राजस्थान

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जब एक वेश्या ने बनवाया ऐतिहासिक तालाब का प्रवेश द्वार
Posted on 11 Nov, 2010 10:23 AM
देश के सबसे अंतिम छोर पर बसी ऐतिहासिक स्वर्ण नगरी ‘जैसलमेर’ सारे विश्व में अपनी स्थापत्य कला के लिए प्रसिद्ध है। रेत के समंदर में बसे जैसलमेर में तब दूर-दूर तक पानी का नामोनिशान तक न था। राजा और प्रजा बेसब्री से वर्षाकाल का इंतज़ार करते थे। वर्षा के पानी को एकत्र करने के लिए वि. सं.
नरेगा के जमीनी समीकरण- सामाजिक अंकेक्षण और सरपंच
Posted on 11 Nov, 2010 09:05 AM सुख अकेले टहलते हैं,दुःख झुंड बनाकर रहते हैं।सुख चेहरे से छलकता है,दुःख चेहरे पर जमा रहता है।सुखों के लिए चौराहे होते हैं और दुःखों के लिए वह कोना जहां किसी की गुजर ही नहीं। गुलाबी नगरी जयपुर में गुजरे 15 दिसंबर को स्टेशन से लगते जीपीओ के पास बने शहीद स्मारक के घेरे में आलम कुछ ऐसा ही था।
किसानों के लिए वरदान थायो यूरिया जैव नियामक
Posted on 10 Nov, 2010 11:10 AM
कृषि में पानी की भूमिका के बारे में हम सभी अच्छी तरह से जानते हैं। किंतु बीते कुछ दशकों से जिस तरह से पानी की मांग में बढ़ोतरी और पानी के संसाधनों में कमी आई है उसे देखते हुए कृषि के सुखद भविष्य के बारे में विश्वासपूर्वक कुछ भी कह पाना कठिन है। साल दर साल मानसून का देरी से आना और निरंतर घटते भूजल ने किसानों और सरकार के समक्ष अनेक यक्ष प्रश्न खड़े कर दिए हैं। ऐसी विकट परिस्थितियों में कृषि वि
देश को चाहिए स्वास्थ्य का अधिकार
Posted on 09 Nov, 2010 10:33 AM
हाल ही में राजस्थान में डिप्थीरिया (गलघोंटू) के कारण 50 दिनों में 29 बच्चों की मौत हो गई।
नरेगा के जमीनी समीकरण- सामाजिक अंकेक्षण और सरपंच
Posted on 09 Nov, 2010 10:27 AM सुख अकेले टहलते हैं,दुःख झुंड बनाकर रहते हैं।सुख चेहरे से छलकता है,दुःख चेहरे पर जमा रहता है।सुखों के लिए चौराहे होते हैं और दुःखों के लिए वह कोना जहां किसी की गुजर ही नहीं। गुलाबी नगरी जयपुर में गुजरे 15 दिसंबर को स्टेशन से लगते जीपीओ के पास बने शहीद स्मारक के घेरे में आलम कुछ ऐसा ही था।
नरेगा के जमीनी समीकरण- सामाजिक अंकेक्षण और सरपंच
Posted on 29 Oct, 2010 08:56 AM सुख अकेले टहलते हैं,दुःख झुंड बनाकर रहते हैं।सुख चेहरे से छलकता है,दुःख चेहरे पर जमा रहता है।सुखों के लिए चौराहे होते हैं और दुःखों के लिए वह कोना जहां किसी की गुजर ही नहीं। गुलाबी नगरी जयपुर में गुजरे 15 दिसंबर को स्टेशन से लगते जीपीओ के पास बने शहीद स्मारक के घेरे में आलम कुछ ऐसा ही था।
झील भरवा री प्रार्थना
Posted on 25 Oct, 2010 10:48 AM
राजसमन्द झील जिसका की जलस्तर दिन पर दिन कम होता जा रहा है ! इस व्यथा को शब्दो में पिरोया है यहां के ही एक शख्स नें ! राजसमंद के एक बहुत ही ख्यात युवा कवि सुनिल जी “सुनिल” नें अपनी बहुत ही उम्दा रचना भेजी है ! जो इस प्रकार है !

झील भरवा री प्रार्थना:


नाथा रा नाथ द्वारकानाथ ने किदी एक अरज,
प्रभू सुणजो म्हारी भक्ती रो करज !

सिर पर सवार है मैला उतरने का नाम नहीं लेता
Posted on 16 Oct, 2010 08:42 AM
सभ्यता के विकास में मल निस्तारण समस्या रही हो या न रही हो, लेकिन भारत में कुछ लोगों के सिर पर आज भी मैला सवार है. तमाम कोशिशों के बावजूद भारत सरकार उनके सिर से मैला नहीं उतार पायी है जो लंबे समय से इस काम से निजात पाना चाहते हैं. हालांकि सरकार द्वारा सिर से मैला हटा देने की तय आखिरी तारीख कल बीत गयी लेकिन कल ही 31 मार्च को दिल्ली में जो 200 लोग इकट्ठा हुए थे वे आज वापस अपने घरों को लौट गये हैं. तय है, आज से उन्हें फिर वही सब काम करना पड़ेगा जिसे हटाने की मंशा लिये वे दिल्ली आये थे. उमाशंकर मिश्र की रिपोर्ट-

भारत सरकार द्वारा 31 मार्च 2009 तक सिर पर मैला ढोने की प्रथा को समाप्त करने की घोषणा की वास्तविकता को उजागर करने के लिए आज छह राज्यों के 200 लोग नई दिल्ली में एकत्रित हुए। मध्यप्रदेश, गुजरात, राजस्थान, उत्तरप्रदेश,
खतरे की घंटी रेगिस्तान का विस्तार
Posted on 04 Oct, 2010 08:24 AM इधर प्राकृतिक आपदाओं की संख्या और तीव्रता में बढ़ोतरी हुई है। मौसमी परिवर्तन का एक और बड़ा संकेतक, जिस पर हम पर्याप्त ध्यान नहीं दे रहे हैं, बहुत तेजी से उभार पर है। वह है रेगिस्तानी इलाकों का विस्तार। दुनिया के लगभग सारे रेगिस्तानी क्षेत्र में विस्तार हो रहा है, लेकिन थार रेगिस्तान का विस्तार कुछ अधिक तेज गति से हो रहा है। इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन यानी इसरो की हालिया रिसर्च बताती है कि था
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