अनुपम सौगात है
वर्षाजल जो बरसकर
दौड़ रहा द्रुत गति से
उसे किसी भाँति अंकुश लगा
चलना सिखा दें।
जहाँ पानी चल रहा हो
उसे प्रयास कर
धीमी गति से
रेंगना सिखा दें।
और जहाँ देखें रेंगता हुआ
उसे घेर-पकड़ कर
धरती मैया की
कोख में पहुँचा दें।
ताकि जरूरत पड़ने पर
निकाल सके जल संचित
यही है जल संरक्षण
का बेमिसाल उपाय।
वरना आगामी समय में
माँगोगे जल
और सूखी नदी
ठेंगा दिखाती
रह जाएगी असहाय।
सम्पर्क
डॉ. सेवा नन्दवाल, 98 डी के-1, स्कीम 74-सी, विजय नगर, इन्दौर-452010, मो. - 9685254053
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