उत्तर प्रदेश

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असहाय हुआ राष्ट्रीय पक्षी
Posted on 24 Feb, 2012 04:09 PM

यह कहना गलत नहीं होगा कि अगर फसलों में इसी प्रकार अंधाधुंध तरीके से कीटनाशकों का इस्तेमाल किया जाता रहा तो यह रा

राष्ट्रीय जल नीति प्रारूप 2012 पर हुई गंभीर चर्चा
Posted on 22 Feb, 2012 12:45 PM

इस जल नीति को वेबसाइट से किसान कैसे पढे़गा जिससे कि वह अपने सुझाव दे सके, यह एक यक्ष प्रश्न है

गंगा के साथ-साथ
Posted on 21 Feb, 2012 05:27 PM

बनारस जिले में गंगा-वरुणा संगम के समीप पर स्थित सरायी गोहना गांव में गंगा द्वारा भूमि कटान से कई मकान कट रहे हैं

नदी के जल जनित रोगों से होता नारकीय जीवन
Posted on 17 Feb, 2012 01:32 PM

कृष्णी नदी गांव के पूर्व दिशा में बहती है। जब हवा चलती है तो नदी के सड़े हुए पानी से सांस लेना भी दूभर हो जाता है। यह नदी गांव के लिए मच्छर बनाने की फैक्ट्री बन चुकी है। भूगर्भ जल कुछ समय बाद ही पीला हो जाता है। महिलाओं के गहने काले पड़ जाते हैं। इस गांव के लड़के शादी के लिए भी मोहताज हो चुके हैं। अन्य गांव के लोग इस गांव में अपनी लड़कियों की शादी नहीं करते। गांव के लोगों का अधिकांश धन स्वच्छ पानी के लिए व बिमारियों के लिए खर्च करते हैं। गांव वालों ने शासन एवं प्रशासन स्तर पर नदी के किनारे लगे उद्योगों को हटाने के लिए काफी प्रयास किये। लेकिन कोई सुखद परिणाम नहीं निकला।

आज भारत सहित दुनिया के अधिकतर देशों में जल प्रदूषण एक गंभीर समस्या बना हुआ है। यह प्रदूषण सतह पर बहने वाले पानी तथा भूजल दोनों में समान रूप से फैल रहा है। जिसका कारण औद्योगिक विकास तथा बदलती जीवन शैली है। प्रदूषित होता जल मानव समाज के साथ-साथ पूरे वातावरण को भी दूषित कर रहा है। स्वच्छ पानी पीना मनुष्य का मानवाधिकार है। परन्तु मानवाधिकारों का हनन किस प्रकार हो रहा है यह हिण्डन नदी के किनारे बसे गाँवों में आसानी से देखा जा सकता है। हिण्डन व उसकी सहायक नदियों के ऊपर गहन शोध कार्य किया गया था। इस दौरान पहले तो हिण्डन व उसकी सहायक नदियों में बहने वाले पानी का परीक्षण कराया गया तथा उसके पश्चात इन नदियों के किनारों के बारह गांवों का स्वास्थ्य संबंधी अध्ययन किया गया तथा आठ गांवों के भूजल का परिक्षण भी कराया गया।
अनिता राणा को संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम का पुरस्कार
Posted on 07 Feb, 2012 05:22 PM नई दिल्ली, 05 फरवरी। पर्यावरण संरक्षण और सुधार के क्षेत्र में काम कर रही अनिता राणा को भारत स्थित संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम की तरफ से ग्रीन अर्थव्यवस्था के लिए सामुदायिक पहल के लिए नेतृत्व पुरस्कार दिया गया है। इसके अलावा अर्थ डे नेटवर्क की तरफ से भी वूमेन एंड ग्रीन इकोनामी कार्यक्रम में सम्मानित किया गया है। राणा गैरसरकारी संगठन जनहित फाउंडेशन की निदेशक हैं।
अनिता राणा
साफ पीने का पानी चंबल में बनेगा चुनावी मुद्दा
Posted on 01 Feb, 2012 01:02 PM

चंबल नदी के किनारे बसे सैकड़ों गांवों के लोग चंबल का पानी पीकर ही अपनी प्यास बुझा रहे हैं। पानी साफ है या नहीं अ

प्रधानमंत्री जी के नाम खुला पत्र
Posted on 20 Jan, 2012 12:22 PM

पौष शुक्ल दशमी संवत् 2068 वि. 3 जनवरी 2012 ई.

प्रतिष्ठा में
माननीय डॉ. मनमोहन सिंह जी,
प्रधानमंत्री – भारत सरकार एवं अध्यक्ष – राष्ट्रीयनदी गंगा घाटी प्राधिकरण 7,
रेसकोर्स रोड नई दिल्ली- 110001

विषय – राष्ट्रीयनदी गंगा जी की विषम स्थिति में सुधार के उद्देश्य से हमारा तपस्या करने और बलिदान देने का संकल्प।

GD Agrawal
मरी संवेदना जगाने की कवायद है गंगा तप
Posted on 20 Jan, 2012 11:39 AM

उत्तराखण्ड में विष्णु प्रयाग से लेकर देवप्रयाग तक के पंच प्रयागों का निर्माण करने वाली नदियों

swami avimukteshwaranand
जल साक्षरता सम्मेलन-2012
Posted on 19 Jan, 2012 03:19 PM

सिर्फ भाषणों से संभव नहीं जलसाक्षरता

jal saksharata yatra
अमृत का जहर हो जाना
Posted on 18 Jan, 2012 11:51 AM

उत्तरप्रदेश के गोरखपुर जिले में बहने वाली ‘अमि’ (अमृत) नदी में उद्योगों और नजदीकी शहरों ने इतना ‘जहर’ प्रवाहित कर दिया है कि आसपास बसे लोगों का सांस लेना तक दूभर हो गया है। देश में एक के बाद एक नदियां अपना अस्तित्व खोती जा रही हैं। अधिकांश मछुआरे एवं किसान ‘अमि’ से लाभान्वित होते थे। धान इस इलाके की मुख्य फसल है और गेहूं एवं जौ भी यहां बोई जाती है। परंतु प्रदूषण की वजह से उपज एक तिहाई रह गई है। बोई और रोहू जैसी ताजे पानी की मछलियां अब दिखलाई ही नहीं देतीं। कई हजार मछुआरे या तो शहरी क्षेत्रों में दिहाड़ी मजदूरी कर रहे हैं या शराब बेच रहे हैं।

इंद्रपाल सिंह भावुक होकर बचपन में ‘अमि’ नदी से मीठा पानी पीने की याद करते हैं। गांव के बुजुर्ग बताते हैं नदी को अपना यह नाम ‘आम’ और अमृत से मिला है। उत्तरप्रदेश के गोरखपुर जिले के अदिलापार गांव के प्रधान पाल सिंह का कहना है कि 136 कि.मी. लंबी यह नदी अब मुसीबत बन गई है। गोरखपुर औद्योगिक विकास क्षेत्र (गिडा) से निकलने वाले अनउपचारित गंदे पानी के एक नाले ने इस नदी को गंदे पानी की एक इकाई में बदलकर रख दिया है। नदी के निचले बहाव की ओर निवास कर रहे 100 से अधिक परिवारों के निवासी अक्सर सर्दी जुकाम, रहस्यमय बुखार, मितली आने और उच्च रक्तचाप की शिकायत करते हैं। रात में गंदे पानी से उठने वाली बदबू से उनका सांस लेना तक दूभर हो गया है। निवासियों का कहना है कि सूर्यास्त के बाद प्रवाह का स्तर आधा मीटर तक बढ़ जाता है।
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