गढ़मुक्तेश्वर में गंगा संसद सम्पन्न

गढ़मुक्तेश्वर। उत्तर प्रदेश के गढ़मुक्तेश्वर मे गंगा किनारे 25 से 28 नवम्बर तक चली गंगा संसद राष्ट्रीय नदी बेसिन प्राधिकरण के सदस्य राजेन्द्र सिंह की अध्यक्षता में सम्पन्न हुई। गंगा संसद लोक जिम्मेदारी गंगा के प्रति जगाने तथा सरकार के संस्कृति मंत्रालय को भी गंगा कार्यो में जोड़ने हेतु आयोजित हुई थी। भारत सरकार की संस्कृति मंत्री ने संसद में आकर अपनी भागीदारी सुनिश्चित करने का संकल्प, गंगा कार्यों में जुड़ने, गंगा कार्य को सांस्कृतिक कार्य मानने का निर्णय सुनाया।

संसद ने तीन दिन गंगा से जुड़े आध्यात्मिक-सांस्कृतिक, वैज्ञानिक, राजनैतिक और सामाजिक जीवन और जीविका के सभी विषयों पर चर्चा करके निम्न संकल्प लिये तथा उन्हें प्रस्तावित करते हुए सर्वसम्मति से पारित किया। संसद में निम्नांकित प्रस्ताव पारित किये गए -

1. राष्ट्रीय नदी बेसिन प्राधिकरण को अब एक राष्ट्रीय युवा कोर बनानी चाहिए। इसमें राष्ट्रीय सेवा योजना, स्काउड गाइड और एनसीसी को शामिल किया जाए। युवा कोर गंगा को प्रदूषण मुक्ति हेतु चेतना जगाने का काम करें।
2. देश भर के सभी विश्वविद्यालयों, महाविद्यालयों को अपने क्षेत्र. की गंगा के निर्मल कार्यो की जिम्मेदारी नगर पालिकाओं के साथ दी जाए। इस कार्य प्रक्रिया का अध्ययन भी विद्यार्थियों को कराया जाए जिससे गंगा एक अध्ययन केंद्र बने।
3. गंगा को राष्ट्रीय सम्मान दिलाने वाला गंगा पुनर्जीवन अधिनियम बने।
4. गंगा को एक सांस्कृतिक संरक्षित क्षेत्र घोषित किया जाए। प्लास्टिक, मांसाहार गंदगी करने वाले कार्य गंगा किनारे पर रोके।
5. भारत सरकार की सांस्कृतिक मंत्री को राष्ट्रीय नदी बेसिन प्राधिकरण में सदस्य बनाया जाए।
6. गंगा की सबसे छोटी सहायक नदियां जो सूख और मर रही है उसका अधोभूजल, पुनर्भरण करके तथा नदियों के जल का शोषण रोक कर नदियों को पुनर्जीवित किया जाए।
7. गंगा में सतत प्रवाह के लिए हिमालय में बन रहे नए बांधेां को तत्काल प्रभाव से रद्द किया जाए।
8. राज्य सरकारें गंगा की भूमि का चिन्हितकरण एवं सीमांकन करके गंगा भूमि से अतिक्रमण हटवाए।
9. गंगा की पर्यावरणीय प्रबंधन योजना 2020 जनता के सामने रखी जाए। समाज की स्वीकृति और भागीदारी भी इस कार्य योजना में निश्चित हो।
गंगा संसद का अगला सत्र 12 जनवरी 2013 से इलाहाबाद में शुरू होगा। साथ ही गंगा संसद में आए सभी राज्यों के प्रतिनिधियों को अपनी कार्य योजना बनाने का आग्रह किया गया। अंत में उपस्थित सभी प्रतिनिधियों को साफा बांधकर तथा महिला प्रतिनिधियों को गंगा की चुनरी भेंट कर गंगा संसद में आगे काम की सभी ने अपनी-अपनी जिम्मेदारी पूरी करने का संकल्प लिया।

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