साफ पीने का पानी चंबल में बनेगा चुनावी मुद्दा

चंबल नदी के किनारे बसे सैकड़ों गांवों के लोग चंबल का पानी पीकर ही अपनी प्यास बुझा रहे हैं। पानी साफ है या नहीं अब ये सवाल नहीं है। लोगों तक साफ पानी किस तरह मुहैया होगा, इसका जवाब किसी के पास नहीं है। आला अफसरों ने इस मामले में चुप्पी साध रखी है। कोई कुछ बोलने के लिए तैयार नहीं है। इटावा जिले के चंबल नदी के आस-पास के करीबन दो सौ गांवों के ग्रामीण हलक तर करने के लिए चंबल नदी का पानी पीने को बाध्य हैं।

इटावा, 30 जनवरी। चुनाव का आगाज पूरे जोश के साथ हो चुका है। पांच नदियों के इकलौते संगम स्थल वाले इटावा जिले में अभी कोई बड़ा चुनावी मुद्दा राजनीतिक दलों के पास नहीं है। लेकिन चंबल घाटी में नदियों के किनारे रहने वाली बड़ी आबादी साफ पीने के पानी को लेकर उम्मीदवारों को घेरने का मन बना चुकी है। क्योंकि आजादी के बाद से अभी तक बीहड़ के गांव में साफ पानी के नाम पर लोगों को यमुना, चंबल, क्वारी, सिंधु और पहुज नदियों का ही सहारा है। पीने के साफ पानी का यह ऐसा मुद्दा है, जिससे हर राजनीतिक दल का समीकरण गड़बड़ा सकता है। साफ पानी की समस्या से इटावा जिले की इटावा सदर, भरथना और जसवंतनगर तीनों विधानसभा सीटों के कुछ न कुछ हिस्से की आबादी जूझ रही है।

वैसे तो हर गांव में सरकारी हैंडपंप लगाए जा चुके हैं। लेकिन ये हैंडपंप साफ पानी दे पाने की हालत में नहीं है। इस वजह से नदियों के किनारे रहने वाले इन्हीं के पानी का इस्तेमाल पीने के लिए भी करते आ रहे हैं। नदियों का पानी पीने से यहां के बाशिदों को बीमारियां भी हो रही हैं।नदियों के किनारे रहने वाली आबादी आज भी दैनिक दिनचर्या के लिए इस्तेमाल कर रही है। शहरी इलाके में मिनरल वाटर का इस्तेमाल तो आम बात है लेकिन जो गांव वाले दो जून की रोटी नहीं जुटा सकते, वे साफ पानी कहां से लाएं। देश का इकलौता ऐसा जिला इटावा माना जा सकता है जहां पांच नदियों का संगम होने के कारण पंचनदा कहा जाता है।

चंबल नदी के किनारे बसे सैकड़ों गांवों के लोग चंबल का पानी पीकर ही अपनी प्यास बुझा रहे हैं। पानी साफ है या नहीं अब ये सवाल नहीं है। लोगों तक साफ पानी किस तरह मुहैया होगा, इसका जवाब किसी के पास नहीं है। आला अफसरों ने इस मामले में चुप्पी साध रखी है। कोई कुछ बोलने के लिए तैयार नहीं है। इटावा जिले के चंबल नदी के आस-पास के करीबन दो सौ गांवों के ग्रामीण हलक तर करने के लिए चंबल नदी का पानी पीने को बाध्य हैं। यहां तक कि जानवर भी इसी पानी से अपनी प्यास बुझाते हैं।

करीब दस साल से चंबल घाटी के विकास के लिए पैकेज की मांग कर सुर्खियों में आए लोक समिति के अध्यक्ष सुल्तान सिंह का कहना है कि वैसे तो यहां कई समस्याएं हैं। लेकिन सरकार अपने वादे के अनुसार उसे पीने का साफ पानी मुहैया नहीं करा पाती है तो यह उसकी नाकामी ही मानी जाएगी। सरकार की हीलाहवाली के कारण साफ पानी नहीं मिल पा रहा है। ऐसे में अगर घाटी के लोग उम्मीदवारों के सामने साफ पानी की मांग रखते हैं, तो कोई गलत नहीं है।

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