हरीश चन्द्र चंदोला
पर्यावरण मंत्रालय चुप क्यों है ?
Posted on 14 Jul, 2011 04:16 PMउत्तराखंड की समस्याओं पर केन्द्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय की दृष्टि उतनी कठोर नहीं है, जितनी अन्य राज्यों पर। हरियाणा में पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश ने रेणुका बाँध पर काम रुकवा दिया, क्योंकि वहाँ पेड़ों के कटान का स्थानीय लोग विरोध कर रहे थे। उत्तराखंड में चमोली जिले की पिंडर घाटी में बन रही देवसारी जल विद्युत परियोजना का दो वर्षों से अनवरत विरोध हो रहा है। उसका संज्ञान पर्यावरण मंत्रालय ने न
जल विद्युत परियोजनाओं से त्रस्त किसान
Posted on 14 Jul, 2011 12:21 PMउत्तराखंड में बन रही 558 जल-विद्युत परियोजनाओं के बारे में बहुत सारी अफवाहें हैं। सबसे बड़ी अफवाह यह है कि इन परियोजनाओं के लिये सरकार और उसके अफसर निजी कंपनियों से पैसा ले रहे हैं। जल-विद्युत बनाने और बेचने में बहुत अधिक फायदा है, जिसका एक छोटा सा भाग यदि योजना की स्वीकृति पाने के लिए नेता-अफसरों को दिया जाये तो वह फायदे का ही सौदा है। नदी का पानी, जिससे बिजली बनती है, लगातार मुफ्त मिलता रहता
नदियों को सुरंगों में डालकर उत्तराखण्ड को सूखा प्रदेश बनाने की तैयारी
Posted on 09 May, 2011 10:26 AMप्रो. जी. पी.
जल-विद्युत योजनाओं से हानि
Posted on 01 Mar, 2011 09:12 AMउत्तराखंड की जल-विद्युत परियोजनाओं पर भारत के कन्ट्रोलर तथा ऑडिटर जनरल (कैग) ने 30 सितंबर 2009 को एक बहुत कड़ी टिप्पणी कर स्पष्ट कहा है कि योजनाओं का कार्यान्वयन निराशाजनक रहा है। उनमें पर्यावरण संरक्षण की कतई परवाह नहीं की गई है जिससे उसकी क्षति हो रही है।
ये खेल तो जोशीमठ को तबाह कर देंगे
Posted on 27 Dec, 2009 09:21 AMजोशीमठ के ऊपर 10,000 फीट ऊँचे ऑली में जो 200 करोड़ रुपए से अधिक का काम दक्षिण एशिया के शीत खेलों के लिये केन्द्र तथा उत्तराखंड सरकार ने किया था, उसका काफी कुछ भाग इस साल की पहली ही वर्षा में बह कर जोशीमठ शहर तथा उसके आसपास के गाँवों में आ गया। ये खेल पिछले शीत काल में होने थे, किंतु तब तक तैयारियाँ न होने के कारण इन्हें दिसंबर 2009 तक के लिये आगे बढ़ा दिया गया। कामजोशीमठ: सुरंग निर्माण में फूटे स्रोत से खतरे में जनजीवन
Posted on 07 Sep, 2010 11:38 AMजल लघु विद्युत योजनाएं सरहदी क्षेत्र जोशीमठ के लिए प्राणघातक बन रही हैं। 400 मेगावाट विष्णुप्रयाग योजना ने पास के चाँई गांव को लगभग नष्ट कर दिया है। अब 520 मेगावाट की तपोवन-विष्णुगाड़ योजना, जिसे एन. टी.पी.सी.
पहाड़ का कूड़ा गंगा में
Posted on 07 Sep, 2010 09:57 AMकुछ दिन पहले शाम के वक्त मैं जोशीमठ आ रहा था कि चुंगी के सड़क के किनारे एक बड़े से काले भालू को नीचे उतरने की तैयारी में देखा। इस साल भालू ने जोशीमठ में कई लोगों को हमला कर घायल किया है। मैंने भालू को देखने की बात और लोगों को भी बताई। तब बातचीत में पता चला कि रात को अक्सर भालू वहाँ खड़ा मिलता है। उस स्थान के नीचे की ढलान पर नगरपालिका शहर का कूड़ा डालती है। उसमें भालू खाने के लिए कई चीज़ें पा