भूस्खलन संभावित क्षेत्रों में स्थापित शहर

नदियों के किनारे बसे लोग
नदियों के किनारे बसे लोग

उत्तराखंड में हर साल भूस्खलन और भारी बारिश जैसी खतरनाक स्थितियाँ उत्पन्न होती हैं जो लोगों को नुकसान पहुँचा सकती हैं और उनके जीवन को अस्त-व्यस्त कर सकती हैं। इन आपदाओं को रोकने की कोशिश करने के लिए, वैज्ञानिकों के एक समूह ने एक बैठक की और शहरों को भूस्खलन वाले क्षेत्रों से दूर रखने के विचार लेकर आए।

कार्यशाला में इंजीनियरों के अलावा अन्य बुद्धिमान लोग भी थे। उनमें से एक, बोदी पाटनी, जमीन का अध्ययन करने वाले एक विशेष समूह के प्रभारी हुआ करते थे। उन्होंने कहा कि पहाड़ पर बहुत सारे शहर ऐसे स्थानों पर हैं जहां जमीन खिसक सकती है और बड़ी दुर्घटनाएं हो सकती हैं। ये शहर नदियों के भी करीब हैं, जिससे समस्या और भी बदतर हो सकती है। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि अधिक लोग इन खतरनाक क्षेत्रों में रहने न आएं।

आपदाओं पर काम करने वाले डॉ. राजीव सिन्हा नामक व्यक्ति द्वारा एक विशेष कार्यक्रम शुरू किया गया था। वह इस कार्यक्रम में ऑनलाइन शामिल हुए। फिर, कुछ लोग जो आपदाओं के बारे में बहुत कुछ जानते हैं, उन्होंने इस बारे में बात की कि वे पहाड़ों में क्यों होती हैं और उन्हें कैसे रोका जाए। उन्होंने जम्मू-कश्मीर और हिमाचल जैसी जगहों पर होने वाले भूस्खलन, हिमस्खलन और अन्य बुरी चीजों की तस्वीरें और वीडियो दिखाने के लिए एक मशीन का इस्तेमाल किया। उन्होंने यह भी बताया कि ये चीज़ें क्यों होती हैं और हम इन्हें होने से कैसे रोक सकते हैं।

बीडी पाटनी ने उत्तराखंड के बारे में बात की और बताया कि जौलजीवी, मुनस्यारी और कपकोट जैसे कुछ शहर ऐसे क्षेत्रों में हैं जहां पहाड़ों पर भूस्खलन हो सकता है। नदियों के किनारे रहने वाले लोगों की संख्या भी बढ़ रही है। हमें इस स्थिति को प्रबंधित करने का एक तरीका खोजने की जरूरत है।

सिक्किम और मिजोरम जैसे राज्यों में उत्कृष्ट कार्य प्रदर्शित हुआ है। हमें उनसे सीखने की आवश्यकता है। भविष्य की संकटों से बचाव हेतु हमें पहले से ही योजना बनानी चाहिए। इसके लिए हमें अनुभवी विशेषज्ञों की आवश्यकता होगी। हमें उनके अध्ययन को गंभीरता से लेना होगा। वर्तमान में भारत का तकनीकी दृष्टिकोण सशक्त है। इस दौरान, हिमालयन सोसायटी ऑफ़ जियोसायंस के अध्यक्ष आरएस घरखाल, गोदावरी नदी प्रबंधन बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष एचके साहू, पूर्व मुख्य वैज्ञानिक डा। शांतनु सरकार, डीआरडीओ के पूर्व वैज्ञानिक आरके वर्मा, आईआईटी रुड़की के सहयोगी प्रोफेसर डा। एसपी प्रधान, समेत अन्य विद्वान मौजूद थे। 

उत्तराखंड में आपदा से बचाव के लिए हल्द्वानी में एक मंथन आयोजित हुआ।

• आपदा प्रबंधन सचिव ने शुरुआत की और इसे वर्चुअली किया।

• हिमालयन सोसायटी आफ जियो साइंटिस्ट की कार्यशाला में पूर्व चीफ पाटनी ने महत्वपूर्ण सुझाव दिए। 

स्रोत-दैनिक जागरण, 31अक्टूबर 2023,देहरादून 

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