Posted on 16 Aug, 2014 10:17 PMपराजनीन (ट्रांसजैनिक) फसलें- प्रकृति में अनेक ऐसे पादप है, जिन पर संक्रमण व रसायनों आदि का असर न के बराबर होता है, परंतु वे आर्थिक दृष्टि से अनुपयोगी होते हैं। वहीं दूसरी तरफ वे फसलें जिनसे दैनिक जीवन में उपयोग होने वाले तमाम उत्पाद प्राप्त होते हैं, पर संक्रमण इतनी तेज से होता है कि उत्पादकता शून्य तक हो जाती है। जैव प्रौद्योगिकी के द्वारा वे जींस अनुपयोगी पौधों को संक्रमणरोधी बनाते हैं को
Posted on 10 Aug, 2014 05:35 PMआपदा से बिहार का रिश्ता युगों पुराना है। राज्य में नदियों का जाल है। बाढ़ और उससे आने वाली तबाही यहां की पहचान है। अब भी राज्य के बहुत बड़े शहरी इलाकों में लोग बाढ़ और भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदा से बचाव के लिए बच्चे मकानों में रहते हैं। गंगा की सहायक नदियां शोक का प्रतीक बन गई है। प्राकृतिक आपदाओं का दायरा बहुत बड़ा है। हर मौसम के साथ इसके खतरों की प्रकृति भी बदलती है, मगर किसी का पीछा नहीं छोड़ती। ब
Posted on 10 Aug, 2014 12:35 AMबाढ़, सुखाड़, भूकंप, शीतलहर, आगलगी और वज्रपात ये ऐसी घटनाएं हैं, जिन पर हमारा सीधा-सीधा नियंत्रण नहीं है। ऐसी घटनाएं आपदा बन जाती हैं। बड़े पैमाने पर जान-माल का नुकसान होता है। इस नुकसान की भरपाई आसान नहीं होता। विशेषज्ञ कहते हैं कि विकास की दौड़ में हम ऐसी छोटी-छोटी बातों की अनदेखी करते हैं, जो आगे चल कर बड़ी कीमत वसूलती हैं। हम हर आपदा की पूर्व सूचना प्राप्त नहीं कर पा रहे हैं। ऐसे में बचाव और आपद
Posted on 09 Aug, 2014 09:42 PMबिहार का एक बड़ा हिस्सा बाढ़ और सूखे की चपेट में आता है। हर साल करोड़ों रुपए इसमें बह और सूख जाते हैं। क्या ये आपदा बिहार के लिए नियति बन चुकी है? इनका कोई निराकरण नहीं? आमजन को इन आपदा से बचाने का कोई तरीका है या नहीं? इन सब सवालों का जवाब जानने के लिए प्रख्यात पर्यावरणविद दिनेश कुमार मिश्र से सुजीत कुमार ने बात की।
Posted on 09 Aug, 2014 09:18 PMहमने पिछले अंक में यह चर्चा की कि पंचायतों के कार्यों सामाजिक अंकेक्षण क्या है? इसका उद्देश्य क्या है और यह क्यों जरूरी है? हमने यह भी चर्चा की कि सामाजिक अंकेक्षण फोरम क्या है और इसका संचालन किस प्रकार होता है? इस अंक में हम बात कर रहे हैं कि सामाजिक अंकेक्षण फोरम को अंकेक्षण के पूर्व किस-किस तरह की तैयारी करनी चाहिए, ताकि ठोस नतीजे तक आप पहुंच सकें।