उत्तर प्रदेश

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आईआईटी कानपुर द्वारा वाटर हार्वेस्टिंग सम्बन्धी कान्फ़्रेंस (WHSC- 23-25 Nov.2009)
Posted on 07 Nov, 2009 09:40 AM

आईआईटी कानपुर द्वारा वाटर हार्वेस्टिंग (जल संचयन), भण्डारण और संरक्षण के सम्बन्ध में एक कॉन्फ़्रेंस का आयोजन किया जा रहा है। इस तीन दिवसीय इस सम्मेलन में जल भण्डारण, पानी के संरक्षण और वाटर हार्वेस्टिंग से सम्बन्धित सभी तकनीकी विकल्पों, नीति निर्देशों पर विस्तार से चर्चा कर इस दिशा में आगे का मार्ग निश्चित किया जायेगा।

सम्मेलन के उद्देश्य -

WHSC-2009
लोक बुद्धि की जीवट यात्रा
Posted on 03 Nov, 2009 03:30 PM इस सृष्टि की रचना जल से हुई है और मनुष्य ही नहीं; समूची सृष्टि को निर्मित करने वाले क्षिति, जल, पावक, गगन और समीर नामक पंचभूतों में एक जल भी है। मानव जाति का इतिहास भी जल से जुड़ा हुआ है। आदमी की आदि प्रजाति अमीबा की उत्पत्ति जल के बिना संभव ही नहीं थी। अधिकांश सभ्यताओं का विकास भी नदियों के किनारे हुआ है। आज भी महत्वपूर्ण नगर किसी न किसी नदी के किनारे ही अवस्थित हैं।
जब शौच से उपजे सोना
Posted on 28 Oct, 2009 11:46 AM जब कोई युवा पढ़ाई- लिखाई करके शहरों की ओर भागने की बजाय अपनी शिक्षा और नई सोच का उपयोग अपने गाँव, ज़मीन, अपने खेतों में करने लगे तो बदलाव की एक नई कहानी लिखने लगता है, ऐसे युवा यदि सरकार और संस्थाओं से सहयोग पा जाएं तो निश्चित ही क्रान्तिकारी परिवर्तन ला देते हैं। ऐसी ही एक कहानी है ‘जब शौच से उपजे सोना’ की और कहानी के नायक हैं युवा किसान श्याम मोहन त्यागी......
श्याम मोहन त्यागी का इकोसैन
भारत के कुछ राज्यों के भूजल में उच्च आर्सेनिक की मौजूदगी
Posted on 21 Oct, 2009 08:53 AM

असम, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश और बिहार राज्यों में आर्सेनिक प्रदूषण काफी बड़े स्तर तक प्रभावित कर रहा है।
अटैचमेंट में देखें कि किस राज्य के किस ब्लॉक में यह प्रदूषण कहां तक फैला है।
उत्तर प्रदेश, असम और छत्तीसगढ़ राज्यों के मामले में आर्सेनिकप्रदूषण की पहचान केन्द्रीय भूमि जल बोर्ड और राज्य भूमि जल विभागों के निष्कर्ष के आधार पर की गई है ।

Arsenic
नरेगा दिवस पर नारी संघ की महिलाओं की पहल
Posted on 16 Oct, 2009 01:05 PM बूढ़नपुर (उत्‍तर प्रदेश): ग्रामीण भारत में लोगों को रोजगार मुहैया कराने के उद्देश्‍य से शुरू की गई महत्‍वाकांक्षी योजना नरेगा भी अब लालफीताशाही की भेंट चढ़ती नजर आ रही है। ग्रामीण पुनर्निर्माण संस्थान द्वारा आयोजित अधिकारगत ढ़ांचे पर नारी संघ के नेतृत्वकारी महिलाओं के प्रशिक्षण के दौरान भी इस तरह की बात सामने निकलकर आई थी। उस दौरान कहा गया कि था कि अभी भी ग्राम प्रधान नरेगा के अंतर्गत जॉब कार्ड बन
हम पी रहे है मीठा जहर
Posted on 08 Oct, 2009 10:26 AM

गंगा के मैदानी इलाकों में बसा गंगाजल को अमृत मानने बाला समाज जल मेंव्याप्त इन हानिकारक तत्वों को लेकर बेहद हताश और चिंतित है। गंगा बेसिनके भूगर्भ में 60 से 200 मीटर तक आर्सेनिक की मात्रा थोडी कम है और 220मीटर के बाद आर्सेनिक की मात्रा सबसे कम पायी जा रही है। विशेषज्ञों केअनुसार गंगा के किनारे बसे पटना के हल्दीछपरा गांव में आर्सेनिक की मात्रा1.8 एमजी/एल है। वैशाली के बिदुपूर में विशेषज्ञों ने पानी की जांच की तोनदी से पांच किमी के दायरे के गांवों में पेयजल में आर्सेनिक की मात्रादेखकर वे दंग रह गये। हैंडपंप से प्राप्त जल में आर्सेनिक की मात्रा 7.5एमजी/एल थी ।

तटवर्तीय मैदानी इलाकों में बसे लोगों के लिए गंगा जीवनरेखा रही है। गंगा ने इलाकों की मिट्टी को सींचकर उपजाऊ बनाया। इन इलाकों में कृषक बस्तियां बसीं। धान की खेती आरंभ हुई। गंगा घाटी और छोटानागपुर पठार के पूर्वी किनारे पर धान उत्पादक गांव बसे। बिहार के 85 प्रतिशत हिस्सों को गंगा दो (1.उत्तरी एवं 2. दक्षिणी) हिस्सों में बांटती है। बिहार के चौसा,(बक्सर) में प्रवेश करने वाली गंगा 12 जिलों के 52 प्रखंडों के गांवो से होकर चार सौ किमी की दूरी तय करती है। गंगा के दोनों किनारों पर बसे गांवों के लोग पेयजल एवं कृषि कार्यों में भूमिगत जल का उपयोग करते है।


गंगा बेसिन में 60 मीटर गहराई तक जल आर्सेनिक से पूरी तरह प्रदूषित हो चुका है। गांव के लोग इसी जल को खेती के काम में भी लाते है जिससे उनके शरीर में भोजन के द्वारा आर्सेनिक की मात्रा शरीर में प्रवेश कर जाती है।

मेरठ का जल संकटः एक अध्ययन
Posted on 04 Oct, 2009 06:18 PM

प्राचीन काल से ही गंगा-यमुना का दोआब स्वच्छ पानी की प्रचुरता के लिए जाना जाता है. गंगा के किनारे बसा मेरठ जिला सिंचाई के लिए नहरों की पर्याप्त संख्या के कारण जल सम्पन्न माना जाता था. लेकिन जैसे-जैसे आबादी बढती गई, कृषि भूमि पर ज्यादा अन्न पैदा करने की होड तथा ज्यादा पानी की आवश्यक्ता वाली गन्ने की खेती का मोह भी बढता चला गया.
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