उत्तर प्रदेश

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यमुना नहीं तो धर्म, इतिहास, ताज सब मिटेंगे!
Posted on 18 Oct, 2014 09:08 AM यमुना का जल हो गया है जहरीला, आचमन तो दूर हाथ लगाने से भी खतरा: अरुण त्रिपाठी
छोटी नदियों का संरक्षण जरूरी
Posted on 17 Oct, 2014 10:51 AM

नदियों में ही मनुष्य का जीवन बसता है। इसलिए इसे जीवनदायिनी कहा जाता है। सारी सभ्यताएं नदियों के किनारे विकसित हुई हैं, जो अब तक हैं भी, इसलिए इसे जीवन से जोड़ा जाता है। लेकिन मसला यह है कि जहां देश की बड़ी नदियों को बचाने के लिए सरकार ने पूरा विभाग ही बना डाला तथा हजारों करोड़ रुपये खर्च कर दिए लेकिन छोटी-छोटी नदियों की ओर किसी का ध्यान नहीं गया और न ही ज

Nadi
ऐसे तो बदलने से रहे गांव
Posted on 16 Oct, 2014 09:51 AM

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सौ स्मार्ट सिटी बनाने का इरादा जताने के बाद अब गांवों को भी स्मार्ट बनाने के इच्छुक हैं। उन्होंने अपनी सरकार के एक और महत्त्वाकांक्षी कार्यक्रम ‘सांसद आदर्श ग्राम योजना’ की शुरुआत कर दी है। इस योजना के तहत सभी सांसद 2019 तक तीन गांवों में बुनियादी और संस्थागत ढांचा विकसित करने की जिम्मेदारी उठाएंगे। गांवों में साफ-सफाई रखी

Village
संगम में नहाती हुई औरत
Posted on 07 Oct, 2014 03:37 PM जो कभी इला वास था
और अब इलाहाबाद
उसी तीर्थराज प्रयाग में
गंगा यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम में
नहाती हुई यह औरत
अपने पाप धो रही है
या सींच रही है अपने मुरझाए स्वप्न

गंगा की तेज और हिमशीत लहरें
उसके पयोधरों से टकरा रही हैं बार-बार
लहरों की थप-थप के सुख से पुलक उठी है प्रौढ़ा
शिथिल तन में आ गई है कसावट
परंपरा की दुहाई आखिर कब तक!
Posted on 06 Oct, 2014 11:29 AM

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आदेश दिया है कि अगले साल से उत्तर प्रदेश के किसी भी जिले में गंगा और यमुना में मूर्ति विसर्जन न किया जाए। न्यायालय का यह फैसला सराहनीय है। गंगा और यमुना जैसी नदियां आज अपने अस्तित्व के लिए संघर्षरत हैं। जीवनदायिनी गंगा और यमुना नदियों की हालत इतनी खराब होगी, किसी ने सोचा भी नहीं होगा। गंगा को तो देश की सबसे पवित्र नदी माना जाता है। इस

Ganga
हिंडन, जो कभी नदी थी
Posted on 05 Oct, 2014 11:37 AM

देश की राजधानी दिल्ली के दरवाजे पर खड़े गाजियाबाद में गगनचुंबी इमारतों के नए ठिकाने राजनगर एक्सटेंशन को दूर से देखो तो एक समृद्ध, अत्याधुनिक उपनगरीय विकास का आधुनिक नमूना दिखता है, लेकिन जैसे-जैसे मोहन नगर से उस ओर बढ़ते हैं तो अहसास होने लगता है कि समूची सुंदर स्थापत्यता एक बदबूदार गंदे नाबदान के किनारे है। जरा और ध्यान से देखें तो साफ हो जाता है कि यह एक

Hindon River
गांधी का स्वच्छ भारत
Posted on 02 Oct, 2014 10:01 AM महात्मा गांधी भारत को स्वच्छ बनाना चाहते थे। लेकिन ऐसा हो न सका और अब महात्मा के उसी पथ पर चलने का बीड़ा उठाया है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने।

.मौका था बनारस हिंदू विश्व विद्यालय के स्थापना दिवस का। 47 साल के गांधी को तब बापू की उपाधि नहीं दी गई थी। बीचयू के स्थापना दिवस के मौके पर वह मंच पर बैठे थे। उनके साथ मंच पर ऐनी बेसेंट, पंडित मदन मोहन मालवीय और दरभंगा महाराज जैसी कई हस्तियां मौजूद थीं।

सामने कई राजा महराजा और प्रबुद्ध वर्ग के लोग बैठे हुए थे। अब मंच से लोगों को संबोधित करने की बारी मोहनदास करम चंद गांधी की थी। सभी को उम्मीद थी कि बीएचयू के स्थापना दिवस पर वह शिक्षा के विषय पर बोलेंगे लेकिन उन्होंने जो बोला उसे सुनकर वहां बैठे सभी लोग हैरान रह गए।
गांधी जयंती से स्वच्छ भारत स्वच्छ विद्यालय अभियान
Posted on 28 Sep, 2014 12:31 PM डीआईओएस ने समस्त विद्यालय प्रधानाचार्यों को स्वच्छता अभियान चलाने क
ऐसा कब तक चलेगा, मी लॉर्ड
Posted on 26 Sep, 2014 12:26 PM अदालतों का काम है, आदेश देना और शासन-प्रशासन का काम है, उसकी पालना करना। किंतु ऐसा लगता है कि हमारी सरकारों ने अदालती आदेशों की अनदेखी करना तय कर लिया है; खासकर, पर्यावरणीय मामलों में। रेत खनन, नदी भूमि, तालाब भूमि, प्रदूषण से लेकर प्रकृति के विविध जीवों के जीवन जीने के अधिकार के विषय में जाने कितने अच्छे आदेश बीते वर्षों में देश की छोटी-बड़ी अदालतों ने जारी किए हैं। किंतु उन सभी की पालना सुनिश्चित हो पाना, आज भी एक चुनौती की तरह हम सभी को मुंह चिढ़ा रहा है।

कितने अवैध कार्यों को लेकर रोक के आदेश भी हैं और आदेश के उल्लंघन का परिदृश्य भी। किसी भी न्यायतंत्र की इससे ज्यादा कमजोरी क्या हो सकती है, कि उसे अपने ही आदेश की पालना कराने के लिए कई-कई बार याद दिलाना पड़ेे। आखिर यह कब तक चलेगा और कैसे रुकेगा? बहस का बुनियादी प्रश्न यही है।
<i>इलाहाबाद हाईकोर्ट</i>
बारिश और बिजली के बिना भुखमरी के कगार पर किसान
Posted on 25 Sep, 2014 12:14 PM

ग्रेटर नोएडा, 1 अगस्त। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बरसात न होने और बिजली न आने के कारण किसानों की धान की फसल सूख गई है। जो बची है उसे देखकर किसान बेहद परेशान हैं। जहां पर नहर का पानी है वहां पर फिर भी धान की फसल बची हुई है। लेकिन ज्यादातर जिलों में धान और ज्वार की फसल बर्बाद हो गई है। इससे किसान के सामने रोजी-रोटी का संकट पैदा होने लगा है। वहीं पशुओं के लिए

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