उत्तर प्रदेश

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हिण्डन की सन्तानों ने जगाई सरकार
Posted on 09 May, 2015 11:20 AM जिस दिन हिण्डन में मल व अन्य तरल कचरा आना रुक जाएगा, हिण्डन का प्रवाह नाम मात्र को ही रह जाएगा। हिण्डन को यदि फिर से हरनन्दी बनाना है, तो हिण्डन किनारे के इलाकों में जलशोषण घटाना होगा; जल संचयन बढ़ाना होगा। हरियाली इसमें सहायक होगी ही। कचरे पर रोक के साथ-साथ यह करना ही होगा। अच्छे कदम में हाथ बँटाना और गलत काम को टोकना व रोकना ही उपाय है। हिण्डन के नाम पर यात्राएँ हुईं। हिण्डन के नाम पर संस्थाएँ बनी। हिण्डन के नाम पर आज अपार्टमेंट हैं; प्रतिष्ठान हैं; पत्रिका है; पार्क हैं; नारे हैं; अनशन है; कार्यकर्ता हैं; मुकदमें हैं; आदेश हैं; बजट है; किन्तु दुर्योग है तो बस यही कि हिण्डन का वह स्वरूप नहीं है, जिसके लिये हिण्डन जानी जाती है।

हिण्डन का पौराणिक नाम, हरनन्दी है। करीब 260 किलोमीटर लम्बी यह पौराणिक धारा सहारनपुर से निकलकर, गौतमबुद्ध नगर के तिलवाड़ा गाँव में आकर यमुना में मिल जाती है। इस रास्ते में उसे कचरा और मल के अलावा कहीं जल भी मिलता है; यह कहना मुश्किल है। हिण्डन की दुर्दशा, हिण्डन ही नहीं, अब इसके किनारे के रहने वाले भी जानने लगे हैं। बीमारियों के दंश ने उन्हें असली कारण का पता बता दिया है। इस तलाश ने अब तक कई को बेचैन किया है।
Hindon river
कनहर नदी को बहने दो, हमको जिन्दा रहने दो
Posted on 04 May, 2015 12:42 PM (कनहर बाँध विरोधी आन्दोलन के धरना स्थल से भेजी गई किसान आदिवासी विस्थापित एकता मंच, सिंगरौली की सदस्य एकता की रिपोर्ट)

1976 में जब पहली बार कनहर और पागन नदी के संगम स्थल पर बाँध बनाए जाने की घोषणा हुई, तभी से आसपास के लगभग 100 से अधिक गाँवों के लोग, जो कि ज्यादातर आदिवासी हैं, अपने-अपने अस्तित्व का संघर्ष कर रहें हैं। कभी मुखर विरोध और कभी पैसे की कमी के कारण बन्द होते बाँध के काम ने मानों पिछले चार दशक से इन ग्रामिणों के सामने धरना प्रदर्शन के अलावा कोई विकल्प नहीं छोड़ा है। रिपोर्ट लिखे जाने के दौरान धरना स्थल पर दिनांक 18 अप्रैल 2015 को सुबह पुलिस ने दुबारा फायरिंग की जिसमें दर्जनों लोगों के मारे जाने की खबर है। धरना स्थल पर पुलिस ने लाठी चार्ज भी किया जिससे मरे हुए और घायल साथियों को धरना स्थल से हटा पाना भी सम्भव नहीं हुआ।

खबर मिली है कि कनहर नदी में पुलिस द्वारा मृत और घायल साथियों को प्रोक्लेन मशीन द्वारा दफनाया जा रहा है ताकि सबूत मिटाया जा सके। यह एक अत्यन्त ही आपातकालीन स्थिति है। यह रिपोर्ट पढ़ने वाले साथियों से अनुरोध है कि अपने-अपने स्तर से तत्काल उचित प्रयास शुरू करें। डी.एम. सोनभद्र को फोन करके अथवा एसएमएस से इस असंवैधानिक और अमानवीय कृत्य की भर्त्सना करें। उनका फोन नम्बर 9454417569 है।
भूकम्प से बचने के लिए तैयार नहीं शहर
Posted on 27 Apr, 2015 11:39 AM नोएडा (एसएनबी)। भगवान न करे नोएडा का सामना नेपाल जैसी तीव्रता के भूकम्प से हो, अगर ऐसा हुआ तो जानमाल की भारी क्षति होगी। वजह नोएडा शहर भूकम्प के लिहाज से बेहद खतरनाक सिस्मिक जोन चार में मौजूद है लेकिन सरकारी एजेंसियों की तैयारियाँ इसके मुताबिक नहीं है। नतीजतन बड़ा भूकम्प आने पर होने वाली तबाही का अन्दाजा भी कोई नहीं लगा सकता। भूकम्प की तीव्रता रिक्टर स्केल प
भूजल बर्बाद करते बिल्डर्स
इधर गर्मी की जम्प और उधर दम तोड़ते हैण्डपम्प
Posted on 25 Apr, 2015 10:59 AM दर्जनों गाँवों के सैकड़ों हैण्डपम्प अर्से से रिबोर की जोह रहे बाट
तालाबों, पोखरों और झीलों का होगा सीमांकन
Posted on 25 Apr, 2015 10:48 AM डीएम ने तय की अधिकारियों की जिम्मेदारी, ग्राम पंचायत स्तर पर गठित टीम देगी रिपोर्ट
आरओ प्लांट के लिये तरस रहा परासी गाँव
Posted on 24 Apr, 2015 03:14 PM एनजीटी के निर्देश पर गाँव का किया गया था चयन
गोमती में न गिरे गंदा पानी
Posted on 23 Apr, 2015 12:51 PM

शास्त्री भवन स्थित अपने कार्यालय में गोमती रिवर फ्रंट डेवलपमेंट के कार्यो की समीक्षा करते हुए आ

निगम के नलकूप उगल रहे ‘जहर’
Posted on 18 Apr, 2015 04:02 PM कई कॉलोनियों में सप्लाई किया जा रहा पानी पीने योग्य नहीं
गोमती के पुनर्जन्म का अभिनव प्रयास
Posted on 18 Apr, 2015 12:39 PM ज्यादातर विचारकों के मत नदियों के ‘रिवर फ्रंट डेवलपमेंट’ के खिलाफ ही है। हजारों-हजार करोड़ रुपए खर्च कर महानगरों में नदियों का फ्रंट बनाने की कोशिश हो रही है। गोमती के किनारे ‘गोमती रिवर फ्रंट’ में लगभग 3000 करोड़ रुपए खर्च होंगे। प्रस्तुत आलेख ;गोमती रिवर फ्रंट’ के समर्थन में है। तमाम असहमतियों के बावजूद यह लेख दिया जा रहा है ताकि इस मुद्दे पर स्वस्थ बहस हो सके।
विनाश के दुष्चक्र को रोकने की लड़ाई का बनारस से आगाज
Posted on 17 Apr, 2015 11:10 AM नदियों पर आधारित सभ्यता ने सामाजिक ताने-बाने को बुनने की एक लम्बी
Ganga
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