक है। यदि पर्यावरण ही प्रदूषित हो तब फिर अच्छे स्वास्थ्य की उम्मीद नहीं की जा सकती है। निरोगी जीवन के लिए शुद्ध आबोहवा या कहें जलवायु का सर्वाधिक योगदान होता है।

प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन से प्रभावित होता स्वास्थ्य
वैश्विक तापन के संभावित परिणाम
बढ़ते प्रदूषण के कारण तापमान में बदलाव का विश्व भर में व्यापक प्रभाव दिखाई दे रहा है । आज बदलती जलवायु के प्रभाव कुछ क्षेत्रों विशेष रूप से आर्कटिक क्षेत्र, अफ्रीका और छोटे द्वीपों को अधिक प्रभावित कर रहा है। उत्तरी ध्रुव (आर्कटिक) दुनिया की तुलना में दोगुनी दर से गर्म हो रहा है। वैज्ञानिकों के अनुसार आगामी कुछ वर्षों में ग्रीष्म ऋतु के दौरान उत्तरी ध्रुव की बर्फ पिघल जाएगी । एक अन्य अध्ययन के अनुसार ऐसा छह वर्ष के दौरान भी हो सकता है। पिछले 100 वर्षों में अंटार्कटिका के तापमान में दोगुनी वृद्धि हुई है। Posted on 28 Aug, 2023 02:26 PM

प्रदूषण से उत्पन्न समस्याओं ने धरती के विविध रंगों को बेरंग कर दिया है। प्रदूषण के कारण बदलती आबोहवा जीवन के ताने-बाने को पूरी तरह नष्ट करने को है । प्रदूषण के चलते उत्पन्न अनेक समस्याओं में बदलती जलवायु मुख्य समस्या है। आज बदलती जलवायु से कहीं ग्लेशियर पिघलने लगे हैं तो कहीं नदियां सूखने लगीं हैं जिसके कारण कहीं धरती की प्यास बढ़ रही है तो कहीं फसलें तबाह होने लगीं हैं। इस अध्याय में प्रदूषण औ

वैश्विक तापन के संभावित परिणाम
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