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ਇਹ ਕਹਾਣੀ ਸੱਚੀ ਹੈ ਜਾਂ ਇਤਿਹਾਸਕ ਹੈ-ਪਤਾ ਨਹੀਂ। ਪਰ ਆਪਣੇ ਦੇਸ਼ ਦੇ ਮੱਧ-ਭਾਗ ਦੇ ਇੱਕ ਬਹੁਤ ਵੱਡੇ ਹਿੱਸੇ
ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਪਾਣੀ ਦੇ ਨਾਲ ਸਾਡੇ ਲੋਕ ਜੀਵਨ ਦੇ ਕਿੰਨੇ ਨਿੱਤਨੇਮ ਜੁੜੇ ਸਨ, ਖੂਹ, ਤਾਲਾਬ, ਸਰੋਵਰ, ਬਾਓਲੀਆਂ ਕ
अमृत और दूसरा क्या है
यह जल ही तो अमृत है
जल है तो
सचमुच कल है
आशान्वित अपना
हर पल है।
जल का जो
समझे न मोल
उसे बताओ
यह कितना अनमोल।
जल श्रोतों से
प्राप्त जल से
प्राणों का संचार
जल ही से तो
समक्ष हमारे
यह समग्र संसार।
अपव्यय खुद
जल का रोको
कोई और करे तो
इस योजना का प्रमुख अंग था हिमालय के समानान्तर एक बड़ी नहर का निर्माण करके उसे मध्य देश और
सचमुच, ये धरती माता, एक मटके के समान ही है, जिसमें से लगातार पानी उलीचा जा रहा है। हमारे
अटारी खेजड़ा गाँव के लोग पशुओं को पानी उपलब्ध कराने के मामले में निश्चिंत हैं। चालीस साल त