उत्तर प्रदेश

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जहरीली हो गई है शहरों की हवा
Posted on 07 Dec, 2011 12:25 PM

वन विभाग द्वारा वर्ष 2011-12 में 41 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में 266.50 लाख पेड़ लगाए जाने का लक्

मनरेगा के नर्क में
Posted on 24 Nov, 2011 08:17 AM केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश ने उत्तर प्रदेश के कुछ जिलों में मनरेगा के तहत किये जा रहे भ्रष्टाचार का हवाला देते हुए उत्तर प्रदेश की मायावती सरकार पर सवाल उठाया है। जयराम रमेश ने कथित भ्रष्टाचार के लिए सोनभद्र जिले के जिस ग्राम सचिव राजेश चौबे का जिक्र किया है उस ग्राम सचिव ने मनरेगा में भ्रष्टाचार को अंजाम देने के िलए अधिकारियों के अलावा पत्रकारों का जमकर इस्तेमाल किया और करोड़ों रूपये की धोखाधड़ी कर दी। सोनभद्र से आवेश तिवारी की रिपोर्ट बता रही है कि मनरेगा के नर्क में किस तरह से पत्रकार और मीडिया घराने शामिल हैं।

भूखे नंगे उत्तर प्रदेश में मनरेगा में हुए भ्रष्टाचार में नौकरशाहों और बाबुओं के साथ -साथ मीडिया भी शामिल रही है। पत्रकारों ने जहाँ अधिकारियों पर दबाव बनाकर अपने भाई -भतीजों को मनरेगा के ठेके दिलवाए, वही अखबारों ने मुंह बंद रखने की कीमत करोड़ों रुपयों के विज्ञापन छापकर वसूल किये। मीडिया के इस काले - कारनामे में न सिर्फ बड़े अखबार
नरेगा
मत-अभिमत: पानीदार होने से ही पलायन रुकेगा युवराज!
Posted on 23 Nov, 2011 12:16 PM

संदर्भ: यूपी के लोगों के पलायन संबंधी राहुल गांधी का बयान

Rahul Gandhi
मंदाकिनी रूठी, तो क्या रूठ नहीं जायेंगे श्रीराम?
Posted on 22 Nov, 2011 09:38 AM

चित्रकूट के घाट पर भई संतन की भीर।
तुलसीदास चंदन घिसें, तिलक देंय रघुवीर।।

मंदाकिनीमंदाकिनीएक जमाने तक यह चौपाई सुनाकर रामचरितमानस के वाचक रामभक्त तुलसी के महत्व बखान किया करते थे। किंतु अब वाचक तो वाचक, पूर्णिमा-अमावस्या स्नान दर्शन के लिए पैदल ही खिंचे चले आने वाले भी शायद भूल चुके हैं कि उनकी जिंदगी में मानिकपुर, मैहर और चित्रकूट का क्या महत्व है। यदि आस्थावानों की आस्था सच्ची होती, तो इनका हाल बेहाल न होता।

उल्लेखनीय है कि ये तीनों स्थल बुंदेलखण्ड में आस्था के बड़े केंद्र हैं। यहां के पहाड़, जंगल और नदियां ही इन स्थलों की शक्ति रहे हैं। वनवास के दौरान श्रीराम, लक्ष्मण और देवी सीता ने इन्हीं शक्तियों से शक्ति पाई। किंतु बीते कुछ वर्षों से यह शक्ति लगातार क्षीण हो रही है। केन, बेतवा, धसान जैसी महत्वपूर्ण नदियां थक रही हैं। स्रोत से शुरू हुई जलधारा अब नदियों के अंतिम छोर तक नहीं पहुंच रही है। चित्रकूट का मनप्राण-मंदाकिनी का प्रवाह भी अब मंद पड़ गया है। मंदाकिनी नदी की 30 किमी तक सूख गई है। मंदाकिनी की आकर्षित करने वाली नीलिमा अब कालिमा

mandakini
गैंडों को बसाएंगे पर हाथी कहां जाएंगे?
Posted on 04 Nov, 2011 05:01 PM

केंद्र और प्रदेश की सरकारों को चाहिए कि वह वनपशु से होने वाली फसल क्षति एवं जनहानि की मुआवजा की धनराशि इतनी पर्याप्त कर दे जिससे किसानों के आंसू भी पुंछे ही साथ में उनका दुख भी कम हो जाए। क्षेत्र की पूरी परिस्थितियों को ध्यान में रखकर अगर सार्थक और कारगर प्रयास समय रहते नहीं गये तो भविष्य में जो भी परिणाम सामने आएंगे उसमें वनजीवों तथा मानव को नुकसान ही उठाना पड़ेगा। जिसमें सर्वाधिक क्षति वन्यप्राणियों के हिस्से में आएगी।

उत्तर प्रदेश के एकमात्र दुधवा नेशनल पार्क के गैंडा परिवार पर मंडरा रहे आनुवांशिक प्रदूषण से निपटने के उद्देश्य से आसाम से जल्दी ही एक नर गैंडा दुधवा लाया जाएगा। नए गैंडा का परिवार बसाने के लिए गैंडा पुनर्वास परियोजना का क्षेत्रफल भी बढ़ाने की योजना है। इसके अंतर्गत सैकड़ों एकड़ में फैले प्राकृतिक भादीताल के वनक्षेत्र को ऊर्जाबाड़ से घेरकर संरक्षित किया जाएगा। दुधवा के तीस सदस्यीय गैंडा परिवार के लिए आशियाने का विस्तार भले ही ऊपर से ठीक-ठाक लग रहा हो लेकिन भादीताल इलाका को अपना पंसदीदा शरणगाह बनाकर रहने वाले लगभग चार दर्जन हाथी क्या ऊर्जा बाड़ के भीतर रह पाएंगे? यह स्वयं में विचारणीय प्रश्न है। यद्यपि गैंडा एवं हाथी एक साथ रह सकते हैं यह भी सर्वविदित है लेकिन इनके बीच होने वाले संघर्ष को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। इन सभी परिस्थितियों पर अध्ययन और विचार विमर्श के बाद ऐसी दूरगामी परियोजना पर कार्य किया जाना हितकर होगा जिसमें दोंनों प्रजाति के वनपशु सुरक्षित रह सकें।

इंडिया वाटर बनाम इंडिया मार्का
Posted on 24 Oct, 2011 04:59 PM

पिछले दिनों अमेठी के करीब 250 मानिंदों की सहभागिता से संपन्न हुए एक उर्जा सम्मेलन ने चेतना जगा

indiamark handpump
बाढ़ की बिरुदावली
Posted on 03 Oct, 2011 09:47 AM

जिस बाढ़ ने इलाके की अर्थव्यवस्था को पलीता लगा दिया हो उसकी भरपाई डेढ़ करोड़ देकर पूरी नहीं की

बुंदेलखण्ड में खत्म होने के कगार पर हैं जड़ी-बूटियां
Posted on 26 Sep, 2011 12:52 PM

बांदा: उत्तर प्रदेश के बुंदेलखण्ड में कभी जड़ी-बूटियों की भरमार हुआ करती थी लेकिन अब यह गुजरे जमाने की बात हो गई है। संरक्षण व रखरखाव के अभाव में दुर्लभ प्रजाति की हजारों जीवनदायिनी जड़ी-बूटियां विलुप्त होने के कगार पर हैं।

कितना सुरक्षित है आपका दूध
Posted on 19 Sep, 2011 02:25 PM

सिर्फ मिलावट ही नहीं, चारा और इंजेक्शन तक हैं नुकसानदेह

बारुद के हवाले ब्रजभूमि
Posted on 12 Sep, 2011 10:53 AM

भारत की जनता वनों, पर्वतों एवं गांव-गांव में स्थित आस्था के छोटे-छोटे केन्द्रों के बल पर ही अपन

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