डाॅ. सुषमा अय्यर

डाॅ. सुषमा अय्यर
तापी की बाढ़: (2006)
Posted on 29 Dec, 2015 03:01 PM

कभी-कभी जाते थे जिसे मिलने,
वही तापी आ गई सबके घर रहने।
बनी चण्डिका, जल की ले चाबुक।
देखते ही झील बन गया सारा शहर,
प्रलय सा मच गया बाढ़ का कहर।
मानो सूरत ने ले ली हो जल समाधि,
कहीं घर पूरे डूबे, कहीं छत आधी।
गली, घर, दफ्तर, हो या हो पाठशाला,
अस्पताल, दुकान का हो पहला माला,
सारी जमीन पानी में थी गर्क,
मिट गया ऊँच-नीच का फर्क।
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