डीएम ने तय की अधिकारियों की जिम्मेदारी, ग्राम पंचायत स्तर पर गठित टीम देगी रिपोर्ट
जिले में पोखरों, तालाबों को अतिक्रमण मुक्त कराने, उन्हें पुनर्जीवित कर उपयोग में लाने, जल संरक्षण और जल संचयन को ध्यान में रखते हुए जिला प्रशासन ने नई कवायद शुरू की है। इसके तहत डीएम संजय कुमार ने ग्राम पंचायत स्तर पर टीम गठित कर तालाबों, पोखरों और अन्य जल स्रोतों को चिन्हित करने का निर्देश दिया है। इन स्रोतों को चिन्हांकन और सूची तैयार करने के साथ ही सीमा का निर्धारण 30 अप्रैल तक किया जाना है। प्रशासन ने तालाबों को पुनर्जीवित करने के लिये उन्हें सीधे तौर पर मनरेगा से भी जोड़ने का निर्णय लिया है। मनरेगा के तहत इन तालाबों, पोखरों की खुदाई कराई जाएगी।
इतना ही नहीं जिला स्तरीय टेक्निकल कोआर्डिनेशन कमेटी कार्ययोजना बनाकर एक हेक्टेयर या इससे बड़े आकार के तालाबों को राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम के तहत और सुदृढ़ करेगी। सीडीओ महेन्द्र सिंह ने बताया कि जल संरक्षण और संचयन के इस कार्य के लिये तहसील स्तर पर एसडीएम और बीडीओ आपस में समन्वय स्थापित करेंगे। बताया कि तालाबों पर पौधरोपण का भी कार्य कराया जाएगा।
तालाबों में रासायनिक कचरा गिराने पर लगेगी रोकमुख्य विकास अधिकारी महेन्द्र सिंह ने बताया कि पोखरों और तालाबों को सुदृढ़ करने के साथ ही उनमें रासायनिक कचरा गिराने पर प्रतिबन्ध लगाया जाएगा। कहा कि प्रदूषित जल, कूड़ा-कचरा आदि जलस्रोतों में नहीं गिराने दिया जाएगा। ग्राम पंचायत स्तर पर गठित टीम ऐसा करने वालों के खिलाफ रिपोर्ट देगी ताकि कार्रवाई की जा सके। ।
सोनभद्र (ब्यूरो)। भूजल संरक्षण एवं वर्षाजल के संचयन को ध्यान में रखते हुए जिला प्रशासन ने तालाबों, पोखरों, झीलों और अन्य प्राकृतिक जल स्रोतों की सूची बनाने और उनका सीमांकन करने का निर्णय लिया है। इन जल स्रोतों को जनोपयोगी बनाने की दिशा में यह पहल की गई है। डीएम ने टीम गठित कर अधिकारियों को जल स्रोतों का चिन्हांकन करने का निर्देश दिया है। तालाबों, पोखरों आदि पर पौधरोपण भी किया जाना है। इसको लेकर प्रशासनिक कवायद तेज हो गई है।जिले में पोखरों, तालाबों को अतिक्रमण मुक्त कराने, उन्हें पुनर्जीवित कर उपयोग में लाने, जल संरक्षण और जल संचयन को ध्यान में रखते हुए जिला प्रशासन ने नई कवायद शुरू की है। इसके तहत डीएम संजय कुमार ने ग्राम पंचायत स्तर पर टीम गठित कर तालाबों, पोखरों और अन्य जल स्रोतों को चिन्हित करने का निर्देश दिया है। इन स्रोतों को चिन्हांकन और सूची तैयार करने के साथ ही सीमा का निर्धारण 30 अप्रैल तक किया जाना है। प्रशासन ने तालाबों को पुनर्जीवित करने के लिये उन्हें सीधे तौर पर मनरेगा से भी जोड़ने का निर्णय लिया है। मनरेगा के तहत इन तालाबों, पोखरों की खुदाई कराई जाएगी।
इतना ही नहीं जिला स्तरीय टेक्निकल कोआर्डिनेशन कमेटी कार्ययोजना बनाकर एक हेक्टेयर या इससे बड़े आकार के तालाबों को राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम के तहत और सुदृढ़ करेगी। सीडीओ महेन्द्र सिंह ने बताया कि जल संरक्षण और संचयन के इस कार्य के लिये तहसील स्तर पर एसडीएम और बीडीओ आपस में समन्वय स्थापित करेंगे। बताया कि तालाबों पर पौधरोपण का भी कार्य कराया जाएगा।
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