पुस्तकें और पुस्तक समीक्षा

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बेलोही जलप्रपात
Posted on 28 Feb, 2010 12:31 PM यह प्रपात हनुमना तहसील में गोरमा नदी पर है तथा हनुमना कस्बा से 15 किलोमीटर की दूरी पर बिल्कुल मैदानी भूमि में स्थित है। इसकी ऊँचाई 334 फुट है। गोरमा नदी, गोयला, नामक काया की एक गली से जन्म लेती है जो आगे चलकर 40 किलोमीटर की दूरी तय कर बैलोही जल प्रपात में परिवर्तित हो जाती है। इस प्रपात को स्थानीय बघेली बोली में छोड़ का कूड़ा भी कहते हैं।
पुरवा जलप्रपात
Posted on 28 Feb, 2010 12:29 PM जल राशि की सुन्दर कलाकृति और मधुर संगीत उत्पन्न करने वाला, आत्मा को आनंद और मन को शांति प्रदान करने वाला, वृक्षों की हरीतिमा से घिरा हुआ रीवा से 48 किलोमीटर दूर सिरमौर तहसील में स्थित पुरवा एक अवलोकनीय जलप्रपात है।
बहुत जलप्रपात
Posted on 28 Feb, 2010 12:27 PM रीवा से 85 किलोमीटर दूर उत्तर पूर्व की ओर मऊगंज तहसील में बहुत प्रपात स्थित है। ओड्डा नदी, सीतापुर से निकलकर 40 किलोमीटर दूरी के बाद मऊगंज से 15 किलोमीटर दूर बहुत ग्राम के निकट, बहुत जलप्रपात का निर्माण करती है। इस प्रपात की गहराई 465 फुट हैं। इसे रीवा जिले का सबसे गहरा प्रपात होने का गौरव प्राप्त हुआ है। बहुती ग्राम के दो किलोमीटर पहले उत्तर दिशा को बहने वाली ओड्डा नदी अर्द्धचन्द्राकार होकर पूर्व
चचाई जलप्रपात
Posted on 28 Feb, 2010 12:23 PM रीवा से उत्तर की ओर 45 कि.मी. सिरमौर तहसील में बीहर नदी द्वारा निर्मित चचाई एक खूबसूरत एवं आकर्षक जलप्रपात है, जो 115 मीटर गहरा एवं 175 मीटर चौड़ा है। बीहर नदी के एक मनोरम घाटी में गिरने से यह प्रपात बनता है। यह एक प्राकृतिक एवं गोलाकार जल प्रपात है।
सरिता संगम-संस्कृति
Posted on 28 Feb, 2010 07:48 AM जो भूमि केवल वर्षा के पानी से ही सींची जाती है और जहां वर्षा के आधार पर ही खेती हुआ करती है , उस भूमि को ‘देव मातृक’ कहते है, इसके विपरीत, जो भूमि इस प्रकार वर्षा पर आधार नहीं रखती, बल्कि नदी के पानी से सींची जाती है और निश्चित फसल देती है, उसे ‘नदी मातृक’ कहते हैं। भारतवर्ष में जिन लोगों ने भूमि के इस प्रकार दो हिस्से किए, उन्होंने नदी को कितना महत्व दिया था, यह हम आसानी से समझ सकते है। पंजाब का
बरसाती गीत (भाग 2)
Posted on 27 Feb, 2010 09:28 AM मेवाजी मनावां हम तो आज
मन का तो मंगल जी गावियां
म्हारा राज.... ।।टेक।।

आबां पे चमके है चम-चम बीज
काली ने पिली जी बादलियां
म्हारा राज....... ।।1।।

बरसा हुई है घनघोर
नदी ने नाला जी भरिया
म्हारा राज........।।2।।


बागा में नाचे है ढाढर मोर
मोरनी की मन में जी भावियां
म्हारा राज........।।3।।
बरसाती गीत
Posted on 27 Feb, 2010 08:25 AM पेली पोथी रे बीमा खोली के राखी
दूजली हांता का मांय म्हारा वीरा
आवो म्हारा मेव राजा बरसो नी बरसो
बरसो नी बरसो, बरसो नी बरसो.........आवो

राम लखन जाग्या, जाग्या सीत मरूर
खेड़ा-खेड़ा पे जाग्या हे हनुमान्या
आवो म्हारा मेव राजा बरसो नी बरसो
बरसो नी बरसो, बरसो नी बरसो.........आवो

तमारा बर्स्या से धरती मां निबजे
शिप्रा को प्रदूषण मुक्त करने के उपाय
Posted on 26 Feb, 2010 05:53 PM

निष्कर्ष रूप में कह सकते हैं कि प्रदूषित जल की समुचित उपचार व्यवस्था नदी तटवर्ती सभी नगरों में होना चाहिए। इसके अतिरिक्त नदी को प्रदूषण मुक्त रखने हेतु परिक्षेत्र का वनीकरण, नदीतल का गहरीकरण आदि की दिशा में सक्रिय प्रयास होना चाहिए। इन उपायों को मूर्त रूप देने हेतु कतिपय सुझाव प्रस्तुत हैं :-

शिप्रा प्रदूषण
Posted on 26 Feb, 2010 04:34 PM

पुण्यदा शिप्रा आज से लगभग 30 वर्ष पूर्व सदानीरा थी। उस समय उसके जल की गुणवत्ता भी वैज्ञानिक दृष्टि से उत्तम थी तथा परिक्षेत्र का पर्यावरण भी संतुलित था। आज वही सदानीरा शिप्रा मौसमी नदी बन चुकी है, जिसमें मात्र वर्षा ऋतु में जल प्रवाह रहता है शेष आठ-नौ माह में से केवल नवम्बर से फरवरी तक ही चार माह जल रहता है, वह भी लगभग प्रवाह-हीन। अवशेष माहों (लगभग फरवरी से जून तक) में नदी की स्थिति दयनीय रहती

सोंधवाड़ी गीत में पणिहारिन
Posted on 26 Feb, 2010 11:46 AM

आदिकाल से भारत में पनिहारिन का महत्व चला आ रहा है। यदि कोई पनिहारिन पानी से भरा बेवड़ा लेकर कार्य पर जाते हुए व्यक्ति के सामने आ जाए तो शुभ माना जाता है।

Water
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