बाड़मेर में ग्रामीणों ने किया पानी का बंटवारा

प्रभावित ग्रामीणों का कहना है कि पानी को लेकर होने वाले झगड़ों को रोकने के लिए पानी का बंटवारा तो कर लिया है मगर पानी आता ही नहीं तो बांटे क्या।

बाड़मेर, 27 अप्रैल (भाषा)। राजस्थान में बाड़मेर जिले की सबसे दुर्गम ग्राम पंचायत खबडाला में पानी की भारी किल्लत के कारण होने वाले रोजाना के झगड़ों से निजात पाने के लिए लोगों ने खुद ही पानी का बंटवारा कर लिया है। पानी की कमी से जूझ रहे आठ गांवों के लोगों ने स्थानीय तौर पर इस समस्या का समाधान करते हुए पानी का बंटवारा कर लिया है। अब पानी की कमी दूर करने के लिए वे प्रशासनिक उपायों की बाट जोह रहे हैं।

ग्रामीणों का कहना है कि आपसी रजामंदी से प्रत्येक गांव के लिए पानी लेने का एक दिन तय कर लेने से पानी भरने को लेकर हर रोज होने वाले झगड़े तो कम हुए हैं पर महीने में चार दिन ही पानी आने के कारण किल्लत ज्यों की त्यों बनी हुई है।

खबडाला गांव के पूर्व सरपंच रतन सिंह सोढ़ा का कहना था-तीन साल से खबडाला ग्राम पंचायत सहित बंधडा, बचिया, पूंजराज का पार, सगरानी, पिपरली, दाभा, गारी, मणिहारी सहित 94 गांवों से पेयजल की जबरदस्त किल्लत है। गडरारोड के अधिशासी अभियंता सुनील जोशी ने खबडाला में पेयजल की समस्या स्वीकारते हुए कहा कि इस इलाके की पाइप लाइनें खराब हैं उन्हें जल्द दुरुस्त कर दिया जाएगा। उन्होंने आश्वस्त किया कि एक सप्ताह में पानी की समस्या का कुछ हद तक समाधान कर दिया जाएगा।

जिला प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि प्रभावित गांवों में पेयजल उपलब्ध करवाने के प्रयास किए जा रहे हैं। प्रभावित ग्रामीणों का कहना है कि पानी को लेकर होने वाले झगड़ों को रोकने के लिए पानी का बंटवारा तो कर लिया है मगर पानी आता ही नहीं तो बांटे क्या। उन्होंने कहा कि प्रशासन की सुस्ती और ढुलमुल रवैए के कारण ग्रामीणों के प्रयास निरर्थक साबित हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि खबडाला गांव में पानी के स्रोत के रुप में महज दो हौद सरकारी योजना में बने होने के कारण मुश्किलें और बढ़ गई है। पानी के दो हौद में से एक बीस साल से अधिक पुराना है, जबकि दूसरा तीन साल पहले बना लेकिन इसे आज तक पाइप लाइन से जोड़ा नहीं जा सका।

गांव के ही एक वाशिंदे भैरूं लाल ने कहा-सरकार ने पानी की समस्या के समाधान के लिए लाखों रुपए खर्च कर एक छोटा हौद भी बनाया पर वह आज भी सूखा है। ऐसे में इन गांवों के लिए मात्र एक ही हौद से ग्रामीण पानी भरते हैं।

पूर्व सरपंच के अनुसार परेशानी से निपटने के लिए ग्राम पंचायत के आठों गांवों की बैठक बुला कर पानी का बंटवारा करने का निर्णय लिया गया। गांव के ही टीकमा राम मेघवाल ने बताया कि पानी के बंटवारे के तहत दो दो गांवों की बारी तय की गई। इसके अनुसार पानी भरने की दिन तय किए गए। इससे निश्चित दिन तय गांव के लोग ही पानी भरते हैं। इससे आठ गांवों के लोगों को एक तय दिन पानी मिलने की पूरी उम्मीद रहती है। इससे पानी को लेकर होने वाले विवाद भी नहीं होते।

उन्होंने बताया कि गांव में परंपरागत पानी के स्रोत बेरिया (छोटे कुएं) हैं, जिनके कारण इन्सानों के पीने के लिए तो जैसे-तैसे पानी मिल जाता है मगर मवेशियों को पानी कहां से पिलाएं। उनके मुताबिक गांव में लगभग एक हजार गाय व तीस हजार भेड़-बकरियां हैं। पशुओं के लिए 15 किलोमीटर दूर से पानी लाना पड़ रहा है। गांव की महिला गोमती ने बताया कि जलदाय विभाग की लापरवाही के कारण मणिहारी गांव के हौद में वाल्व कई दिन से खराब होने के कारण पानी फालतू बह रहा है। अधिकारियों का ध्यान इस ओर दिलाया गया लेकिन समस्या ज्यों की त्यों बनी हुई है। वाल्व ठीक कर दिया जाए तो गांव की पानी आपूर्ति हो सकती है।

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