उत्तराखंड

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भूकंप से भयभीत उत्तराखंड
Posted on 25 Oct, 2011 11:28 AM

हिमालय पर बन रहीं बड़ी-बड़ी इमारतों और बांधों ने भी भूकंप की स्थिति में पहाड़ को बम के रूप में

वृक्षारोपण से जीवित हुए जलस्रोत
Posted on 02 Oct, 2011 12:32 PM

पेशे से अध्यापक सच्चिदानंद भारती ने पौड़ी जिले की थलीसेंण और बीरोंखाल विकासखंडों के एक-दो नहीं बल्कि 133 गांवों में पानी के संरक्षण और संवर्द्धन की मुहिम को अंजाम तक पहुंचाया है।

करोड़ों रुपए की सरकारी योजनाएं जो काम नहीं कर पातीं वह काम चिपको आंदोलन के सिपाही सच्चिदानंद भारती ने जनसहभागिता के आधार पर कर दिखाया। जंगल बचाने की मुहिम में तो वे चिपको आंदोलन से शुरुआती दिनों से ही जुटे हुए थे लेकिन जब उन्होंने जंगल बचाने की मुहिम के साथ जल को भी जोड़ दिया तो पौड़ी जिले के कई सीमांत गांवों के सूखे जलस्रोतों में फिर से जलधाराएं फूट पड़ीं। पेशे से अध्यापक सच्चिदानंद भारती ने पौड़ी जिले की थलीसेंण और बीरोंखाल विकासखंडों के एक-दो नहीं बल्कि 133 गांवों में पानी के संरक्षण और संवर्द्धन की मुहिम को अंजाम तक पहुंचाया है।
राह दिखाता रैतोली
Posted on 30 Jun, 2011 03:13 PM

यहां ग्रामीण विकास की यह बुनियाद लगभग 20 वर्ष पूर्व तत्कालीन ग्राम प्रधान स्वर्गीय माधो सिंह फर्स्वाण ने रखी थी। तब न गांव में रोजगार के साधन थे और ना ही बुनियादी सुविधाएं। लोग रोजगार के लिए पलायन कर रहे थे या फिर आस-पास के क्षेत्रों में मजदूरी। ग्रामीणों की इस पीड़ा एवं गांवों से हो रहे पलायन को देखते हुए उन्होंने गांव में ही दुग्ध व्यवसाय को बढ़ावा देने पर जोर दिया।

एक गांव जहां हर घर शिक्षित है। ग्रामीणों ने अपनी मेहनत से पैदल पथ का निर्माण किया। दुग्ध समिति बनाकर स्वरोजगार की राह खोली। किसी सरकारी मदद का इंतजार करने के बजाय यहां के लोगों ने खुद को सक्षम बनाया। यह है चमोली जनपद में बद्रीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित रैतोली गांव। आपसी सहयोग एवं श्रमदान से यहां के ग्रामीणों ने रैतोली की तस्वीर को सवारा है।

गंगापुत्र निगमानंद बलिदान
Posted on 13 Jun, 2011 07:04 PM

हरिद्वार की गंगा में खनन रोकने के लिए कई बार के लंबे अनशनों और जहर दिए जाने की वजह से मातृसदन के संत निगमानंद अब नहीं रहे। हरिद्वार की पवित्र धरती का गंगापुत्र अनंत यात्रा पर निकल चुका है। वैसे तो भारतीय अध्यात्म परंपरा में संत और अनंत को एक समान ही माना जाता है। सच्चे अर्थों में गंगापुत्र वे थे।

संत निगमानंद: नैनीताल उच्च न्यायालय की भ्रष्टाचार के खिलाफ 68 दिन से अनशन पर बैठे संत निगमानंद अब कोमा में पहुंचे
गंगा-भक्त निगमानंद को जहर देकर मारने की कोशिश
Posted on 11 May, 2011 03:50 PM

गंगा में अवैध खनन के खिलाफ संत निगमानंद के 19 फरवरी को शुरू हुए अनशन के 68वें दिन 27 अप्रैल 2011 को पुलिस ने उनको गिरफ्तार कर लिया था। एक संत के जान-माल की रक्षा के लिए प्रशासन ने यह गिरफ्तारी की थी। संत निगमानंद को गिरफ्तार करके जिला चिकित्सालय हरिद्वार में भर्ती किया गया। हालांकि 68 दिन के लंबे अनशन की वजह से उनको आंखों से दिखाई और सुनाई पड़ना काफी कम हो गया था। फिर भी वे जागृत और सचेत थे और चिकित्सा सुविधाओं के वजह से उनके स्वास्थ्य में धीरे-धीरे सुधार हो रहा था।

लेकिन अचानक 2 मई 2011 को उनकी चेतना पूरी तरह से जाती रही और वे कोमा की स्थिति में चले

पुलिस हिरासत में संत निगमानंद
न्यायपालिका की चौखट पर गंगा-भक्त
Posted on 02 May, 2011 01:24 PM

गंगा में खनन को रोकने के लिए पिछले तीन-चार सालों के अंदर ही लंबे अनशन के कारण मातृसदन के संत निगमानंद अंतबेला में पहुंच चुके हैं। वैसे तो संत का अंत नहीं होता, संत देह मुक्त होकर अनंत हो जाता है। हरिद्वार की भूमि पर हजारों संतों, मठों, आश्रमों, शक्तिपीठों के वैभव का प्रदर्शन तो हम आये दिन देखते रहते हैं। पर हरिद्वार के मातृसदन के संत निगमानंद के आत्मोत्सर्ग की सादगी का वैभव हम पहली बार देख रहे हैं।

देश की स्वाभिमानी पीढ़ी तक शायद यह खबर भी नहीं है कि गंगा के लिए एक संत 2008 में 73 दिन का आमरण अनशन करता है जिसकी वजह से न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर का शिकार होता है। और अब 19 फरवरी से शुरू हुआ उनका आमरण अनशन 27 अप्रैल को पुलिस हिरासत से पूरा होता है। संत निगमानंद ने घोषणा की थी कि अगर उनकी मांगे न मान करके सरकार अगर जबर्दस्ती खिलाने की कोशिश करती है, तो वो आजीवन मुंह से अन्न नहीं ग्रहण नहीं करेंगे।

संत निगमानंद: नैनीताल उच्च न्यायालय की भ्रष्टाचार के खिलाफ 68 दिन से अनशन पर बैठे संत निगमानंद अब कोमा में पहुंचेसंत निगमानंद: नैनीताल उच्च न्यायालय की भ्रष्टाचार के खिलाफ 68 दिन से अनशन पर बैठे संत निगमानंद अब कोमा में पहुंचेऐसी धारणा बनती जा रही है कि बेलगाम सरकारों और आपराधिक राजनैतिक तंत्र पर लगाम न्यायपालिका ही लगा पा रही है। पर आम लोगों का बड़ा तबका न्यायपालिका से शायद ही कोई उम्मीद करता है।

कटे वृक्षों को नया जीवन देते नितिन
Posted on 05 Apr, 2011 10:09 AM काटे जा रहे वृक्षों की जड़े कहीं और प्रत्यारोपित कर ‘सिटिजंस फॉर ग्रीन’ न सिर्फ वृक्षों को बल्कि पर्यावरण को भी नया जीवन दे रहा है।
भिलंगना घाटी को बचाने के लिए एक जनांदोलन
Posted on 14 Jan, 2011 03:10 PM
उत्तराखंड के टिहरी जनपद की भिलंगना घाटी में राज्य सरकार द्वारा ठीक खतलिंग ग्लेशियर से चीन की सीमा से सटे सीमांत गांव गंगी के नीचे रीह नामक स्थल तक कुल आधा दर्जन लघु विद्युत योजनाओं के सर्वे का कार्य इन दिनों प्रगति पर है। उल्लेखनीय है कि घनसाली के समीप फलेण्डा व घुत्तू के समीप देवलिंग नामक जगहों पर पहले ही 24-24 मेगावाट क्षमता वाले बांध बन चुके हैं। पर्यावरण से जुड़े शीर्ष कार्यकर्ताओं ने इन
पहाड़ों पर चढ़ता विकास का भूत
Posted on 09 Dec, 2010 09:21 AM आज मुख्य समस्या यह है उफनती नदियों का वेग कैसे कम करें। बारिश तो कम ज्यादा होती रहती है और होती रहेगी । इसके चक्र को हमें पूरी तरह से समझना होगा । हमारे देश की गंगा, सिन्धु, एवं ब्रह्मपुत्र की सहायक धाराएं हिमालय क्षेत्र से ही नहीं अपितु इनकी कई धाराएं भूटान, नेपाल के पहाड़ों के साथ-साथ तिब्बत से भी निकलती हैं । इसी प्रकार गोदावरी, नर्मदा आदि अनेकों नदियां पूर्वी घाट, पश्चिमी घाट या देश के छोटे-बड़े पहाड़ों एवं जंगलों से निकलती है । इस वर्ष उत्तराखंड में आई बाढ़ ने एक बार पुन: विकास की नई अवधारणा के यंत्रों जैसे सड़क व बिजली व पानी के न्यायोचित इस्तेमाल की ओर इशारा किया है। उत्तराखंड एवं अन्य पहाड़ी क्षेत्रों को मैदानी प्रभावी तबका दुधारू गाय की तरह दुहता रहता है । पहले यहां के पानी और अन्य प्राकृतिक संसाधनों को अपने उपयोग में लाकर और बची- कुची कसर यहां पर छुटि्टयां बिताने के लिए होटल और मनोरंजन केन्द्र बनाकर पूरी कर लेता है । धरती के स्वर्ग कहे जाने वाले पहाड़ी क्षेत्र अब शोषण के प्रतीक बन कर रह गए हैं ।

इस वर्ष पहाड़ों से लेकर मैदानों तक लगातार नदियों में आयी बाढ़ से डूब क्षेत्रों का विस्तार हुआ है । २५ अगस्त की सुबह दिल्ली के अन्तर्राष्ट्रीय बस अड्डे सहित यमुना नदी के किनारे की बस्तियों एवं गांवों में पानी घुसने के समाचार प्रमुखता से प्रसारित होते रहे ।
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