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जलवायु परिवर्तन
अंतर्निहित है जल और जलवायु रिश्ता
Posted on 08 Jan, 2024 12:57 PMमानव जाति सबसे खराब कोविड-19 तबाही का सामना कर रही है, जो प्रथम दृष्टया स्वयं की मूढ़ता से तैयार हुआ और अब हर देश इससे निपटने के लिए अपने संबंधित कौशल का इस्तेमाल कर रहा है। अब तक भारत ने इससे निपटने के लिए उल्लेखनीय कार्य किया है। लेकिन यहां पर लंबे समय के लिए जल की कमी और वैश्विक जलवायु परिवर्तन की ज्यादा गंभीर चुनौतियां हैं। पानी की बढ़ती मांग ने भूजल पंपिंग के उपयोग को बढ़ा दिया है। 2 करोड
![अंतर्निहित है जल और जलवायु रिश्ता](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/2024-01/jal%20aur%20jalvayu%20parivartan.jpeg?itok=4kkv52YK)
जलवायु के बदलाव से घट रहा कृषि उत्पादन|Reduced Agricultural Productivity Due To Climate Change
Posted on 03 Jan, 2024 12:17 PMभारत की आबादी तकरीबन डेढ़ अरब है। अब यह दुनिया की सब से बड़ी आबादी वाला देश हो चुका है. इस से प्राकृतिक संसाधनों के दोहन का दबाव भी बढ़ रहा है. बढ़ी हुई आबादी ने देश में खाद्यान्न की मांग में भी बढ़ोतरी की है।
![जलवायु परिवर्तन से प्रभावित कृषि](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/2024-01/OIG%20-%202024-01-03T132403.083.jpeg?itok=uA4GuF9d)
जलवायु परिवर्तन से जल संसाधनों पर बढ़ता संकट - आंकलन एवं उपाय
Posted on 20 Nov, 2023 04:52 PMआईए मिलकर जल संसाधनों की रक्षा करें!
- वनों का संरक्षण करें।
- वर्षा के जल को एकत्रित करें।
- एकीकृत जलागम प्रबन्धन को अपनाएं।
- भू-जल पुनर्भरण करें।
- हिमनदों / खण्डों को संरक्षित करें।
- नदी के वास्तविक बहाव को न बदलें।
- हिमनदों में बढ़ती मानवीय गतिविधियां कम करें।
- प्राकृतिक झीलों एवं तलाबों का संर
![जलवायु परिवर्तन से जल संसाधनों पर बढ़ता संकट](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/2023-11/CLIMATE%20CHANGE%20.jpeg?itok=P3TsWqz5)
बिगड़ रहा है पर्वतीय संतुलन
Posted on 13 Nov, 2023 11:26 AMभूगर्भीय जल स्तर को बनाए रखने के लिए यह आवश्यक है कि इसका पुनर्भरण होता रहे, जो अधिकतम बरसात के पानी और नदियों, नहरों से होता है भारत की राजधानी दिल्ली की बात करें जहां केंद्र और राज्य सरकार दोनों इस शहर की देखभाल करती हैं
![बिगड़ रहा है पर्वतीय संतुलन](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/2023-11/climate..change.jpeg?itok=7QT4hOgx)
जलवायु परिवर्तन का प्रभाव:प्राकृतिक संसाधनों के दोहन से पहाड़ों का अस्तित्व खतरे में
Posted on 10 Nov, 2023 02:33 PMजलवायु परिवर्तन का मतलब है कि पृथ्वी की जलवायु में लंबे समय तक स्थायी या अस्थायी बदलाव होते हैं। ये बदलाव प्राकृतिक कारणों से भी हो सकते हैं, लेकिन मुख्य रूप से मानव की गतिविधियों के कारण होते हैं। मानव जीवाश्म ईंधनों का अधिक उपयोग करते हैं, जिससे ग्रीनहाउस गैसें जैसे कार्बन डाइऑक्साइड, मीथेन और नाइट्रस ऑक्साइड वायुमंडल में छोड़ी जाती हैं। ये गैसें सूर्य की किरणों को वापस भेजने में रुकावट डालती
![जलवायु परिवर्तन का प्रभाव](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/2023-11/climate%20change%20inmountains.jpeg?itok=HGU47DS7)
बाहर से शांत दिखने वाला पहाड़ अंदर से कितना धधक रहा है
Posted on 08 Nov, 2023 11:17 AMमनुष्य ने ऐसे खनिजों को धरती से खोदकर बाहर निकाल लिया है, जिसके कारण धरती पर जीवन की संभावना लगातार घट रही है।ऐसे ही जल विज्ञानी ने बताया कि नदी के नीचे तीन हिस्सा और ऊपर एक हिस्सा ही पानी बहता है।नदी की रेत खोदने से नदियां मरने लगती हैं।सरकार ने जब रेत खोदने के लिए प्रारंभिक अनुमति प्रदान की तो उन्होंने चुगान शब्द प्रयोग किया था।खनन आज का काम और लूट का नाम है।जो इतिहास और मानव सभ्यता के जानकर
![बाहर से शांत दिखने वाला पहाड़ अंदर से कितना धधक रहा है](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/2023-11/Mountains.png?itok=LCafpsKM)
तो डूब जाएगा जकार्ता
Posted on 03 Nov, 2023 03:39 PM(जकार्ता इंडोनेशिया की राजधानी है, जहाँ लगभग एक करोड़ लोग रहते हैं। यह दुनिया के सबसे बड़े शहरों में से एक है। इस शहर में रहने वालों के पैरों तले ज़मीन खिसक रही है। बीते दस सालों में यह शहर ढाई मीटर ज़मीन में समा गया है। लोगों के घरों में समुद्र का पानी घुसता चला जा रहा है। लेकिन दलदली ज़मीन पर बसे इस शहर पर बड़ी हाउसिंग और कमर्शियल काम्पलेक्स का निर्माण कार्य लगातार जारी है। इंडोनेशिया के वैज्
![तो डूब जाएगा जकार्ता](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/2023-11/Jakarta%20sinking.jpeg?itok=x3IYKlvy)
जलवायु परिवर्तन और खाद्य सुरक्षा का सवाल
Posted on 01 Nov, 2023 12:21 PMविगत वर्षों में विश्व के विकसित एवं विकासशील देशों में औद्योगीकरण और जनसंख्या वृद्धि के साथ-साथ कृषि भूमि का विस्तार हुआ है। साथ ही जहां एक ओर शहरीकरण तथा यातायात के साधनों में वृद्धि के कारण सकल कृषि क्षेत्र में कमी आयी है, वहीं दूसरी ओर विकासोन्मुख देशों में अब कृषि योग्य भूमि के विस्तार की संभावनाएं बहुत ही सीमित हो गयी हैं। तीव्र गति से आगे बढ़ती हुई मुक्त वैश्विक अर्थव्यवस्था एवं बाजार के
![जलवायु परिवर्तन : संकट में कृषि, संकट में जीवन,Pc-सर्वोदय जगत](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/2023-11/%E0%A4%9C%E0%A4%B2%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%AF%E0%A5%81%20%E0%A4%AA%E0%A4%B0%E0%A4%BF%E0%A4%B5%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%A4%E0%A4%A8.png?itok=SEVOp38Z)
ग्लोबल वार्मिंग ने पैदा किया जीवन पर संकट
Posted on 01 Nov, 2023 11:24 AMइटली की टाइबर नदी पर दो हजार साल पहले रोमन सम्राट नीरो द्वारा बनवाया गया पुल, जिसके अवशेष पानी में डूबे रहते हैं, इस बार नदी के सूखने के कारण देखे जा सकते हैं. यह सूचना इतिहास में रुचि रखने वालों के लिए उत्सुकतापूर्ण हो सकती है, किंतु पर्यावरण की दृष्टि से चिंताजनक है. यह अपवाद नहीं है. ‘पो’ (इटली की गंगा),आरनो, एनीऐन आदि नदियां भी सूखे का सामना कर रही हैं.
![ग्लोबल वार्मिंग ने पैदा किया जीवन पर संकट](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/2023-11/Climate%20chnage.jpeg?itok=_GHUDaF9)
जलवायु परिवर्तन, गांधी और वैश्विक परिदृश्य
Posted on 31 Oct, 2023 12:48 PMगांधीजी ने कहा था कि धरती सारे मनुष्यों की आवश्यकताओं की पूर्ति करने में सक्षम है, लेकिन किसी एक का भी लालच पूरा करने में वह असमर्थ है। जलवायु परिवर्तन या जलवायु विघटन के मूल में गांधी जी का यही विचार निहित है।
![जलवायु परिवर्तन, गांधी और वैश्विक परिदृश्य](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/2023-10/GLOBAL%20WARMING-1.jpeg?itok=zn2rdCFn)