लोकविद्या

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कनहर नदी को बहने दो, हमको जिन्दा रहने दो
Posted on 04 May, 2015 12:42 PM
(कनहर बाँध विरोधी आन्दोलन के धरना स्थल से भेजी गई किसान आदिवासी विस्थापित एकता मंच, सिंगरौली की सदस्य एकता की रिपोर्ट)

1976 में जब पहली बार कनहर और पागन नदी के संगम स्थल पर बाँध बनाए जाने की घोषणा हुई, तभी से आसपास के लगभग 100 से अधिक गाँवों के लोग, जो कि ज्यादातर आदिवासी हैं, अपने-अपने अस्तित्व का संघर्ष कर रहें हैं। कभी मुखर विरोध और कभी पैसे की कमी के कारण बन्द होते बाँध के काम ने मानों पिछले चार दशक से इन ग्रामिणों के सामने धरना प्रदर्शन के अलावा कोई विकल्प नहीं छोड़ा है। रिपोर्ट लिखे जाने के दौरान धरना स्थल पर दिनांक 18 अप्रैल 2015 को सुबह पुलिस ने दुबारा फायरिंग की जिसमें दर्जनों लोगों के मारे जाने की खबर है। धरना स्थल पर पुलिस ने लाठी चार्ज भी किया जिससे मरे हुए और घायल साथियों को धरना स्थल से हटा पाना भी सम्भव नहीं हुआ।

खबर मिली है कि कनहर नदी में पुलिस द्वारा मृत और घायल साथियों को प्रोक्लेन मशीन द्वारा दफनाया जा रहा है ताकि सबूत मिटाया जा सके। यह एक अत्यन्त ही आपातकालीन स्थिति है। यह रिपोर्ट पढ़ने वाले साथियों से अनुरोध है कि अपने-अपने स्तर से तत्काल उचित प्रयास शुरू करें। डी.एम. सोनभद्र को फोन करके अथवा एसएमएस से इस असंवैधानिक और अमानवीय कृत्य की भर्त्सना करें। उनका फोन नम्बर 9454417569 है।
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