उत्तर प्रदेश

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प्रवासी पक्षियों ने बदनाम चंबल को बनाया खूबसूरत
Posted on 28 Dec, 2012 12:06 PM दूर देशों में बढ़ रही ठंड व बर्फबारी के कारण चंबल सेंचुरी में प्रवासी पक्षियों की आमद में वृद्धि बरकरा
सिंगरौली: बीमारियां बांटते ताप बिजली घर
Posted on 11 Dec, 2012 01:30 PM भारत का तापघर कहे जाने वाले सिंगरौली में कोयले का अकूत भंडार है और
चंबल बनी यमुना नदी की तारणहार
Posted on 06 Dec, 2012 10:58 AM यमुना के पानी में अमोनिया की मात्रा इतनी अधिक हो गई है कि इसे साफ करना जलशोधक संयंत्रों के बस की बात
गंगा की फिक्र
Posted on 05 Dec, 2012 10:25 AM देश के बड़े इलाके की जीवनधारा कही जाने वाली गंगा नदी में बढ़ता प्रदूषण, चिंता का विषय है। तमाम कोशिशों के बाद भी गंगा को मैली होने से बचाने में नाकामी ही हाथ लगी है। बल्कि इन उपायों के बीच गंगा का पानी और भी जहरीला हुआ है। अब तो और इसका पानी लोगों को कैंसर का रोगी बना रहा है। नेशनल कैंसर रजिस्ट्री प्रोग्राम (एनसीआरपी) के एक अध्ययन के मुताबिक गंगा में इतनी ज्यादा धातुएं और घातक रसायन घुल गए हैं कि
गंगा को गंगाभक्त ने ही गंदा किया
गढ़मुक्तेश्वर में गंगा संसद सम्पन्न
Posted on 04 Dec, 2012 03:01 PM गढ़मुक्तेश्वर। उत्तर प्रदेश के गढ़मुक्तेश्वर मे गंगा किनारे 25 से 28 नवम्बर तक चली गंगा संसद राष्ट्रीय नदी बेसिन प्राधिकरण के सदस्य राजेन्द्र सिंह की अध्यक्षता में सम्पन्न हुई। गंगा संसद लोक जिम्मेदारी गंगा के प्रति जगाने तथा सरकार के संस्कृति मंत्रालय को भी गंगा कार्यो में जोड़ने हेतु आयोजित हुई थी। भारत सरकार की संस्कृति मंत्री ने संसद में आकर अपनी भागीदारी सुनिश्चित करने का संकल्प, गंगा कार्यों
पारे की चपेट में सोनभद्र
Posted on 29 Nov, 2012 02:10 PM पूरे देश में रोशनी के लिए विद्युत ऊर्जा का उत्पादन करने वाला ऊर्जांचल के नाम से मशहूर उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले का भविष्य मौत के अंधेर में डूब रहा है। यहां के लोग गंभीर बीमारियों के घेरे में हैं। सेंटर फॉर साइंस एंड एन्वायरमेंट (सीएसई) ने अपने अध्ययन में सोनभद्र के पानी, मिट्टी, अनाज और मछलियों के साथ-साथ यहां के रहवासियों के खून, नाखून और बाल के नमूने लेकर पर्यावरण और स्थानीय लोगों के शरीर
महिलाओं ने संभाली कमान, चंदे से बनायेंगी एक दूसरे का शौचालय
Posted on 09 Nov, 2012 03:31 PM गोरखपुर के सहजनवा स्थित वार्ड न. एक में जब पुरुषों ने यह कह कर टॉयलेट बनाने की बात पर टाल-मटोल करनी शुरू की कि बहू-बेटियों के बाहर शौच जाने से उन पर बहुत फर्क नहीं पड़ता, तो गांव की महिलाओं का आत्म सम्मान जाग उठा। उसी दिन दर्जन भर महिलाओं ने ग्वालियर से गोरखपुर पहुंची निर्मल भारत यात्रा की टीम के साथ मीटिंग कर निश्चय किया कि शौचालय बनकर रहेगा इसके लिए उन्हें पुरुषों से परमीशन लेने की जरूरत नहीं है। यात्रा की आयोजक संस्था क्विकसैंड की इतिका व विवान ने उन महिलाओं को खुले में शौच जाने से होने वाले सामाजिक, आर्थिक नुकसान के साथ इसके कारण होने वाली बीमारियों के बारे में बताया तो जैसे उनकी आंखें ही खुल गई।
उ. प्र. नदी प्रदूषण मुक्ति, ग्राम प्रधानों की भूमिका और आगे
Posted on 25 Oct, 2012 10:13 AM छोटी नदियों की प्रदूषण मुक्ति में जब खुद समाज का पसीना लगेगा; उसक
Polluted river
घड़ियाल छोड़ रहे हैं अपने प्रवास स्थल
Posted on 12 Oct, 2012 12:00 PM घड़ियाल पुर्नवास परियोजना के तहत गंगा,यमुना और चंबल जैसी अहम नदियों में छोड़े जाने वाले घड़ियाल अब छोटे-छोटे माइनरों में आना शुरू हो गये हैं। इटावा की भोगनीपुर माइनर में निकले एक घड़ियाल को भारी भीड़ मारने की फिराक में थी लेकिन उसे वन विभाग और पर्यावरणीय संस्था के लोगों ने सुरक्षित बचा लिया। करीब 3 घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद इस घड़ियाल को पकड़ पाने में कामयाब हो सके। पकड़ा गया घड़ियाल करीब 5 फुट क
भारत उदय एजुकेशन सोसायटी का जैव विविधता पर शपथ ग्रहण अभियान
Posted on 12 Oct, 2012 10:13 AM

उत्तर प्रदेश की जैव विविधता के संरक्षण हेतु प्रदेश के 16,966.22 वर्ग किमी वन क्षेत्र में से लगभग 5,170 वर्ग किमी क्षेत्र में 1 राष्ट्रीय उद्यान, 24 वन्य जीव विहार स्थापित किये गये हैं, जोकि प्रदेश के वन क्षेत्र की लगभग 33.6 प्रतिशत तथा कुल भौगोलिक क्षेत्रफल का 2.4 प्रतिशत हैं। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में आड़ू, जामुन व देसी कीकर के पेड़ों की संख्या घटी हैं। चील, गिद्ध, गोरैया, बयां आदि पक्षियों की संख्या तेजी से घटी हैं। बयां के घोंसले पहले वृक्षों पर काफी दिखायी देते थे लेकिन अब न के बराबर हैं।

भारत उदय एजुकेशन सोसाइटी ने सेंटर फॉर एनवायरनमेंट एजुकेशन लखनऊ (यू.एन.डी.पी.) के सहयोग से पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कई जिलों में बच्चों को जैव विविधता को बचाने की शपथ ली। संस्था ने शामली, मेरठ, मुजफ्फरनगर, बागपत, बुलंदशहर, लखीमपुर खीरी, मुरादाबाद आदि जिलों में यह अभियान सभी सरकारी/गैर सरकारी विद्यालयों में चलाया गया। इस अभियान के शुरुआती दौर में बच्चों को जैव विविधता के विषय में विस्तार से बताया गया तथा शपथ ग्रहण का आयोजन भी किया गया। इस अभियान के अन्तर्गत संस्था ने पाया कि वास्तव में कईं पेड़-पौधे, पशु-पक्षी विलुप्त हो चुके हैं या होने के कगार पर हैं।
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