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पटना जिला
पानी के लिए कोई नहीं पानी-पानी
Posted on 30 Dec, 2010 01:49 PMपटना पानी चीज ही अजीब है। पानी चढ़ता है, उतरता है..पानी जमता है। टंकी पर चढ़ने वाला पानी कभी सिर पर भी चढ़ जाता है। पानी से आदमी पानी-पानी भी होता है। लेकिन सूबे में जल संचयन के लिए बने कानून को लागू करने में प्रशासन खुद पानी-पानी है। यही वजह है कि अब तक सख्ती से यह लागू नहीं हो सका है और भूजल-वाटर रिचार्ज के साथ ही रेनवाटर हार्वेस्टिंग का पूरा सिस्टम जमीन पर नहीं उतर पाया है।
पेयजल और स्वच्छता नीति का मसौदा
Posted on 06 Mar, 2010 08:35 AMबिहार सरकार 22 मार्च 2010 को विश्व जल दिवस के अवसर पर पेयजल और स्वच्छता नीति की घोषणा करेगी। लोक स्वास्थ्य और अभियांत्रिकी मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने कहा कि बिहार सरकार बहुत तेजी से जल और स्वच्छता के बारे में एक मुकम्मल नीति बनाना चाहती है। इस मसौदे पर काम चल रहा है।मसौदा के बारे में श्री चौबे ने स्पष्ट करते हुए कहा कि सरकार की नीति में पीने के पानी को शीर्ष प्राथमिकता होगी। सरकार दोहरी जल आपूर्ति पर भी काम कर रही है। ताकि जल को साफ किया जा सके। सरकार जिला स्तर और राज्य स्तर पर निगरानी समितियाँ भी बनायेगी जो सतही पानी, जमीनी पानी और वर्षा जल के अधिकतम के समूचित उपयोग पर नियंत्रण रखेंगी। बिहार सरकार एक भूजल विनियामक प्राधिकरण भी स्थापित करेगी जो भूजल संरक्षण और उपयोग पर नियंत्रण रखेगी।
कैंसर वैली
Posted on 24 Apr, 2009 04:37 PMभारत की कैंसर वैली दिल्ली और पटना के बीच गंगा के किनारे पाई जाती है। यह खबर आपको चौंका जरूर सकती है कि कैंसर का गंगा के किनारे रहने का क्या संबंध, लेकिन यह हकीकत है...अगर आप गंगा के तटीय इलाकों में रहते हैं तो आपके गॉलब्लैडर यानी पित्ताशय का कैंसर के मरीज होने की आशंका बढ़ जाती है।निमंत्रण : राष्ट्रीय नदी परिसंवाद
Posted on 02 Feb, 2009 09:05 AMपिछले वर्ष कोसी नदी के बांध के टूटने से उत्पन्न विभिषिका से आप परिचित होंगे। इसके कारण नेपाल एवं भारत (बिहार) के कई जिले जलमग्न हो गए तथा हजारों लोगों एवं पशुओं की मौत हुई। इस विभिषिका ने बड़े बांधों पर एक बार फिर से प्रश्नचिन्ह लगा दिया है तथा नदियों से जुडे़ सभी मुद्दों पर नए सिरे से चिंतन को अनिवार्य बना दिया है।बिहार की बाढ़
Posted on 21 Sep, 2008 05:20 PMबाढ़ से पूर्ण मुक्ति के लिये ''नदी मुक्ति आंदोलन'' शुरु किया है, परंतु राजनेता व तटबंध ठेकेदारों द्वारा निरंतर रोढ़े डाले जाने की वजह से यह बहुत अधिक सफल नहीं हो पाया है। नदी मुक्ति आंदोलन सभी तटबंधों को हटाने व नदी को 1954 पूर्व की अवस्था पर लाने की माँग करता है। हम शोधकर्ता, नीति निर्माता व सरकार को इस मुद्दे से अवगत कराते हैं और आम जनता को शिक्षित करते हैं कि तटबंध बाढ़ समस्या का समाधान नहीं
पटना 'नदी संवाद' की संक्षिप्त रिपोर्ट
Posted on 21 Jul, 2023 10:49 AMआजादी के बाद विकास की गति को रफ्तार देने के लिए बड़े पैमाने पर भारत में बांध,तटबंध एवं बराज़ो का निर्माण किया गया। इसका उद्देश्य बाढ़ नियंत्रण ,सिंचाई तथा पनबिजली का निर्माण करना था। पहली बहुउद्देशीय परियोजना दामोदर घाटी बनी। उसी के तर्ज पर कोसी परियोजना, गंडक परियोजना आदि का निर्माण हुआ। इसे विकास का मंदिर कहा गया। समय के साथ यह स्पष्ट हो गया कि ये परियोजनाएं अपने उद्देश्य को हासिल करने में व
कुंभ के बाद गंगा फिर से हुई मैली
Posted on 03 Jun, 2019 05:07 PM
गंगा मां है, जीवनदायिनी, मोक्षप्रदायिनी, पापनाशिनी है। इसकी निर्मलता को लेकर सरकार भी सतर्क है। हाल ही में जलशक्ति मंत्रालय का भी गठन किया गया है। बीते दिनों कुंभों के लिए 4 साल और 40,000 करोड़ का बजट खर्च होने के बाद गंगा निर्मल हुई थी, लेकिन अब यह आंचल फिर मैला होने लगा है। कुछ शहरों के नाले की पूरी पड़ताल की गई है।
वन्यजीव अभयारण्यों को लेकर बिहार सरकार गम्भीर नहीं
Posted on 18 Feb, 2019 06:04 PMवन्यजीवों व पर्यावरण को लेकर सरकारी तंत्र की गम्भीरता जगजाहिर है। इस देश ने ‘विकास’ के लिये वन्यजीवों व पर्यावरण के साथ खिलवाड़ हर दौर में देखा है और अब भी गाहे-ब-गाहे दिख ही जाता है।
राज्य से लेकर केन्द्र की सरकार में इनको (वन्यप्राणियों) को लेकर निष्ठुरता दिखती है।