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पर्यावरण संरक्षण में लोक भारती का योगदान रामसर साइट में डॉल्फिन संरक्षण अभियान
अपर गंगा रामसर साइट में प्रथम बार 2025 में डॉल्फिन की गणना प्रारंभ की गई जिसमें 11डॉल्फिन की गणना की गई। यह स्थिति बहुत ही अच्छी थी क्योंकि नदी पारिस्थितिकी तंत्र के स्वास्थ्य का सबसे विश्वसनीय प्रतीक डॉलफिन  होती है। इसके सांस लेने की आवाज के कारण से इसे सूंस के नाम से भी पुकारा जाता है। यह एक दृष्टिहीन स्तनधारी जीव होता है एवं मीठे पानी में ही रहता है। यह जहां होता है वहां का पानी बिना किसी संशय के पीने योग्य होता है। Posted on 13 Nov, 2023 02:55 PM

डॉल्फिन का ऐतिहासिक एवं प्राचीन नाम गांगेय है। आज भी गंगा के प्रति समर्पित अनेक लोग अपने उपनाम में गांगेय शब्द का प्रयोग करते हैं। गांगेय की महत्ता सनातन धर्म में गंगा के साथ-साथ ही चलती है। आधुनिक भारत के इतिहास में इसका वर्णन लिखित रूप से सम्राट अशोक के कार्यकाल से मिलता है जिनके द्वारा बिहार के वर्तमान भागलपुर में विक्रमशिला के पास एक डॉल्फिन अभ्यारण्य का तैयार कराया जाना है। उनके समय में इस

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लोक भारती की राष्ट्रीय योजना बैठक सम्पन्न गाय, गंगा एवं प्रकृति संरक्षण पर मंथन
प्रथम सत्र के वक्ताओं में राष्ट्रीय संगठन मंत्री बृजेन्द्र पाल सिंह, सह संगठन मंत्री गोपाल उपाध्याय, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष आचार्य रविन्द्र जी, उपाध्यक्ष डह. हृदयेश बिहारी, राष्ट्रीय व्यवस्था प्रमुख कमलेश गुप्ता, राष्ट्रीय सम्पर्क प्रमुख श्रीकृष्ण चौधरी, सह सचिव कैप्टन सुभाष ओझा, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अशोक त्रिपाठी, विनोद कुमार श्रीवास्तव एवं गंगा सेवक कृष्णानंद राय ने संबोधित किया।  Posted on 13 Nov, 2023 01:48 PM

जब लोग भौतिकता की अंधी दौड़ में भाग रहे हैं तब हम लोग जल उत्सव माह मना रहे है एवं इसके अंतर्गत भैंसी नदी, कठिना नदी, सई नदी, रामरेखा नदी, मनोरमा नदी, कुकरेल नदी आदि पर कार्य कर रहे हैं  उत्तर प्रदेश के जनपद लखीमपुर खीरी स्थित वृंदारण्यम फर्म, इँटारोरा ब्लहक के सुरम्य वातावरण में लोक भारती की राष्ट्रीय योजना बैठक दिनांक 4- 5 नवम्बर, 2023  को सम्पन्न हुई जिसमें कई प्रान्तों के प्रमुख प्रतिनिधि गण

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नैमिषारण्य में लोक भारती ने निकाली जल यात्रा जलमार्ग के जरिए सिल्क एवं मिल्क रोड विकसित करने की योजना
लोक भारती के नैमिषारण्य केंद्रित कार्यक्रमों के क्रम में 12 अक्टूबर 2023 को गोमती तट पर पूजन के बाद जल यात्रा निकाली गई। गोमती के तट पर पूजन के बाद नारियल तोड़ कर देवदेवेश्वर घाट से जलयात्रा का शुभारंभ किया गया। नदी के तटवर्ती गांव ठाकुरनगर से झरिया, फूलपुर, डबरा, कोल्हुआ, बरेठी, निरहन, नबीनगर एवं कोकरपुरवा तक जलयात्रा निकाली गई। जल मार्गी देवदर्शन यात्रा गोमती नदी के प्रवाह मार्ग पर देव देवसर से लेकर के हंस हंसिनी, रूख व्रत, ब्रह्मा व्रत और सतयुग आश्रम केदारनाथ बरेठी तक पूर्ण हुई Posted on 13 Nov, 2023 01:15 PM

उत्तरप्रदेश के जनपद सीतापुर  स्थित तीथों के तीर्थ नैमिषारण्य की पुण्य स्थली को इसके मूल स्वरूप में विकसित करने के संकल्प के साथ सामाजिक संगठन लोक भारती एक दशक से अधिक समय से समाज के सहयोग से अपनी सामर्थ्य अनुसार अनेक योजनाओं पर कार्यरत है। चाहे नैमिषारण्य में 8 हजार ऋषियों के सम्मान में इतने ही पौधों के रोपण का कार्यक्रम रहा हो, इस पावन क्षेत्र को रासायनिक कृषि से मुक्त कराने का अभियान रहा हो,

नैमिषारण्य में लोक भारती ने निकाली जल यात्रा,Pc-लोक सम्मान नवम्बर
वायु प्रदूषण की वार्षिक आपदा,समन्वित प्रयास से ही सुधरेंगे हालात
विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में वायु प्रदूषण से पाँच वर्ष तक की उम्र के बच्चों में निमोनिया ज्यादा हो रहा है जो उनकी मौत का बड़ा कारण है। डाक्टरों का कहना है कि बच्चों में ज्यादा ऑक्सीजन की जरूरत पड़ती है, इसलिए सांस लेने की गति भी तेज होती है। Posted on 13 Nov, 2023 12:13 PM

बीतें वर्षों की तरह बरसात का मौसम बीतने और सर्दियों के आगमन की शुरुआत के साथ ही वायु प्रदूषण का खतरा भारत में मडराने लगा है। दिल्ली और आसपास के इलाकों की हवा में जहर घुल चुका है। हवा सुरक्षित स्तर से 32 गुना अधिक तक जहरीली हो चुकी है। अधिकतर क्षेत्रों का वायु गुणवत्ता सूचकांक 4 00 से ज्यादा है। दिल्ली का प्रदूषण अब घातक हो रहा है। जानकार बता रहे हैं कि पराली जलाने के साथ-साथ मौसमी स्थितियों की

वायु प्रदूषण की वार्षिक आपदा,समन्वित प्रयास से ही सुधरेंगे हालात
बिगड़ रहा है पर्वतीय संतुलन 
भारत विश्व में भूजल का सबसे बड़ा उपभोक्ता है, यहाँ 253 बिलियन क्यूबिक मीटर प्रति वर्ष की दर से भूजल का दोहन किया जा रहा है। यह वैश्विक भूजल निष्कर्षण का लगभग 25 प्रतिशत है। भारत में लगभग 1123 बिलियन क्यूबिक मीटर (बीसीएम) जल संसाधन उपलब्ध है, जिसमें से 690 बीसीएम सतही जल और शेष 433 बीसीएम भूजल है। भूजल का 90 प्रतिशत सिंचाई के लिए और शेष 10 प्रतिशत घरेलू और औद्योगिक उद्देश्यों की पूर्ति के लिए उपयोग किया जाता है। Posted on 13 Nov, 2023 11:26 AM

भूगर्भीय जल स्तर को बनाए रखने के लिए यह आवश्यक है कि इसका पुनर्भरण होता रहे, जो अधिकतम बरसात के पानी और नदियों, नहरों से होता है भारत की राजधानी दिल्ली की बात करें जहां केंद्र और राज्य सरकार दोनों इस शहर की देखभाल करती हैं

बिगड़ रहा है पर्वतीय संतुलन 
कृषि के माध्यम से सशक्त होती ग्रामीण महिलाएं
उत्तराखंड के ग्रामीण क्षेत्र चौरसों की महिला किसान भी महिला सशक्तिकरण की बेजोड़ मिसाल हैं। राज्य के बागेश्वर जिला स्थित गरुड़ ब्लॉक के इस गाँव की अधिकतर महिलाएं घर के साथ साथ कृषि संबंधी कार्यों को भी बखूबी अंजाम देती हैं। Posted on 10 Nov, 2023 03:39 PM

देश में महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए कई स्तरों पर काम किए जाते हैं। इसके लिए केंद्र से लेकर सभी राज्य सरकार विभिन्न योजनाएं भी संचालित कर रही हैं। लेकिन हमारे देश में कृषि एक ऐसा सेक्टर है जहां महिला सशक्तिकरण सबसे अधिक देखी जाती है। बल्कि यह कहना गलत नहीं होगा कि हमारे देश की कृषि व्यवस्था पुरुषों से कहीं अधिक महिलाओं के कंधे पर है, जिसे उन्होंने कामयाबी के साथ संभाल रखा है। पुरुष जहां अधिकतर

कृषि के माध्यम से सशक्त होती ग्रामीण महिलाएं
जलवायु परिवर्तन का प्रभाव:प्राकृतिक संसाधनों के दोहन से पहाड़ों का अस्तित्व खतरे में
हमें प्रकृति और मानव के बीच का संतुलन बनाए रखना होगा। प्रकृति और मानव एक दूसरे के पूरक हैं, जो एक दूसरे को पोषित और संरक्षित करते हैं। प्रकृति हमें जल, वायु, भोजन, आश्रय, औषधि और अन्य संसाधन प्रदान करती है, जो हमारे जीवन के लिए आवश्यक हैं। मानव प्रकृति की रक्षा और संवर्धन कर सकते हैं, जो उसकी स्वास्थ्य और समृद्धि को बढ़ाता है Posted on 10 Nov, 2023 02:33 PM

जलवायु परिवर्तन का मतलब है कि पृथ्वी की जलवायु में लंबे समय तक स्थायी या अस्थायी बदलाव होते हैं। ये बदलाव प्राकृतिक कारणों से भी हो सकते हैं, लेकिन मुख्य रूप से मानव की गतिविधियों के कारण होते हैं। मानव जीवाश्म ईंधनों का अधिक उपयोग करते हैं, जिससे ग्रीनहाउस गैसें जैसे कार्बन डाइऑक्साइड, मीथेन और नाइट्रस ऑक्साइड वायुमंडल में छोड़ी जाती हैं। ये गैसें सूर्य की किरणों को वापस भेजने में रुकावट डालती

 जलवायु परिवर्तन का प्रभाव
प्रदूषण को रोकने के लिए देश को एक व्यापक नीति की आवश्यकता
वायु प्रदूषण के कारण जो जहरीले कण हवा में फैलते हैं, वे बहुत ही नुकसानदायक होते हैं, क्योंकि वे नाक और गले को छोड़कर सीधे फेफड़ों में घुस जाते हैं और खून में मिल जाते हैं। इन कणों से दूषित हवा को लम्बे समय तक सांस के रूप में लेने से फेफड़ों के रोग के साथ-साथ कैंसर और दिल के रोग जैसी गंभीर बीमारियां भी हो सकती हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक हवा में पीएम 2.5 कणों का स्तर पांच माइक्रोग्राम प्रति वर्गमीटर से अधिक नहीं होना चाहिए, लेकिन हाल ही में दिल्ली के आनंद विहार में पीएम 2.5 का घनत्व 290 प्रति वर्गमीटर तक पहुंच गया था Posted on 10 Nov, 2023 01:52 PM

दिल्ली के वायु प्रदूषण की गंभीर स्थिति को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने उसे जनता की सेहत के लिए एक खतरनाक मुद्दा बताया और राज्य सरकारों को फटकारते हुए कहा कि वे एक-दूसरे को दोषी ठहराने की बजाय पराली जलाने पर तुरंत प्रतिबंध लगाएं। सुप्रीम कोर्ट ने 1986 में वकील महेश चंद्र मेहता की जनहित याचिका के आधार पर दिल्ली में प्रदूषण की समस्या का निरीक्षण करना आरंभ किया था। तब से लेकर अब तक सुप्रीम कोर्ट ने स

दिल्ली के वायु प्रदूषण की गंभीर स्थिति
10 जनवरी तक यमुना, हिंडन के बाढ़ क्षेत्रों का सीमांकन करें: एनजीटी
रिपोर्ट में कहा गया है कि बांध और नदी के बीच का क्षेत्र बाढ़ क्षेत्र है जिसे पहचाना और निर्धारित किया जाना चाहिए। Posted on 10 Nov, 2023 01:41 PM

एनजीटी ने अनियंत्रित अवैध निर्माण और अतिक्रमण के कारण हिंडन बाढ़ के मैदानों के तेजी से गायब होने का आरोप लगाने वाली एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि बाढ़ के मैदानों के सीमांकन की कवायद चल रही है यमुना और हिंडन नदियों के बाढ़ क्षेत्रों के निर्धारण का अभ्यास लंबित है। रिपोर्ट में कहा गया है कि बांध और नदी के बीच का क्षेत्र बाढ़ क्षेत्र है जिसे पहचाना और निर्धारित किया जाना चाहिए।

हिंडन
सरस्वती की गहराई का अनुमान लगाने के लिए अनुसंधान केंद्रों का होगा निर्माण
हिमालय भूविज्ञान संस्थान भी उत्तरांचल के रूपण हिमनद से जो सरस्वती का उद्भव स्थान माना जाता है, उससे नमूने इकट्ठा करेगा। रूपण हिमनद को अब सरस्वती हिमनद भी कहा जाता है। इसरो की तीन सदस्यीय वैज्ञानिक टीम जो सरस्वती को जीवित करने का प्रयास कर रही है। Posted on 10 Nov, 2023 01:02 PM

इसरो जो वेद-पुराणों में वर्णित सरस्वती नदी का अध्ययन कर रहा है, वह पांच राज्यों हरियाणा, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान और गुजरात में अपने शोध की संकलित रिपोर्ट बनाएगा। साथ ही देहरादून का वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान भी उत्तरांचल के रूपण हिमनद से जो सरस्वती का उद्भव स्थान माना जाता है, उससे नमूने इकट्ठा करेगा। रूपण हिमनद को अब सरस्वती हिमनद भी कहा जाता है। इसरो की तीन सदस्यीय वैज्ञानिक ट

सरस्वती की गहराई का अनुमान लगाने के लिए अनुसंधान केंद्रों का होगा निर्माण
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