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विनाश की ओर बढ़ता विकास
Posted on 21 Nov, 2011 02:17 PM

सबसे बड़ी चिंता ये है कि हमने इतना प्रदूषण पैदा कर दिया है कि हमारी समुद्र की सतह पर जो गर्मी रहा करती थी, वो बढ़ रही है और गर्मी बढ़ने के कारण जो हवाएं ठीक से चलनी चाहिए, उसमें विघ्न पड़ गया है। उस विघ्न का भी नाम उन्होंने अलनीनो इफेक्ट कह रखा है। उसके कारण से जो बिचारे बादल आ रहे थे, वे बीच में रुक गए और बाकी के लौट गए बेचारे। अगर बादलों को हवा नहीं ले के आएगी, तो बादलों के पांव तो कोई होते नहीं हैं। अपने आप तो वो चल कर आ नहीं सकते हैं। उनको हवाएं ही लाएंगी। और वो हवाएं अगर गड़बड़ हो गई हैं, तो क्या होगा?

कल मैं पटना से चला। वो हफ्ते में दो दिन चलने वाली गाड़ी है, इसलिए उसमें ज्यादा भीड़ नहीं थी। मैं जाकर अपनी जगह पर बैठा। सामने एक विदेशी लेटे हुए थे। थोड़ी दूर गाड़ी आगे निकली। उन्होंने देखा कि उस डिब्बे में बैठे हुए लोग आकर मेरे दस्तखत लेने की कोशिश कर रहे हैं, मुझसे बात कर रहे हैं। उनको लगा कि ऐसे लेटे रहना शायद ठीक नहीं है। उन्होंने उठकर किसी से जाकर बात की होगी कि ये कौन हैं। फिर उन्होंने मुझसे माफी मांगी और कहा कि मैं इतनी देर पैर पसारे आपके सामने इस तरह से लेटा हुआ हूं तो ये मैं असभ्यता कर रहा था। मुझे बहुत अच्छा लग रहा है कि मैं आज आपके साथ यात्रा कर रहा हूं।

वे जर्मनी के पत्रकार थे। एक साल की छुट्टी लेकर दुनिया घूमने के लिए निकले हुए हैं। अभी वो बिलकुल चले आ रहे थे चीन से। वे चीन से नेपाल आए और नेपाल से दार्जिलिंग आए और दार्जिलिंग से बस पकड़कर पटना। पटना स्टेशन के बाहर भोजन वगरैह करके बहुत थके हुए थे, इसलिए लेट गए होंगे। जवान आदमी, ठीक बात कर रहे थे। पूछा कि आप क्यों जा रहे हैं वहां। मैंने बताया कि वहां सर्व सेवा संघ में आधुनिक सभ्यता के संकट पर ‘हिन्द स्वराज’ की चर्चा है। जर्मनी के किसी प्रसिद्ध विश्वविद्यालय में पढ़े अच्छे पत्रकार थे वे। उन्होंने कहा कि हां संकट तो सही है लेकिन
संदर्भः भूमि अधिग्रहण बिल व प्रादेशिक नीतियां
Posted on 22 Oct, 2011 02:55 PM

मुआवजा बढ़ाने से ज्यादा कृषि व सामुदायिक भूमि बचाने की नीति बनाने की जरूरत

land acquisition
बुंदेलखण्ड में मुश्किलों का नया दौर
Posted on 21 Oct, 2011 12:59 PM

कटान, खदान और जमीन हड़पो अभियान

talab
नीति बनाकर ही हो नदियों का संरक्षण
Posted on 18 Oct, 2011 12:03 PM

यदि नदियों को और खुद को बचाना है, तो सामाजिक जवाबदारी व हकदारी दोनों साथ सुनिश्चित करनी ही पड़

Yamuna
नीर फाउंडेशन ने मनाया वन महोत्सव
Posted on 05 Aug, 2011 08:03 PM वर्ष 2011 के वन महोत्सव (1-7 जुलाई) में नीर फाउंडेशन ने वन विभाग के साथ मिलकर वृक्षारोपण का निर्णय लिया। संस्था द्वारा तय किया गया कि विभाग के माध्यम से इस बार विभिन्न स्थानों पर करीब 500 पेड़ लगाए जाएंगे। इसके लिए तीन स्थानों का भी चयन किया गया। संस्था द्वारा इस अभियान को वर्ल्ड अर्थ नेटवर्क से भी जोड़ दिया गया, जिससे कि वर्ष 2011 का यह वन महोत्सव एक अन्तर्राष्ट्रीय गतिविधि में भी शामिल हो गया। ग
नीर फाउंडेशन का मुखपत्र ‘पर्यावरण संदेश’
Posted on 05 Aug, 2011 07:36 PM नीर फाउंडेशन द्वारा द्वारा पिछले कुछ समय से यह महसूस किया जा रहा था कि पर्यावरण से जुड़े स्थानीय, राष्ट्रीय व अन्तर्राष्ट्रीय मुद्दे आम समाज तक नहीं पहुंच पा रहे हैं और न ही आम जन की पर्यावरण प्रेम की पुकार नीति-निर्माताओं व उसके कर्ता-धर्ताओं तक पहुंच पा रही है। ऐसे में हिन्दी भाषी त्रैमासिक मुखपत्र ‘पर्यावरण संदेश’ के माध्यम से प्रयास होगा कि हम पर्यावरण संबंधी नई जानकारियां समाज तक पहुंचा सकें।
जमीन का कार्बन हवा में चला गया है
Posted on 14 Jul, 2011 06:53 PM पटना, जागरण ब्यूरो: 'जैविक बिहार' विषय पर आयोजित अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में बुधवार को नई हरित क्रान्ति की प्रासंगिकता खाद्य सुरक्षा और समेकित विकास के व्यापक संदर्भो में रेखांकित की गयी। वैज्ञानिकों ने मिट्टी की सेहत और संतुलन में कमी, जीवांश खत्म होते जाने, जमीन का कार्बन हवा में चले जाने और अंधाधुंध रसायनों के प्रयोग से मानव जीवन पर बढ़ रहे खतरे को लेकर गहरी चिन्ता जताई।
गंगापुत्र निगमानंद बलिदान
Posted on 13 Jun, 2011 07:04 PM

हरिद्वार की गंगा में खनन रोकने के लिए कई बार के लंबे अनशनों और जहर दिए जाने की वजह से मातृसदन के संत निगमानंद अब नहीं रहे। हरिद्वार की पवित्र धरती का गंगापुत्र अनंत यात्रा पर निकल चुका है। वैसे तो भारतीय अध्यात्म परंपरा में संत और अनंत को एक समान ही माना जाता है। सच्चे अर्थों में गंगापुत्र वे थे।

संत निगमानंद: नैनीताल उच्च न्यायालय की भ्रष्टाचार के खिलाफ 68 दिन से अनशन पर बैठे संत निगमानंद अब कोमा में पहुंचे
लक्ष्य से चूकता देश
Posted on 30 May, 2011 11:23 AM ग्यारह साल पहले यानी 2000 में सहस्त्राब्दी विकास लक्ष्य तय किए गए तो पूरी दुनिया ने इसका स्वागत किया। कहा गया कि बुनियादी समस्याओं के समाधान की राह में अहम कदम उठा लिया गया है। तकरीबन डेढ़ सौ देशों की सहभागिता वाले इन लक्ष्यों को पूरा करने के लिए दुनिया के स्तर पर काफी पैसे भी जुटाए गए। तय हुआ कि ये आठ लक्ष्य 2015 तक पूरे कर लिए जाएंगे। अब महज चार साल ही बचे हैं। ऐसे में इन लक्ष्यों को पाने को लेकर संदेह गहराता जा रहा है। न लक्ष्यों को पाने की दिशा में अपेक्षित प्रगति नहीं होने के लिए विकासशील देशों के रवैए के साथ-साथ विकसित देशों की वादाखिलाफी को भी जिम्मेदार माना जा रहा है।
गंगा-भक्त निगमानंद को जहर देकर मारने की कोशिश
Posted on 11 May, 2011 03:50 PM

गंगा में अवैध खनन के खिलाफ संत निगमानंद के 19 फरवरी को शुरू हुए अनशन के 68वें दिन 27 अप्रैल 2011 को पुलिस ने उनको गिरफ्तार कर लिया था। एक संत के जान-माल की रक्षा के लिए प्रशासन ने यह गिरफ्तारी की थी। संत निगमानंद को गिरफ्तार करके जिला चिकित्सालय हरिद्वार में भर्ती किया गया। हालांकि 68 दिन के लंबे अनशन की वजह से उनको आंखों से दिखाई और सुनाई पड़ना काफी कम हो गया था। फिर भी वे जागृत और सचेत थे और चिकित्सा सुविधाओं के वजह से उनके स्वास्थ्य में धीरे-धीरे सुधार हो रहा था।

लेकिन अचानक 2 मई 2011 को उनकी चेतना पूरी तरह से जाती रही और वे कोमा की स्थिति में चले

पुलिस हिरासत में संत निगमानंद
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