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ग्रीन मार्केटिंग वक्त की जरूरत
Posted on 21 Sep, 2010 02:31 PM वर्तमान व्यापारिक जगत में, मार्केटिंग के क्षेत्र में पर्यावरण पर आधारित मुद्दों का बहुत महत्वपूर्ण स्थान है। उत्पादों व सेवाओं का, उनके पर्यावरणीय लाभों के आधार पर विक्रय करने की प्रक्रिया को 'ग्रीन मार्केटिंग' कहा जाता है। इसके अंतर्गत वे सभी क्रय/विक्रय आते हैं जिनके द्वारा मानव की आवश्यकताओं की पूर्ति हो सके और साथ ही पर्यावरण को न्यूनतम क्षति पहुंचे। ऎसा उत्पाद या तो स्वयं पर्यावरण मित्र हो अथ
ग्रेफीन जल से आर्सेनिक हटाता है
Posted on 16 Sep, 2010 01:03 PM
ग्रेफीन कार्बन का एक द्वि-आयामी अपरूप है जिसकी खोज सन् 2004 में हुई थी। ग्रेफीन एक-परमाणु मोटाई की, द्वि-आयामी, विस्तृत, कार्बन परमाणुओं की समतल शीट होती है। ग्रेफीन कार्बन परमाणुओं की समतल, षट्भुजाकार संरचनाएं होती हैं जिनको ऐसा माना जा सकता है कि जैसे त्रि-आयामी ग्रेफाइट क्रिस्टल की एकल परत को उतार लिया गया हो। ग्रेफीन की यह एकल परत संरचना, जो मधुमक्खी के छत्ते जैसी दिखाई पड़ती है, सभी कार
पानी रे पानी
Posted on 13 Sep, 2010 12:14 PM
सालों पहले दक्षिण भारत जाना हुआ था। वहां जाने का मतलब था, विविध रंग-रूपों छवियों में समुद्र को देखना। लौटी तो स्मृति में केवल समुद्र नहीं था। था तो समुद्र-मूर्ति-कला और अध्यात्म के अद्भुत समंजन को सम्मोहित मन।

सालों के अंतराल के बाद पूछ रहा था- ‘केरल के बैक वाटर्ज गए हो?’

एकदम हां या ना में जवाब देना संभव नहीं था क्योंकि मन में यह तो था कि जरूर समुद्र से संबंधित ही यह जल-प्रसार होगा लेकिन उसकी कोई निश्चित छवि आंखों में नहीं थी। आंखों में तो समुद्र की विविध छवियां आ रही थीं।

झूठा है खतरा, बाढ़ का प्रकोप
Posted on 12 Sep, 2010 08:59 AM
जिस भेड़िये के आने का डर दिखाकर पिछले महीने भर से हमारा मीडिया अपनी भेड़ों को हांक रहा था, उस भेड़िये की आहट आ गयी है. हरियाणा के हथिनीकुण्ड से आठ लाख क्यूसेक पानी 'छोड़' दिया गया है. दिल्ली में बाढ़ वाले हालात हैं. नहीं नहीं, मीडिया हाइप नहीं है. सच में, बाढ़ के हालात हैं. यमुना के किनारे किनारे लो लाइंग (निचले) इलाकों में पानी पसर रहा है. लेकिन रुकिए.
विकास ढांचा बदलने से नदियों की मुक्ति
Posted on 29 Aug, 2010 08:16 AM
गंगा की मुक्ति के लिए काम करने वाले एक बार पुन: उत्साहित हैं। आखिर केन्द्र सरकार के मंत्रिमण्डलीय समूह ने लोहारी नागपाला जल विद्युत परियोजना पर काम रोक दिया है।
प्रोफेसर अग्रवाल ने अनशन खत्म किया
Posted on 25 Aug, 2010 09:36 AM
कहा- दिए गए आश्वासन भी पूरे हों

हरिद्वार, 24 अगस्त, उत्तराखंड में भागीरथी नदी पर बन रही लोहारी नागपाला जलविद्युत परयोजना को बंद करने की मांग को लेकर 36 दिन से आमरण अनशन पर बैठे आईआईटी कानपुर के पूर्व प्रोफेसर जीडी अग्रवाल को जूस पिलाकर व फल खिलाकर केंद्रीय पर्यावरण व वन राज्यमंत्री जयराम रमेश और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री डा.

इस साल के सूखे में दक्षिण बिहार के लोगों की मदद करें
Posted on 06 Aug, 2010 12:26 PM पानी की समस्या पर काम करने वाले विभिन्न स्वयंसेवी संगठन, संस्थाएँ एवं सरकार के विभाग इस विषम परिस्थिति में राहत कार्य के रूप में जलाशयों के जीर्णोद्धार के काम को ऊच्च प्राथमिकता दे कर तत्परतापूर्वक अभी से लग जाएँ। इससे सूखे के दौरान लोगों को काम भी मिल जायेगा और आगे कम वर्षा के समय इन जलाशयों से सिंचाई तो होगी ही साथ ही भूमिगत जल के संभरण एवं पेयजल की समस्या का भी दीर्घकालिक समाधान होगा। ऐतिहासिक रूप से विख्यात मगध प्रमण्डल (पूर्व में गया जिला) बिहार का दक्षिणी भाग है। मगध प्रमण्डल में चार जिले गया, औरंगाबाद, जहानाबाद तथा नवादा हैं। मगध क्षेत्र की ऐतिहासिक, सांस्कृतिक गौरव और इसके अविछिन्न इतिहास का आधार इस इलाके की अद्भुत सिंचाई व्यवस्था रही है। फल्गु , दरधा, सकरी, किउल, पुनपुन और सोन मगध क्षेत्र की मुख्य नदियाँ हैं। दक्षिण से उत्तर की ओर प्रवाहमान ये नदियाँ गंगा में मिलती हैं। ‘बराबर पहाड़’ के बाद फल्गु कई शाखाओं में बँट कर बाढ़ - मोकामा के टाल में समा जाती है। बौद्धकाल से ही मगध वासियों ने सामुदायिक श्रम से फल्गु, पुनपुन आदि इन नदियों से सैंकडों छोटी-छोटी शाखायें निकालीं, जिससे बरसात में पानी कोसों दूर खेतों तक पंहुचाया जा सके।

सामुदायिक श्रम से वाटर हार्वेस्टिंग की एक अद्भुत विधा और तकनीक का विकास सह्स्राब्दियों से इस इलाके में होता रहा, जो ब्रिटिश शासन तक चालू रहा।
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