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औद्योगिक और अन्य मानव निर्मित आपदाएं
भारत,लाल सागर व्यापार मार्ग में जहाज़ों के हमलों से चावल व्यापार पर बज रही खतरे की घंटी
Posted on 11 Mar, 2024 05:22 PMभारत, दुनिया में गेहूं, चावल और चीनी का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है एवं बासमती चावल के प्रमुख निर्यातकों में से एक है।
मुख्य रूप से 1121 बासमती चावल-सफेद, पूसा बासमती 1121,पारंपरिक बासमती चावल, गोल्डन सेला बासमती चावल, सुगंधा बासमती चावल, शरबती बासमती चावल भारत से एक्सपोर्ट होते हैं अतः यह भारत की अर्थव्यस्था में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं।
विनाश और विकास | Development or Destruction
Posted on 04 Jan, 2024 01:31 PMकेरल के विझिंजाम में निर्माणाधीन बंदरगाह को लेकर विरोध जारी है। सरकार का दावा है कि यह बंदरगाह 'भारत का सिंगापुर' साबित होगा, जिससे राज्य में समृद्धि आएगी। पर्यावरण विज्ञानियों और अर्थशास्त्रियों का अध्ययन कुछ और ही कहता है। जितने भी भारतीय राज्यों को मैं जानता हूं, उनमें केरल में नागरिक समाज संगठन सबसे अधिक सक्रिय हैं, जो सरकारों और राजनीतिक पार्टियों के हस्तक्षेप से परे स्वतंत्र रूप से फलते-फ
विष्णुगाड पीपलकोटी पनबिजली परियोजना से प्रभावित हाट गांव और वर्ल्ड बैंक
Posted on 31 Oct, 2023 05:01 PMवर्ल्ड बैंक में शिकायत
उत्तराखंड के चमोली में भारत से जुड़ी एक ‘विष्णुगाड पीपलकोटी हाइड्रो पावर परियोजना’ मामले में, वर्ल्ड बैंक के इंस्पेक्शन पैनल ने 83 समुदायों की प्रार्थना को स्वीकार करते हुए, उसे दर्ज कर लिया है। विश्वबैंक की टीम दौरा भी कर चुकी है। ग्रामीणजनों को विश्वबैंक से न्याय की उम्मीद है। हाट गांव के ग्रामीणों का कहना है कि परियोजना के कारण हाट गां
भूस्खलन संभावित क्षेत्रों में स्थापित शहर
Posted on 31 Oct, 2023 03:45 PMउत्तराखंड में हर साल भूस्खलन और भारी बारिश जैसी खतरनाक स्थितियाँ उत्पन्न होती हैं जो लोगों को नुकसान पहुँचा सकती हैं और उनके जीवन को अस्त-व्यस्त कर सकती हैं। इन आपदाओं को रोकने की कोशिश करने के लिए, वैज्ञानिकों के एक समूह ने एक बैठक की और शहरों को भूस्खलन वाले क्षेत्रों से दूर रखने के विचार लेकर आए।
जोशीमठ त्रासदी के लिए कौन हैं ज़िम्मेदार
Posted on 31 Oct, 2023 12:26 PMजोशीमठ के बारे में जो खबरें आ रही हैं, वे न केवल एक पहाड़ी शहर के जमींदोज होते जाने की हौलनाक दास्तान बयान करती हैं, बल्कि चीन की सीमा के नजदीक होने के कारण राष्ट्रीय सुरक्षा की ओर से भी चिंतित करने वाली हैं। जोशीमठ में मकानों और सड़कों में दरार आने की खबर आज से नहीं, बल्कि पिछले दो साल से लगातार आ रही है, अलग बात है कि सरकार अब जागी है। समस्या है जोशीमठ की जमीन के निरंतर धंसते जाने की और यह गत
पूंजीपतियों का गंगा-विलास
Posted on 30 Oct, 2023 11:40 AMरिवर क्रूज़; यह क्रूज़ बेहद फ़ैसिनेटिंग शब्द है। ‘टाइटैनिक’ के छलावे से लेकर ‘कहो ना प्यार है’ के भुलावे तक, बचपन और तरुणाई के दो बेहद महत्वपूर्ण पड़ाव इस रास्ते से गुज़रे हैं।
हिमालय बना आपदा का घर
Posted on 28 Oct, 2023 01:09 PMहिमालय आपदा का घर बन गया है। पहाड़ तेजी से दरक रहे हैं। हाहाकार मचा हुआ है। हिमाचल और उत्तराखंड में 24 जून से 21 अगस्त, 2023 के दौरान भारी बारिश में भूस्खलन से सैकड़ों लोग मारे गए हैं। हिमाचल में 800 से अधिक स्थानों पर सड़कें बंद रहीं, जिनमें 113 स्थान ऐसे हैं, जहां जानलेवा लैंडस्लाइड्स के कारण 330 से ज्यादा लोगों की जान चली गई और 38 लोग लापता हैं। उत्तराखंड में 360 से अधिक डेंजर जोन बन गए हैं,
भूस्खलन और अनियोजित भूमि योजना ढहा रहे कहर
Posted on 27 Oct, 2023 05:12 PMजहां एक तरफ देश में भारी बारिश और भूस्खलन से पहाड़ी राज्यों में तबाही जारी है, दूसरी तरफ राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण द्वारा प्रकाशित 2019 रणनीति दस्तावेज से कुछ चौंकाने वाले तथ्य प्रकाश में आए हैं ये किस प्रकार विचारहीन शहरी नियोजन तथा निर्माण संबंधी कानूनों और विस्तृत भूमि उपयोग नीति के अभाव ने इस समस्या को अधिक व्यापक बनाया। आपदाएं आती रहीं फिर भी इनसे संबंधित चिंताओं को बार- बार नजरअं
जोशीमठ पर मिश्र कमेटी की रिपोर्ट पर केंद्र सरकार का गोलमोल जवाब
Posted on 27 Oct, 2023 04:01 PM1 अगस्त, 2023 को जोशीमठ भूधंसाव के मामले में सरकार से संसद में सवाल पूछा गया, लेकिन सरकार की ओर से पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने पुरानी बातें दोहरा दीं। बताया कि भूधसाव के बाद तपोवन-विष्णुगढ़ पनबिजली परियोजना और हेलंग मारवाड़ी बाइपास का काम रोक दिया गया था। हालांकि, उन्होंने यह नहीं बताया कि हेलंग बाइपास का काम बाद में शुरू कर दिया गया था।
धंसता गया जोशीमठ, आंखें मूंदे रहीं सरकारें!
Posted on 20 Oct, 2023 11:17 AMविख्यात स्विस भूवैज्ञानिक अर्नोल्ड हीम और उनके सहयोगी आगस्टो गैस्टर ने 1936 में मध्य हिमालय की भूगर्वीय संरचना पर जब पहला अभियान चलाया था, तो अपने यात्रा वृतान्त ‘द थ्रोन ऑफ़ द गॉड (1938) और शोध ग्रन्थ ‘सेन्ट्रल हिमालया: जियोलोजिकल आबजर्वेशन्स ऑफ़ द स्विस एक्सपीडिशन (1939) में उन्होंने टैक्टोनिक दरार व मुख्य केन्द्रीय भ्रंश की मौजूदगी को चिन्हित करने के साथ ही चमोली गढ़वाल के हेलंग से लेकर तपोव