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पटना जिला
बाढ़ से 'बरकत'
Posted on 22 Aug, 2011 12:10 PMबिहार में हर साल कहर बरपाने वाली बाढ़ भले ही आमजन के लिए बुरा सपना हो लेकिन सरकारी महकमों के ब
सोन नहर जल संकट पर शुरू हुई सुनवाई
Posted on 29 Jul, 2011 05:23 PMपटना। उत्तरप्रदेश और मध्यप्रदेश की सीमा पर अवस्थित सिंगरौली के पास प्रस्तावित 35,000 मेगावाट ताप बिजली घरों के निर्माण में यदि सोन नदी के पानी का अत्यधिक इस्तेमाल न रोका गया तो बिहार के किसानों की मुश्किलें बढ़ जाएंगी। राज्य सरकार को अगर सोन नदी से अपने हिस्से का पानी बचाना है तो यूपी एवं एमपी सरकार से केन्द्र सरकार के सामने बातचीत करनी चाहिए। इसके लिए हाईकोर्ट के हस्तक्षेप की जरूरत है।
सब कुछ नदी के हाथ में
Posted on 24 Jun, 2011 12:10 PMकोसी विशेषज्ञ डॉ. दिनेश कुमार मिश्र से द पब्लिक एजेंडा की बातचीतपायलट चैनल विवाद अगर नहीं सुलझा तो क्या होगा ?
मुझे लगता है कि देर हो चुकी है। मानसून में ज्यादा समय नहीं है। वैसे पायलट चैनल के बन जाने से भी खतरा टल नहीं जायेगा। आज कोई नहीं कह सकता कि कोसी सरकार और इंजीनियरों के नियंत्रण में है।
एक और कुसहा का इंतजार?
Posted on 24 Jun, 2011 11:54 AMनेपाल सरकार के विरोध के कारण कोसी में पायलट चैनल का निर्माण ठप है। अगर गतिरोध दूर नहीं हुआ तो कोसी एक बार फिर कुसहा की प्रलय-कथा को दोहरा सकती है। एक बार फिर कोसी नदी में सब कुछ उसी तरह हो रहा है जैसे तीन साल पहले हुआ था। नेपाल के सप्तरी जिले में भीमनगर कोसी बैराज के अधिकारियों से मिली सूचना के मुताबिक, इस बार मानसून से पहले ही कोसी मैया ने पूर्वी तटबंध पर दबाव बढ़ाना शुरू कर दिया है। बैराज के
निर्मल नहीं हो सकी अविरल धारा
Posted on 20 Jun, 2011 12:02 PMगंगा एक्शन प्लान का फेज वन फेल हो गया और अब फेज दो भी उसी ढर्रे पर चल रहा है। विश्व बैंक से कर्ज लेकर गंगा को मलरहित बनाने की इस कोशिश में भी गंगा आंदोलन से जुड़े लोगों को जोड़ा नहीं गया है। फेज दो में न तो कोई नई योजना है और न ही नई इच्छा शक्ति। गंगा बचाओ अभियान से जुड़े प्रमुख संत स्वामी गुड्डू बाबा कहते हैं कि इस बार भी धरातल से जुड़े लोग गंगा एक्शन प्लान में नजरअंदाज किए गए हैं। विश्व बैंक से 15 हपानी पर नीतीश का 'जजिया कर'
Posted on 14 May, 2011 10:39 AMविपक्ष विहीन बिहार में मिस्टर सुशासन उर्फ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जनविरोधी नीतियाँ अब एक-एक कर जनता के सामने आने लगी हैं। पहले बिजली के बाजारीकरण का खेल शुरू हुआ। खेल खत्म होने से पहले ही पानी के बाजारीकरण का खेल भी शुरू हो गया है। पक्की खबर है कि सूबे में अब लोगों को अपनी जमीन से पीने के लिए पानी निकालने पर नीतीश सरकार को 'जजिया कर' (टैक्स) देना होगा। यही नहीं जो जितना अधिक पानी काबिन बालू सब सून
Posted on 02 May, 2011 09:50 AMहाल ही में महाराष्ट्र उच्च न्यायालय ने नदियों के खनन के खिलाफ आदेश जारी किया। उस आदेश के मुताबिक नदियों से दो मीटर से ज्यादा बालू निकालने की इजाजत नहीं है। पर बिहार की नदियों से 7-8 मीटर की गहराई तक बालू निकाली जा रही है
बिहार नदियों का प्रदेश रहा है। नदियों ने यहां के लोगों को पाला-पोसा है। लोगों के जीवन से घुली-मिली रही हैं। फिर क्या वजह है कि सदियों से बहने वाली यहां की नदियां अपना रास्ता बदलने लगी हैं। वे कहीं या तो सूख रही हैं या फिर विकराल रूप लेकर गांव के गांव हर साल नष्ट कर देती हैं। फल्गु हो या पुनपुन, दरधा हो या मंगुरा या महाने, दुर्गावती हो, सोन हो या गंडक, इन नदियों में पानी की सतहें रेत में बदल गई हैं। अन्य नदियों के पानी का रंग मटमैला हो गया है। तमाम दिशाओं से आने वाली नदियों ने अपनी आंखें मूंद ली हैं। जिन नदियों में बारहो माह पानी का साम्राज्य रहता था, टाल के गांव टापुओं की तरह दिखते थे वहां अब पानी का नामोनिशान नहीं है। बस्तियां सूखी पड़ी हैं। भू-वैज्ञानिकों का मानना है कि बिहार की नदियों से अंधाधुंध बालू निकालने के कारण नदियों का अस्तित्व खतरे में पड़ गया है।बिहार : सुझाव के विपरित विज्ञान
Posted on 31 Mar, 2011 04:38 PMकोसी नदी को 1955 में अपहृत कर कम से कम 70 किलोमीटर दूर पश्चिम नेपाल से निकलने वाली तिलयुगा नदी
गांगेय डॉल्फिन गंगा के स्वास्थ्य का दर्पण है
Posted on 22 Feb, 2011 05:18 PM
पटना विश्वविद्यालय में जन्तु शास्त्र के प्राध्यापक डा. रवीन्द्र कुमार सिन्हा गांगेय डॉल्फिन (गंगा में पायी जानेवाली डॉल्फिन जिसे स्थानीय भाषा में सोंस कहा जाता है) पर अपने शोध के लिए देश एवं विदेशों में खासे चर्चित रहे हैं। यह डा. सिन्हा ही थे जिनके जोरदार प्रयासों के कारण गांगेय डॉल्फिन को राष्ट्रीय जीव घोषित किया गया और इसे मारने पर प्रतिबन्ध लगाया गया। इनके कार्यों से प्रभावित होकर एक फ्रांसिसी पत्रकार क्रिश्चियन गैलिसियन ने डा. सिन्हा पर एक वृतचित्र का निर्माण भी किया है। ‘मि. डॉल्फिन सिन्हा थिंक ग्लोबली, एक्ट लोकली’। डॉल्फिन सिन्हा के नाम से प्रसिद्ध डा. सिन्हा से उनकी प्रयोगशाला में बिहार खोज खबर टीम की बेबाक बातचीत के कुछ प्रमुख अंशः-